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जापान में मचा हड़कंप! जानवरों से सीधे इंसानों में फैल रहा है ये जानलेवा वायरस, डॉक्टर की हुई मौत

Deadly Virus: जापान के एक जानवरों के डॉक्टर की वायरस से संक्रमित होने के बाद मौत हो गई, जो बिल्ली से संक्रमित था जिसने उसका इलाज किया था.   

जापान में मचा हड़कंप! जानवरों से सीधे इंसानों में फैल रहा है ये जानलेवा वायरस, डॉक्टर की हुई मौत
Shubham Pandey|Updated: Jun 18, 2025, 02:36 PM IST
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Killer Virus: जापान में एक पशु चिकित्सक की मौत थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (SFTS) वायरस के संक्रमण के बाद हुई थी जो कथित तौर पर एक बिल्ली से हुआ था. यह पहला मामला है जिसमें एक जानवरों के डॉक्टर की मौत किसी जानवर में फैले वायरस की वजह से हुई है. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह वायरस उन्हें टिक के काटने से नहीं हुआ जिसे आमतौर पर ऐसे वायरसों के फैलने का तरीका माना जाता है. इस घटना के बाद से ही जापान के पशु चिकित्सक संघ ने सभी सदस्य डॉक्टरों को सावधान रहने की चेतावनी जारी कर दी है. 

मई में किया था इलाज
जापान पशु चिकित्सा संघ (जेवीएमए) के एक अधिकारी ने एससीएमपी को पुष्टि की और बताया कि मृत डॉक्टर ने मई में अपने क्लीनिक में एक बिल्ली का इलाज किया था. लक्षण दिखने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई. हैरत की बात यह है कि किसी भी कर्मचारी या बिल्ली के मालिक को ये वायरस नहीं हुआ और ना ही इस डॉक्टर में टिक के काटने का कोई भी संकेत मिला. जेवीएमए के प्रवक्ता डाइसुके त्सुकामोटो ने कहा, हमें अभी पूरी तरह नहीं पता कि यह संक्रमण हुआ कैसे. NIID ने 17 पन्नों की रिपोर्ट में सलाह जारी की है कि वे टिक के काटने से बचने के लिए सतर्क रहें. 

एसएफटीएस वायरस के लक्षण
जापान के हेल्थ, श्रम और कल्याण मंत्रालय के शोध के अनुसार वायरस बुखार, ऊर्जा और भूख की कमी, उल्टी, पीलिया और टिक काटने के रूप में लक्षण लेकर आता है. White Blood Cells और प्लेटलेट्स की संख्या में कमी हो जाती है. पहली बार इस बीमारी को 2011 में पहचाना गया था. फिलहाल इसका कोई इलाज नहीं किया जा सकता, साथ ही यह संक्रमित व्यक्ति के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. एक शोध में पता चला कि 2011 में, चीन में 571 SFTS मामले और 59 मौतें दर्ज की गई थी.

किन देशों में पाया गया?
2013 में जापान में वायरस के 40 मामले सामने आए थे, यह पहली बार था जब SFTS देश में पहुंचा था. इस साल अभी तक 1,071 मामलों की पुष्टी अभी तक हो चुकी है और 117 लोगों को अपनी जाम गंवानी पड़ी है. एनआईआईडी ने 2019 में सलाह दी थी कि SFTS नाम के इस वायरस को एक नए तरह के वायरल बुखार के तौर पर देखा जाए. साथ ही इसे इबोला और डेंगू जैसे बुखारों के साथ रखा जाए. जापान में यह वायरस मुख्य तौर पर सूअर, हिरण, बकरी और भेड़ जैसे जानवरों में पाया जाता है जो इस वायरस को आगे फैलाने का काम करते हैं.

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