DNA Analysis: अहमदाबाद में हुए प्लेन दुर्घटना में मारे गए लोगों के अवशेषों की पहचान करने के लिए अधिकारी DNA की जांच कर रहे हैं. सभी पीड़ित परिवारों से पहले ही डीएनए के सैंपल इकट्ठा किए जा चुके हैं और कुछ की पहचान पहले ही हो चुकी है. समान जुड़वा बच्चों को छोड़कर हर व्यक्ति का DNA यूनीक होता है जो शरीर के लगभग हर कोशिकाओं(Cells)में मौजूद होता है. ऐसी घटनाओं में डीएनए के जरिए शवों की पहचान हालांकि आसान नहीं होता. लेकिन आइए जानते हैं कि यह काम कैसे करता है?
सैंपल इकट्ठा करना
किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद उसका DNA खराब होना शुरु हो जाता है. बढ़ते समय के साथ डीएनए में होने वाली गिरावट विश्लेषण करने में कई सारी मुश्किलें पैदा करती हैं. यह गिरावट इस पर भी निर्भर करती है कि शरीर से डीएनए किस तरह के टिशु से निकाला जाता है और किन परिस्थितियों में शरीर को रखा जाता है. आपको बता दें कि डीएनए गर्म और आर्द्र की तुलना में ठंडी परिस्थितियों में ज्यादा बेहतर तरीके से जीवित रहता है. यहीं कारण है कि इन्हें जल्द ही कलेक्ट कर लिया जाना चाहिए. इसके बाद इन्हें माइनस 20 डिग्री सेल्सियस पर जमाया जाना चाहिए.
जांच की तरीके
विमान दुर्घटनाओं के बाद मलबे से Tissue(ऊतक)के नमूने एकत्र करने में आमतौर पर कुछ हफ्ते का समय लगता है. लेकिन यह इस पर भी निर्भर करता है कि हादसा कितना बड़ा है. कलेक्ट किया गया DNA किसका है इसकी पहचान करने के लिए परिवार के लोगों से सैंपल लिए जाते हैं जैसे पीड़ित के माता-पिता या फिर बच्चे क्योंकि ये एक-दूसरे के डीएनए का 50 प्रतिशत तक का हिस्सा साझा करते हैं. इकट्ठा करने के बाद अगला चरण है उनसे डीएनए को निकालना.
शॉर्ट टैंडम रिपीट(STR)
यह विधि शॉर्ट टैंडम रिपीट का मूल्यांकन करती है, जो अनिवार्य रूप से डीएनए के छोटे दोहराए जाने वाले अनुक्रम होते हैं. STR का इस्तेमाल DNA पहचान के लिए किया जाता है क्योंकि वे इंसानों के बीच अलग-अलग होते हैं. इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस की रिपोर्ट के अनुसार DNA के बहुत तेजी से बदलने वाले 15 या उससे ज्यादा हिस्सों की जांच करने के बाद परिवारिक रिश्तों का पता बहुत ही भरोसे से लगाया जा सकता है. ध्यान दें कि STR आमतौर पर कोशिकाओं के न्यूक्लियस में मौजूद डीएनए में पाए जाते हैं. इसलिए एसटीआर के विश्लेषण के लिए जरूरी है कि नमूने से निकाला गया DNA खराब ना हो.
माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए
इस तरीके का इस्तेमाल तब किया जाता है जब परमाणु डीएनए खराब हो जाता है या फिर उपलब्ध नहीं होता. माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए सेल्स के एनर्जी प्रोड्यूस करने वाले अंगों में पाया जाता है जिसे माइटोकॉन्ड्रिया के रूप में जाना जाता है. एमटीडीएनए सेल्स के अंदर कई लेयर्स में मौजूद होता है इसलिए इसे अवशेषों से प्राप्त करना थोड़ा आसान होता है जो अच्छी तरह से संरक्षित नहीं होता है. इसका उपयोग पहचान के लिए किया जाता है क्योंकि mtDNA मां द्वारा अपने सभी बच्चों को दिया जाता है. इसका सीधा मतलब होता है कि किसी व्यक्ति के अवशेषों से लिए गए नमूनों का मिलान उसकी नानी, मां, भाई और दूर के रिश्तेदारों के नमूनों से किया जा सकता है लेकिन बस वह माता के परिवार से संबंधित होने चाहिए.