ISRO, Gaganyaan Mission: इस समय भारत अपने पहले अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने पर फख्र कर रहा है. इसी बीच इसरो ने भी देश के पहले मानव मिशन की दिशा में बड़ा कामयाबी हासिल की है. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने बतााया है कि इसरो ने शनिवार को बताया कि गगनयान सर्विस मॉड्यूल प्रपल्शन सिस्टम (SMPS) का जरूरी टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है.
शुक्रवार को तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में मौजूद इसरो प्रपल्शन कॉम्प्लेक्स में 350 सेकंड तक इंजन का ‘हॉट टेस्ट’ किया गया, जिसमें देखा गया कि ये सिस्टम इमरजेंसी सिच्युएशन में भी सही ढंग से काम करता है या नहीं.
गगनयान सर्विस मॉड्यूल का प्रपल्शन सिस्टम यानी इंजन, स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में चलाने और कंट्रोल करने का काम करता है. इसमें दो तरह के ईंधन (बाय-प्रपलेंट) का इस्तेमाल होता है. इसमें दो मुख्य हिस्से होते हैं:-
1. लिक्विड एपोजी मोटर्स (LAM): जो स्पेसक्राफ्ट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते हैं.
2. रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS) थ्रस्टर्स: जो दिशा बदलने और स्पेसक्राफ्ट की पोजिशन को कंट्रोल करने में मदद करते हैं.
इसरो ने इस सिस्टम का एक मॉडल तैयार किया, जिसमें असली जैसी सभी चीजें थीं. जैसे- फ्यूल टैंक, पाइप, हीलियम गैस और कंट्रोल सिस्टम. इस मॉडल पर 25 बार अलग-अलग परिस्थितियों में टेस्ट किए गए, जिसमें कुल मिलाकर 14000 सेकंड तक इंजन चलाया गया.
यह टेस्ट इसलिए जरूरी था ताकि यह यकीनी बनाया जा सके कि अगर किसी वजह से मिशन को बीच में रोकना पड़े (जैसे लॉन्च के समय कोई गड़बड़ी हो जाए), तो भी सिस्टम ठीक से काम करे और अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाई जा सके. इस टेस्ट के सफल होने से इसरो ने गगनयान मिशन के एक और अहम पड़ाव को पार कर लिया है. अब अगला कदम यह है कि बाकी सिस्टम का भी टेस्ट किया जाए और सभी पार्ट्स को जोड़कर मिशन की तैयारी पूरी की जाए.
यहां यह भी बता दें कि गगनयान के कामयाब प्रक्षेपण के बाद भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन जाएगा जो खुद की ताकत पर इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा. यह सफलता भारत के अंतरिक्ष सफर में एक नया अध्याय है और गर्व की बात है कि भारत का बेटा शुभांशु शुक्ला पहले ही अंतरिक्ष में मौजूद है.