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लाइट-कैमरा-एक्शन...शुक्ला जी का लड़का स्पेस में करेगा कमाल, ISS में जाने वाले बनेंगे पहले भारतीय

Axiom Mission 4: राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे. अब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ISS यानी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले पहले भारती बनेंगे. वे एक्सिओम मिशन 4 के लिए नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिकों के साथ इस मिशन में शामिल होंगे.

लाइट-कैमरा-एक्शन...शुक्ला जी का लड़का स्पेस में करेगा कमाल, ISS में जाने वाले बनेंगे पहले भारतीय
Md Amjad Shoab|Updated: Apr 04, 2025, 08:12 PM IST
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Shubhanshu Shukla: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री ( Astronaut ) बनने का मंच तैयार हो गया है. वह बहुप्रतीक्षित एक्सिओम मिशन 4 के लिए नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिकों के साथ शामिल होंगे. ताजा अपडेट में एक्सिओम स्पेस ( Axiom Space ) ने घोषणा की है कि कमर्शियल मिशन को मई से पहले फ्लोरिडा से लॉन्च करने की योजना है. इस दौरान शुक्ला एक पायलट के रूप में काम करेंगे, जबकि नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस में मानव अंतरिक्ष उड़ान की निदेशक, पैगी व्हिटसन इस मिशन की कमांडर होंगी.

वहीं, साथ में दो मिशन एक्सपर्ट्स पोलैंड से स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू होंगे. विस्नीव्स्की यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) परियोजना के अंतरिक्ष यात्री हैं, जबकि कापू आईएसएस की अपनी पहली यात्रा पर होंगे. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा, 'जल्द ही हमारे अंतरिक्ष यात्रियों में से एक ग्रुप कैप्टन शुक्ला अगले महीने आईएसएस जाने वाले वैज्ञानिकों के साथ होंगे. यह हमारे देश में मौजूद प्रतिभा के बारे में बहुत कुछ बताता है.'

शुभांशु शुक्ला  ISS का दौरा करने वाले होंगे पहले शख्स
इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे, जबकि शुक्ला ISS का दौरा करने वाले पहले शख्स बनेंगे. शुक्ला चार ISRO अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं, जो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान-गगनयान के लिए ट्रेनिंग ले रहे हैं. एक्सिओम मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष यान से पहले लंबे वक्त तक स्पेस में रहने और काम करने का एक्सपीरियंस लेने का मौका देता है. इस बीच, बाकी एस्ट्रोनॉट्स अपनी गहन तैयारी का फेज जारी रखेंगे.

60 एक्सपेरिमेंट्स के साथ माइक्रोग्रैविटी में जीवन की जांच
स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट क्रू को आईएसएस तक ले जाएगा. डॉक किए जाने के बाद, एस्ट्रोनॉट्स परिक्रमा लेबोरेट्री में 14 दिन तक बिताएंगे और कई एक्सपेरिमेंट्स करेंगे. गुरुवार को, एक्सिओम स्पेस ने आगामी मिशन में तीनों अंतरिक्ष एजेंसियों में से प्रत्येक के लिए एक्सपेरिमेंट्स की सीरीज और रिसर्च के फोकस का भी अनावरण किया. कुल मिलाकर, एक्स-4 के रिसर्च में 60 साइंटिस्ट शामिल हैं, जो अमेरिका और भारत समेत 31 देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

इसरो के नेतृत्व में होने वाला रिसर्च माइक्रोग्रैविटी में जैविक प्रक्रियाओं की बेहतर समझ हासिल करने और लंबी अवधि के स्पेस मिशनों के लिए रणनीति डेवलेप्ड करने पर केंद्रित होगा. ग्रुप कैप्टन शुक्ला माइक्रोग्रैविटी में कंप्यूटर स्क्रीन के भौतिक और Cognitive Effect की जांच करने के साथ-साथ माइक्रोग्रैविटी में कंकाल की मांसपेशियों की शिथिलता को समझने और संभावित इलाज की खोज करने का भी कोशिश करेंगे. साथ ही, छह फसल बीज किस्मों के अंकुरण और विकास और माइक्रोग्रैविटी में बैक्टीरिया के डेवलेप पर स्पेस उड़ान के प्रभाव को समझने के लिए डिज़ाइन किए गए एक्सपेरिमेंट भी होंगे.

अंतरिक्ष में क्या करेंगे भारतीय एस्ट्रोनॉट
खास तौर पर एक्सिओम स्पेस मानव शरीर, विशेष रूप से जोड़ों, ब्लड फ्लो, स्टेम सेल, कैंसर के विकास और रेडिएशन जोखिम पर स्पेस फ्लाइट के इफेक्टस का स्टडी करने और अंतरिक्ष-आधारित रिसर्च की खोज करेंगे, जिससे पृथ्वी पर हेल्थ और ट्रीटमेंट में सुधार कर सकता है. यह माइंड और संज्ञानात्मक जोखिमों पर माइक्रोग्रैविटी के इफेक्ट्स की भी जांच करेगा और इस बात की समझ को काफी हद तक बढ़ाएगा कि इंसान अंतरिक्ष के साथ कैसे तालमेल बिठाते हैं. इसमें कहा गया है, 'ये स्टडी मानव अनुसंधान, पृथ्वी की निगरानी और जीवन, जैविक और भौतिक विज्ञान में ग्लोबल नॉलेज के आधार में योगदान देंगे, और क्रू मेंबर के देशों की स्पेस रिसर्च क्षमताओं को प्रदर्शित करेंगे.'

नासा का भविष्य का प्लान 
एक्सिओम स्पेस ने पहले तीन प्राइवेट एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में भेजा है, जिसमें 2022 में पहला प्रक्षेपण शामिल है जिसमें ISS के 17 दिनों का मिशन शामिल है. वहीं,  सबसे हालिया जनवरी 2024 का मिशन है,  जो 18 दिनों तक चला. इसके अलावा पाइपलाइन में एक्सिओम स्टेशन भी है, जो पहला कमर्शियल स्पेस स्टेशन है, जो रिसर्च, मेन्युफैक्चरिंग और मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक स्थायी मंच भी प्रदान करेगा.
इसके साथ, नासा स्पेस में कम लागत वाली पहुंच डेवलेप करने के लिए आईएसएस पर कमर्शियल मिशनों का फायदा उठाने के लिए व्याकुल है, ताकि वह मंगल ग्रह की तैयारी में चंद्रमा के लिए आगामी आर्टेमिस मिशन पर ध्यान केंद्रित कर सके, जिसमें पृथ्वी की निचली कक्षा उन गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए ट्रेनिंग मैदान के रूप में होगी.

ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में नासा के आईएसएस प्रोग्राम के प्रबंधक डाना वीगेल ने एक बयान में कहा, 'जैसा कि नासा पृथ्वी की निचली कक्षा के भविष्य की तरफ देख रहा है, निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन अद्वितीय माइक्रोग्रैविटी प्रयोग तक पहुंच का मार्ग प्रशस्त करने और विस्तार करने में मदद करेंगे.'

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