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जेम्स वेब टेलीस्कोप की इस फोटो में ब्रह्मांड का कौन सा रहस्य छिपा है, आखिर पता चल ही गया

James Webb Telescope Discovery: जेम्स वेब टेलीस्कोप ने सदर्न रिंग नेबुला का फोटो लिया था. वैज्ञानिकों ने उस फोटो में छिपी हुई संरचना को खोज निकाला है.

जेम्स वेब टेलीस्कोप की इस फोटो में ब्रह्मांड का कौन सा रहस्य छिपा है, आखिर पता चल ही गया
Deepak Verma|Updated: May 02, 2024, 12:03 PM IST
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James Webb Telescope News: दक्षिणी रिंग नेबुला के रहस्य से वैज्ञानिकों ने पर्दा उठा दिया है. उन्हें पता चला है कि इस नेबुला में डबल-रिंग स्ट्रक्चर है. जो सबूत मिले हैं, उससे लगता है कि शायद इस नेबुला के केंद्र में तीन-तीन तारे मौजूद हो सकते हैं. दक्षिणी रिंग नेबुला को NGC 3132 के नाम से भी जाना जाता है. यह नेबुला हमें एक रिंग जैसा दिखाई देता है. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने दिसंबर 2022 में इस नेबुला का फोटो लिया था. उस तस्वीर में नेबुला के 'बाहरी कंकाल' पर मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन गैस बनने का खुलासा हुआ था. इस गैस का तापमान करीब 726 डिग्री सेल्सियस होता है. गैस की यह गर्मी सफेद तारे से आ रही अल्ट्रावायलेट किरणों की वजह से होती है. लेकिन नेबुला में जितनी मॉलिक्यूलर गैस है, उसका बेहद छोटा हिस्सा ही 'बाहरी कंकाल' में है. अमेरिका के रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रिसर्चर्स ने इस नेबुला की बाकी मालीक्यूलर गैस के बारे में जानना चाहा. उन्होंने नेबुला का 3D मैप तैयार किया तो हैरान रह गए. उन्हें एक और रिंग नजर आया जो मूल वाले के लंबवत था. इसका मतलब यह कि इस नेबुला के दिल में एक नहीं, दो नहीं, शायद तीन तारे हो सकते हैं. इस रिसर्च के नतीजे पिछले महीने द एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में छपे थे. 

यह प्लेनेटरी नेबुला पृथ्‍वी से करीब 2,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. दक्षिणी रिंग नेबुला 'प्लेनेटरी' जरूर है मगर इसका ग्रहों से कोई लेना-देना नहीं. ये हमारे सूरज जैसे तारों की आखिरी सांसें हैं जो आखिरकार एक सफेद बौने में बदल जाते हैं. मरते हुए तारे के बाहरी आवरण से नेबुला बनता है.

दक्षिणी रिंग नेबुला का रहस्य कैसे खुला?

रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स ने सबमिलीमीटर एरे (SMA) की मदद से खासतौर पर कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस की खोज शुरू की. चूंकि CO नेबुला के भीतर हाइड्रोजन और अन्य मॉलिक्यूलर गैसों के साथ मिली हुई है, कार्बन मोनोऑक्साइड की खोजते हुए वैज्ञानिक उन सभी अणुओं को देखना चाहते थे जो आसानी से पकड़ में नहीं आते. SMA ने कार्बन मोनोऑक्साइड के अणुओं का पता लगा लिया.

इस डेटा से रिसर्च टीम को नेबुला के 'बाहरी कंकाल' का 3डी मैप तैयार करने में मदद मिली. वैज्ञानिक यह मैप देखकर हैरान रह गए. उन्हें दिखा कि हमें जो सिर्फ एक रिंग नजर आता है, वह असल में दो ध्रुवों वाले नेबुला का एक छोर है. उन्हें एक दूसरा रिंग भी मिला जो पहले वाले के लंबवत है.

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इस खोज से नेबुला को लेकर हमारी समझ में बड़ा बदलाव आया. वैज्ञानिकों के मुताबिक, दक्षिणी रिंग नेबुला के केंद्र में एक-दो नहीं, तीन तारे मौजूद हो सकते हैं. इनमें से केवल सबसे विशालकाय तारे की मृत्यु हो चुकी होगी. लेकिन ये तीनों इतने करीब हैं कि इन्हें अलग-अलग देख पाना मुश्किल है. वैज्ञानिक नेबुला का पहला रिंग कैसे बना, यह तो समझा पाते हैं लेकिन दूसरे रिंग के बनने की वजह को लेकर श्योर नहीं हैं.

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