trendingNow12744452
Hindi News >>धर्म
Advertisement

वैशाख शुक्‍ल एकादशी को क्‍यों कहते हैं मोहिनी एकादशी? श्रीहरि के अनोखे अवतार की कहानी

Mohini Ekadashi Katha: भगवान विष्‍णु को समर्पित सभी एकादशी में वैशाख शुक्‍ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं. इस दिन श्रीहरि ने मोहिनी अवतार लिया था. जानिए इसकी रोचक कथा.

वैशाख शुक्‍ल एकादशी को क्‍यों कहते हैं मोहिनी एकादशी? श्रीहरि के अनोखे अवतार की कहानी
Shraddha Jain|Updated: May 06, 2025, 07:36 AM IST
Share

Mohini Ekadashi Kab hai: हिंदू धर्म में सभी एकादशी तिथि के दिन व्रत रखने और भगवान विष्‍णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है. मई महीना शुरू हो गया है और इस महीने की पहली एकादशी 8 मई, गुरुवार को पड़ रही है. यह वैशाख शुक्‍ल एकादशी होगी, जिसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है. मोहिनी एकादशी सारे पापों से मुक्ति और पुण्य दिलाने वाली होती है. इसी तिथि में श्रहरि ने मोहिनी रूप धारण किया था. चूंकि सभी गुरुवार भगवान विष्‍णु को समर्पित हैं, इसलिए एकादशी का गुरुवार के दिन पड़ना बेहद शुभ माना गया है.

यह भी पढ़ें: बुरी से बुरी नजर भी होगी ध्‍वस्‍त, अटूट कवच की तरह काम करते हैं ये टोटके, छू भी नहीं पाएंगी नकारात्‍मक शक्तियां

अद्वितीय है मोहिनी अवतार

भगवान विष्‍णु ने राक्षसों के अंत और धर्म की स्‍थापना के लिए समय-समय पर कई अवतार लिए. लेकिन श्रीहरि के सभी अवतारों में मोहिनी अवतार अद्वितीय और विशेष है. इस अवतार में भगवान ने एक सुंदर स्त्री का रूप धरा था. आइए जानते हैं आखिर क्यों भगवान विष्‍णु को मोहिनी अवतार लेना पड़ा था.

यह भी पढ़ें: चांदी के पाए पर शनि, बदलेंगे तकदीर, 3 राशि वाले रातों-रात बनेंगे सेलिब्रिटी; धन से भरेगी तिजोरी!

मोहिनी एकादशी की कथा

दैत्‍य और दानवों को भ्रमित करने के लिए भगवान श्रीहरि विष्‍णु ने मोहिनी का रूप धरा था. दरअसल, जब समुद्र मंथन चल रहा था, तो उसमें विभिन्‍न रत्‍नों और जहर के साथ अमृत कलश भी निकला था. यह अमृत कलश पाने के लिए के लिए देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. जब दानवों ने अमृत कलश को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की तब अमृत कलश को देवताओं तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए भगवान ने मोहिनी अवतार लिया था और चतुराई से पूरा अमृत देवताओं के बीच बांट दिया. इसके बाद देवताओं को शक्ति और अमरत्व प्राप्त हुआ.

यह भी पढ़ें: मई में राहु-केतु, गुरु समेत 6 ग्रह-गोचर, तड़प जाएंगे 5 राशि वाले लोग; दोस्‍त भी बन जाएंगे दुश्‍मन!

मोहित हो गए थे दानव

आमतौर पर यह कथा काफी प्रचलित है कि समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को देवताओं तक पहुंचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया. भगवान के इस दिव्य रूप को देख दानव मोहित हो गए और विष्णु जी ने अमृत कलश दानवों से लेकर देवताओं में बांट दिया.

यह भी पढ़ें: किस दिन जन्‍मे बच्‍चे सबसे ज्‍यादा भाग्‍यशाली होते हैं?

भस्‍म हो गया था भस्‍मासुर

जबकि भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार से जुड़ी एक अन्य कथा यह भी है कि, श्रीहरि ने मोहिनी अवतार भस्मासुर नाम के राक्षस से देवताओं की रक्षा के लिए भी धारण किया था. धार्मिक मान्यतानुसार, भस्मासुर को यह वरदान प्राप्त था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा. भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर भस्मासुर को नृत्य के लिए कहा. मोहिनी के सौदर्य से प्रभावित होकर वह नृत्य के लिए मान गया. नृत्य करते समय भगवान ने उसका हाथ उसी के सिर पर रख दिया, जिससे वह भस्म हो गया. इस तरह से भस्मासुर का अंत भी भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार के माध्यम से हुआ.

(Disclaimer - प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

Read More
{}{}