trendingNow12697097
Hindi News >>विज्ञान
Advertisement

स्पेस की पिच पर ISRO की तूफानी बैटिंग, डॉकिंग-अनडॉकिंग के बाद अब मारा बड़ा 'सिक्सर'

ISRO: इसरो को अंतरिक्ष के क्षेत्र में और बड़ी कामयाबी मिली है. अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (SpaDex) के तहत स्पेस एजेंसी ने डॉकिंग, अनडॉकिंग के बाद रोटेटिंग में भी कामयाबी हासिल कर ली है. बताया जा रहा है कि सैटेलाइट्स में अभी और ईंधन बाकी है तो ऐसे में और भी प्रयोग किए जाएंगे.

स्पेस की पिच पर ISRO की तूफानी बैटिंग, डॉकिंग-अनडॉकिंग के बाद अब मारा बड़ा 'सिक्सर'
Tahir Kamran|Updated: Mar 28, 2025, 08:47 AM IST
Share

SpaDex Rolling or Rotating: भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है. हाल ही में भेजे गए अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (SpaDex) की दो सैटेलाइट्स में से एक को चारों तरफ घुमाने के बाद फिर से अपनी पुरानी पोजिशन पर वापस लौटाया है. इस प्रक्रिया को रोलिंग या रोटेटिंग प्रयोग कहा जा रहा है. यह परीक्षण 13 मार्च को दो सैटेलाइट्स के अलग होने (अनडॉकिंग) के बाद किया गया है. इस कदम की तुलना चंद्रयान-3 के 'हॉप' प्रयोग से की जा रही है, क्योंकि यह भी भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण सबक प्रदान करेगा.

सैटेलाइट में बचा हुआ है काफी ईंधन

इसरो चीफ वी. नारायणन का कहना है कि यह परीक्षण पिछले हफ्ते कामयाबी के साथ पूरा हो गया है. उन्होंने कहा कि सैटेलाइट्स में अभी काफी मात्रा में ईंधन मौजूद है, इसलिए टीम से कहा गया है कि हर प्रयोग को पहले ज़मीन पर सिमुलेशन के ज़रिए अच्छी तरह से परखा जाए, ताकि कोई गलती न हो और अधिकतम डेटा हासिल किया जा सके.

आसान भाषा में समझिए

आसान भाषा में इसरो की इस सफलता को समझें तो, मान लीजिए कि आप और आपका दोस्त दिल्ली की एक शॉप के बाहर खड़े हैं. जब आप एक-दूसरे से मिलते हैं तो गले लगते हैं इसे डॉकिंग कहते हैं. फिर आपका दोस्त कुछ कदम पीछे हटता है लेकिन आपकी नजरों के सामने रहता है, इसे अनडॉकिंग कहते हैं. अब वह या तो जगह पर घूमकर वापस आता है या आपके चारों तरफ घूमकर अपनी पुरानी जगह पर लौटता है. इसरो के सैटेलाइट ने भी कुछ इसी तरह का परीक्षण किया है, जिसमें उसने दूसरी सैटेलाइट के सामने रहते हुए उसके चारों तरफ चक्कर लगाया और वापस अपनी पुरानी पोजिशन में आ गया.

क्या है इस प्रयोग का मकसद

इस प्रयोग का मुख्य मकसद यह जांचना था कि इसरो जमीन से सैटेलाइट की सही स्थिति और रफ्तारको कितनी कामयाबी के साथ कंट्रोल कर सकता है. इसके लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर, सेंसर और पोजिशनिंग तकनीकों का परीक्षण किया गया. अभी यह साफ नहीं है कि उपग्रह ने यह रोटेशन होरिजेंटल रूप से किया या लंबवत (जैसे कलाबाजी करते हुए).

चंद्रयान-4 में मिली कामयाबी

इस तकनीक को सीखना इसरो के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि भविष्य में इसे कई बड़े अभियानों में इस्तेमाल किया जाएगा. खासकर, चंद्रयान-4 के नमूना वापसी मिशन और गगनयान के मानव अंतरिक्ष उड़ान अभियानों में यह तकनीक बेहद महत्वपूर्ण होगी. इसरो को अलग-अलग परिस्थितियों में डॉकिंग करनी होगी, जिसके लिए SpaDeX मिशन के तहत कई और प्रयोग किए जाएंगे. इसरो अगले महीने एक और डॉकिंग परीक्षण की योजना बना रहा है.

इस परीक्षण से क्या मिलेगा?

इस परीक्षण से इसरो को यह समझने में मदद मिलेगी कि किसी चीज को अलग-अलग दिशाओं से एक खास जगह पर वापस कैसे लाया जा सकता है. इसके अलावा, यह चैक किया जाएगा कि क्या डॉकिंग को लंबवत रूप से किया जा सकता है. क्योंकि सैटेलाइट्स में अभी काफी ईंधन बचा हुआ है, इसलिए इसरो इस मिशन का पूरा फायदा उठाने के लिए और भी कई प्रयोग करेगा. अगली बार जब डॉकिंग होगी, तो सैटेलाइट्स के बीच पावर ट्रांसफर की भी एक और कोशिश की जाएगी, जिससे भविष्य के मिशनों की योजना और विकास में महत्वपूर्ण सबक मिलेंगे.

Read More
{}{}