Lab Grown Bats: चमगादड़ हमारे वातावरण के लिए एक बेहद फायदेमंद पक्षी माना जाता है. ये कीड़ों-मकोड़ों को खाकर फसलों को किसी भी तरह के नुकसान पहुंचने से बचाते हैं, जिससे फसलों की पैदावर में वृद्धि भी होती है. इनसे कीट नियंत्रण में लाभ तो मिलता ही है साथ ही ये आर्थिक रूप से भी किसानों की मदद करते हैं. इनके कीड़ों को खाने की वजह से कीटनाशकों में खर्च होने वाले पैसे बच जाते हैं. इस महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद ये इंसानों में घातक बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
चमगादड़ों पर स्टडी
हाल ही में वैज्ञानिकों ने लैब में चमगादड़ के ऑर्गनोइड्स का इस्तेमाल करके एक स्टडी की है. ऑर्गनोइड्स हूबहू चमगादड़ ही होते हैं, जिनकी अंगों की संरचना बिल्कुल चमगादड़ों जैसे होती है और उसके काम को ही दोहराते हैं. वैज्ञानिकों ने इसके जरिए यह जानने की कोशिश की है कि वायरस मगादड़ के शरीर में किस तरह का व्यवहार करते हैं. इस स्टडी से पता चलता है कि चमगादड़ की अलग-अलग प्रजातियों और अंगों की वायरस के प्रति अलग-अलग संवेदनशीलता होती है.
वैज्ञानिकों ने कैसे की स्टडी?
शोधकर्ताओं ने स्टडी के लिए एशिया और यूरोप में पाए जाने वाले 5 कीटभक्षी चमगादड़ प्रजातियों से कई ऑर्गेनोइड बनाए. इनमें सांस लेने वाली नली, फेफड़े, गुर्दे और आंतों के मॉडल शामिल थे. ये संरचनाएं वास्तविक टिशू की तरह ही बेहद अच्छी तरह से नकल कर रही थीं, जिनमें बलगम बनाने वाली गॉब्लेट सेल्स और गैस एक्सचेंज करने वाली एल्वियोली जैसी विशेषताएं भी शामिल हैं. SARSCoV2, MERSCoV, इन्फ्लूएंजा A और सियोल ऑर्थोहैंटावायरस के संपर्क में आने पर इन ऑर्गेनोइड्स ने प्रजातियों और अंग-विशिष्ट कमजोरियों को उजागर किया. MERSCoV कई प्रजातियों के रेस्पिरेटरी ऑर्गेनोइड्स में आसानी से रेप्लिकेशन बना सकता है. वहीं दूसरी तरफ SARSCoV2 चमगादड़ के किसी भी रेस्पीरेटरी टिशू को संक्रमित नहीं कर सकता था, जब तक कि रिसर्चर्स ने एक ह्यूमन जीन TMPRSS2 नहीं जोड़ा, जो वायरस को ह्मून सेल्स में एंट्री लेने की अनुमति देता है. जंगली चमगादड़ों के मल के नमूनों का इस्तेमाल करके रिसर्चर्स 2 पहले से अज्ञात वायरस को भी अलग करने में सक्षम थे, जिनमें से एक स्तनधारी ऑर्थोरोवायरस और एक पैरामाइक्सोवायरस था.
भारत में चमगादड़ और वायरस
भारत में चमगादड़ की 120 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इन पर वायरोलॉजिकल डेटा केवल सीमित ही है. चमगादड़ ऑर्गनोइड्स और सेल लाइंस जैसे टूल्स वायरस की स्टडी और इसकी निगरानी में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा यह देश को अगली महामारी के लिए तैयार करने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.