Sawan 2025 Veerbhadra Avatar Ki Katha In Hindi: सावन के पवित्र महीने में शिवजी के अवतारों की कथा सुनना सुनाना अति शुभ होता है. सावन शिव जी का अति प्रिय माह है. इस माह में शिव भक्त श्रद्धाभाव से व्रत का संकल्प करते हैं और अराधना व जलाभिषेक करते हैं. शिव जी के अवतारों की कथा की इस कड़ी में आइए जानें कि शिव जी का पहला अवतार वीरभद्र अवतार कैसे हुआ. शिवजी के कुल 19 अवतारों में से एक अति भयंकर अवतार वीरभद्र का राजा दक्ष से क्या संबंध है. महादेव की कथा आइए विस्तार से जानें.
वीरभद्र अवतार के उत्पत्ति की कथा (Story of Lod Shiva Veerbhadra Avatar)
शिवजी का पहला अवतार वीरभद्र के रूप में हुआ जिसकी कथा बहुत रोचक है. इस अवतार को शिव का गण कहा गया है जोकि उनकी ही जटा से उत्पन्न हुआ. एक बार की बात है जब शिवजी के ससुर और माता सती के पिता राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ आयोजित किया जिसमें सभी ऋषि-मुनियों, देवी-देवताओं को आमंत्रण दिया गया. लेकिन राजा दक्ष ने अपनी पुत्री देवी सती और अपने जमाता शिवजी को आमंत्रित ही नहीं किया. हालांकि माता सती और शिव जी को यज्ञ में नहीं बुलाया गया था लेकिन सती माता ने शिव जी के सामने जिद्द की कि वे अपने पिता के घर जरूर जाएंगी. उनके जिद्द को देखते हुए शिव ने उन्हें जाने की आज्ञा दे दी.
राजा दक्ष ने शिव के लिए बोले कटु वचन
इस बड़े यज्ञ में देव सती पहुंच तो गई लेकिन उनके पिता राजा दक्ष सभी आमंत्रित जन के सामने ही शिवजी के लिए कटु वचन कहने लगे और अपमानित भी किया. अपने पति शिवजी का घोर अपमान देवी सती नहीं सहन कर सकीं और यज्ञ की अग्नि कुंड में स्वयं की ही आहूति दे दी. सती के अग्नि स्नान की सूचना जब शिव जी को मिली तो वे अति क्रोध में अपने सिर से एक जटा उखाड़ दी और पर्वत पर पटक दिया.
जटा के पूर्वभाग से प्रकट हुए वीरभद्र
पर्वत पर पटकी गई शिवजी की इसी जटा के पूर्वभाग से वीरभद्र प्रकट हुए जो महाभयंकर रूप में उत्पन्न हुए. शिव के वीरभद्र अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस तो किया ही साथ ही राजा दक्ष का शीश काटकर शिवजी के सामने रखा. वहीं ऋषि-मुनियों और देवताओं के अनेक विनती पर राजा दक्ष के सिर पर शिव जी ने बकरे का शीश लगाया. इस तरह वीरभद्र अवतार को शिवजी का अंशावतार माना गया है जिसे शिव ने आगे चलकर अपने गणों में शामिल किया.
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