आज के इस आधुनिक और डिजिटल दौर में हम किसी भी सवाल का जवाब कुछ ही सेकंड में पा लेते हैं. मिसाल के तौर पर जब हम किसी लफ्ज का मतलब क्या है, या किसी नए देश में सबसे सस्ता सफर कैसे करें. ये पूछते हैं तो हमें फटाफट और तफसील से जवाब मिल जाता है. ChatGPT, Gemini जैसे AI चैटबॉट्स आज हर तरह की जानकारी का आसान जरिया बन चुके हैं. चाहे बात साधारण सवालों की हो या फिर जटिल मुद्दों की, ये कुछ सेकंड में सभी सवाल के जवाब आसानी दे देते हैं.
इन AI सॉफ्टवेयर्स ने हमारी ज़िंदगी को पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ और आसान बना दिया है. चैटजीपीटी के मुताबिक, 2025 में इसके मासिक यूजर्स 180 मिलियन तक पहुंच जाएंगे. जहां एक तरफ ये AI टूल्स स्कूल प्रोजेक्ट्स, निबंधों और जनरल नॉलेज में मदद कर रहे हैं. जैसे कि किसी पुराने इतिहास पर 2000 शब्दों का निबंध को आसानी से लिख देना. वहीं दूसरी तरफ, इसका एक गंभीर और चिंताजनक पहलू भी सामने आ रहा है.
आज की युवा पीढ़ी, खासकर GenZ अब इन AI चैटबॉट्स का इस्तेमाल सिर्फ जानकारी पाने के लिए ही नहीं, बल्कि जिंदगी और मेंटल हेल्थ से जुड़ी सलाह लेने के लिए भी करने लगे हैं. चाहे रिलेशनशिप की परेशानी हो, अकेलापन, स्ट्रेस या खुद पर शक जैसी चीज़ें. युवा अब इन चैटबॉट्स से जज्बाती और जाति सवाल पूछते हैं. यहां तक कि OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने भी माना है कि नौजवान अब ChatGPT को एक 'लाइफ एडवाइज़र' की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.
लेकिन यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि कभी-कभी एआई रूढ़िवादिता और हठधर्मिता में डूबा होता है. एक्स का एआई चैटबॉट, ग्रोक, हाल ही में यहूदी-विरोधी प्रतिक्रियाएं देने के लिए आलोचनाओं का शिकार हुआ, जिसके कारण कंपनी को माफ़ी मांगनी पड़ी थी. नॉर्वे के एक रिसर्च ग्रुप ने पाया कि चैटजीपीटी कभी-कभी लोगों को संगीन जुर्म से बचने के बारे में सलाह भी देता है. नवंबर 2024 में गूगल के जेमिनी ने कथित तौर पर एक स्टूडेंट को उसके होमवर्क में सहायता करते वक्त धमकी दी और उसे 'कृपया मर जाओ' कहा. इसके एक महीने बाद टेक्सास, अमेरिका में एक परिवार ने मुकदमा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि एक एआई चैटबॉट ने उनके किशोर बच्चे को बताया कि उसके माता-पिता को मारना, उसके स्क्रीन वक्त को सीमित करने के लिए एक 'उचित प्रतिक्रिया' है. लेकिन इन स्पष्ट चिंताओं के बावजूद लोग व्यक्तिगत सलाह के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं, और इसके लिए अपने दिल और दिमाग दोनों को स्वेच्छा से खोल रहे हैं. आखिर इसमें इतना आकर्षण क्या है?
