NISAR Satellite: इस मिशन की मदद से वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह धरती को देखने के हमारे नजरिए तो बदल देगा. निसार का पूरा नाम NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar है. इस सैटेलाइट को इसरो द्वारा बनाए गए जीएसएलवी मार्क II रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसे जुलाई में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. इस उपग्रह का वजन 3 टन है और हर 12 दिन में धरती का एक चक्कर लगाएगा. इसकी मदद से पृथ्वी का नक्शा और सटीक तरीके से तैयार किया जा सकेगा.
दुनिया का पहला
आपको बता दें कि NISAR दुनिया का पहला ऐसा Earth Observatory Satellite है जिसमें दोहरी फ्रीक्वेंसी वाला रडार लगाया गया है. इसे ISRO के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र और NASA की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला ने मिलकर बनाया है. यह उपग्रह L-Band और S-Band एसआर तकनीक का इस्तेमाल करके धरती पर रडार की किरणें भेजता है और उनके वापस आने को एनालाइज करता है. इससे हमें हमारे ग्रह के पर्यावरण की वो जानकारी हासिल होगी जो आज तक कभी नहीं हुई.
काफी खास है NISAR
बाकी किसी भी आम सैटेलाइट्स के मुकाबले निसार बादल, धुंआ, जमीन के नीचे की बनावट और पेड़-पौधों के आर-पार भी देखने की क्षमता रखता है. इसे जो चीज सबसे खास बनाती है वो यह है कि यह दिन हो चाहे रात, दिन के किसी भी समय और किसी भी मौसम में तस्वीरें इकट्ठा कर सकता है. इस सैटेलाइट के स्कैन से हमें बाढ़, भूस्खलन और ग्लेशियर में पिघलने जैसे बदलावों के पैटर्न को ट्रैक करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा यह उपग्रह भारत के तटों के भी डाटा को कलेक्ट करेगा और डेल्टा इलाकों में पानी की गहराई में होने वाला सलाना बदलाव पर भी नजर बनाए रखेगा. साथ ही इसका इस्तेमाल समुद्री तेल के रिसाव का पता लगाने और तेल कभी अगर फैल जाए तो उसकी सटीक जगह बताने के लिए भी किया जा सकेगा.