trendingNow12093788
Hindi News >>धर्म
Advertisement

आरोग्य प्रदाता ही हैं सूर्यदेव, जिनकी कृपा से द्रौपदी को मिला था अक्षय पात्र, जानें पूरा सच

आरोग्य प्रदाता ही सूर्यदेव हैं, उन्हीं की कृपा से द्रौपदी को अक्षय पात्र मिला था, जिसमें उन्हें मनचाहा भोजन मिलता था. पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

आरोग्य प्रदाता ही हैं सूर्यदेव, जिनकी कृपा से द्रौपदी को मिला था अक्षय पात्र, जानें पूरा सच
Shilpa Rana|Updated: Feb 05, 2024, 03:06 PM IST
Share

ग्रहों के राजा सूर्यदेव को आरोग्य प्रदाता भी कहा जाता है. सूर्यदेव आकाश मंडल में प्रतिदिन घूमते हुए संसार का संचालन करते हैं. थके हुए प्राणी रात्रि में सुप्तावस्था में पहुंचने के बाद सूर्योदय के समय पुनः जागते हैं जिन्हें सूर्यदेव अपनी किरणों से ऊर्जा प्रदान कर जागरूक करते हैं.

एक बार की बात है कि लंबे समय तक तपस्या के कारण अत्यंत दुर्बल हो चुके महर्षि दुर्वासा को देखकर भगवान श्रीकृष्ण का पुत्र साम्ब हँस दिया था. जिससे नाराज हो कर महर्षि ने उसे कुष्ठरोग होने का श्राप दे दिया. इस रोग के इलाज के लिए उसने कई चिकित्सकों से दवा ली, किंतु कोई लाभ नहीं हुआ, तो साम्ब ने सूर्यदेव की उपासना की.

उपासना से प्रसन्न हो कर सूर्यनारायण ने उसे रोग से मुक्ति दे दी. सूर्य की किरणों से ही औषधि की शक्तियां बढ़ती है और यज्ञ में दी गयी आहुति सूर्यदेव तक पहुंचकर अन्न उत्पन्न करती है. अन्न ही मनुष्यों का पोषण कर उन्हें स्वस्थ शरीर देता है.  

महर्षि याज्ञवल्क्य ने सूर्यदेव की उपासना करके ही आयुर्वेद शास्त्र से संबंधित शुक्लयजुर्वेद को प्रकाशित किया था. सूर्यदेव की कृपा से ही पांडव पत्नी द्रौपदी को अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था, जिसकी विशेषता थी कि उससे मनचाहा और जितनी आवश्यकता हो उतना भोजन प्राप्त हो जाता था. अर्थात भोजन परोसने पर उसका भंडार तब तक खत्म नहीं होता था, जब तक द्रौपदी भोजन न कर लें.

जुआ हारने के बाद पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास हुआ था. जंगल में रहते हुए एक बार दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ पहुंचे और बोले कि मैं नदी से स्नान करके आता हूं, तब तक भोजन का प्रबंध करो. द्रौपदी ने उसी अक्षय पात्र से प्रार्थना कर शिष्यों सहित ऋषि को स्वादिष्ट भोजन परोसा तो प्रसन्न होकर उन्होंने पांडवों को आशीर्वाद दिया.

Read More
{}{}