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी की छात्रा हेमाक्षी मित्तल कहती हैं कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से एआई को 'बहुत उपयोगी पाया क्योंकि चैटजीपीटी में चीजों के प्रति बहुत ही गैर-निर्णयात्मक तर्क आधारित नजरिया है, और यह आपकी उम्र, कैरियर विकल्पों या एजुकेशन के आधार पर निष्कर्ष या सुझाव नहीं देता है.' इसी तरह, 21 साल के इंजीनियर एड्रियन ने कहा कि 'यह किसी ऐसे व्यक्ति को संदेश भेजने जैसा है जो हमेशा जवाब देगा, भले ही यह सिर्फ मेरी भावनाओं को व्यवस्थित करने के लिए हो.' 22 वर्षीय खेल पत्रकार रूपम शुक्ला ने बताया कि उन्होंने अपने एक सहकर्मी से निपटने के लिए एआई का उपयोग किया था, जो उनके बारे में बुरा-भला कह रहा था और इस सलाह से उन्हें वास्तव में मदद मिली।
भारत में थेरेपी अभी भी केवल आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग तक ही व्यापक रूप से पहुंच पाती है. यही एक कारण हो सकता है कि बहुत से लोग जीवन संबंधी सलाह के लिए एआई का इस्तेमाल करते हैं, और अक्सर इसे एक डॉक्टर के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं. हेमाक्षी इस बात से सहमत हैं और कहती हैं कि, 'एक सेशन की लागत करीब 1500 से 2000 रुपये होती है और एक छात्र होने के नाते यह वास्तव में बहुत सस्ती नहीं है, इसलिए इसने (एआई) वास्तव में मेरी भावनात्मक बोझ को कम करने में मेरी मदद की है.' वहीं, 24 साल के फैजल का कहना है कि 'कई लोग सामाजिक कलंक के कारण थेरेपी नहीं लेते हैं और इस प्रकार जीवन सलाह के लिए एआई को चुनते हैं.'
हेमाक्षी कहती हैं कि अगर थेरेपी ज्यादा आसानी से मौजूद होती, तब भी वह एआई को चुनतीं, क्योंकि, 'एआई आपकी समस्या को देखता है और केवल समस्या की मूल जड़ पर ही ध्यान केंद्रित करता है, न कि आपके करियर या आपकी उम्र या आपके माता-पिता के साथ आपके रिश्ते जैसे अन्य मापदंडों पर.'
थेरेपिस्ट और मनोचिकित्सक एआई को भावनाओं और अनुभूतियों को संसाधित करने का एक मिश्रित माध्यम मानते हैं. 'इलाज के लिए एआई का उपयोग करने से न केवल आपकी गोपनीयता को खतरा होता है, बल्कि चूंकि आप मशीन के साथ गहरी व्यक्तिगत जानकारी साझा कर रहे हैं, इसलिए यह सालों की कठोर ट्रेनिंग, शिक्षा और नैतिक जिम्मेदारी को भी कमजोर करता है, जिसके लिए डॉक्टर, छात्र और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर प्रतिबद्ध होते हैं.' सुलभ सहायता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह पहचानना भी अहम है कि रियल मेडिसिन में क्या शामिल है.'
हालांकि एक्सपर्ट्स एआई को डॉक्टरों का उपयुक्त विकल्प नहीं मानते, लेकिन वे इस बात पर सहमत हैं कि इसका उपयोग उपचार प्रक्रिया में सहायता के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है.मानसी पोद्दार कहती हैं, 'लोगों द्वारा चैटबॉट्स के साथ साझा किए गए इनपुट का विश्लेषण करके, हम इस बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि व्यक्ति चिकित्सा से क्या चाहते हैं और शायद यह भी कि उन्हें मानव-नेतृत्व वाले सत्रों में क्या कमी महसूस होती है. यह डेटा समग्र रूप से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए एक उपयोगी संसाधन के रूप में काम कर सकता है.'
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहीं नहीं जा रही है और हमारे जीवन के सभी पहलुओं में मेंटल हेल्थ समेत इसका विकास निश्चित रूप से होगा, फिर भी यह महत्वपूर्ण है कि हम सलाह और सहायता के लिए सिर्फ इंसानों और ट्रेन्ड मेंटल हेल्थ प्रैक्टिशनर पर ही निर्भर रहें.
FAQs
सवाल: AI क्या है और इसका इस्तेमाल?
जावब: AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एक ऐसी तकनीक है जो मशीनों को इंसानों की तरह सोचने, सीखने और परेशानियों को हल करने में सक्षम बनाती है.
सवाल: क्या AI चैटबॉट्स थेरेपी का ऑप्शन बन सकते हैं?
जावब: AI चैटबॉट्स जैसे ChatGPT या Gemini मेंटल हेल्थ संबंधी शुरुआती जानकारी, भावनाएं व्यक्त करने का मौका और तार्किक सलाह ले सकते हैं, लेकिन ये प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का विकल्प नहीं हैं.
सवाल: क्या AI मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है?
जवाब: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, AI एक सपोर्टिंग टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन पेशेवर और क्वालीफाइड डॉक्टर पर ही किसी मरीज को निर्भर रहना पड़ेगा.