Antarctica Ice: ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण पिछले कुछ सालों से अंटार्कटिका की बर्फ तेजी से पिघलने लगी है. वैज्ञानिकों ने इसे बेहद चिंता का विषय बताया है. वहीं अब इसको लेकर एक नई रोशनी की किरण देखी जा रही है. अटार्कटिका में वापस बर्फ बढ़ने लगी है. इसको लेकर कुछ वैज्ञानिकों की ओर से रिसर्च की गई. रिसर्च के नतीजे चौंकाने वाले थे.
अंटार्कटिका में घटती बर्फ की चादर
ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण अंटार्कटिका में बर्फ के घटते स्तर ने वैश्विक तौर पर समस्या खड़ी कर दी है. वहीं अब हाल ही में NASA के सेटेलाइट से पता लगा है कि तापमान में वृद्धि होने के बावजूद अंटार्कटिका में बर्फ जम रही है. इस खोज ने वैज्ञानिकों को चैंकाया है. चीन स्थित शंघाई में 'टोंगजी यूनिवर्सिटी' के शोधकर्ताओं ने NASA के सेटेलाइट से प्राप्त डाटा का इस्तेमाल करते हुए अंटार्कटिका की बर्फ की चादर में पिछले 2 दशकों से अधित समय में हुए बदलाव को ट्रैक किया. कुल मिलाकर इस महाद्वीप में बर्फ के स्तर पर कमी आई है, लेकिन साल 2021-2023 के बीच अंटार्कटिका में खोई हुई बर्फ वापस आई है.
बर्फ की चादर को किया ट्रैक
'लाइवसाइंस' की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ समय से अंटार्कटिका में ज्यादा बारिश होने के कारण बर्फ अधिक बनी है. 'साइंस चाइना अर्थ साइंसेज' में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक NASA के ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरीमेंट (GRACE) और GRACE फॉलो ऑन सेटेलाइट के डाटा का विश्लेषण किया गया,जो साल 2002 से इस बर्फ की चादर पर नजर रख रहे हैं.
उम्मीद की किरण
डाटा में पता चला कि साल 2002-2020 के बीच यहां बर्फ की चादर में लगातार बर्फ का नुकसान हुआ है. साल 2002-2010 के बीच बर्फ प्रति वर्ष औसतन 81 बिलियन टन से बढ़कर साल 2011-2020 के बीच तकरीबन 157 बिलियन टन हो गई. फिर रुझान बदलते हुए साल 2021-2023 बर्फ की चादर का वजन 119 बिलियन टन प्रतिवर्ष बढ़ा. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि बर्फ में लगातार हो रही यह वृद्धि अस्थायी होगी.