Hoysala Temple Karnataka: जेट के इंजन और भारत के कर्नाटक में होयसला मंदिरों की प्राचीन छत बहुत ही आश्चर्यजनक और रहस्यमय तरीके से एक जैसी लगती हैं. हालांकि यह अलग-अलग समय की घटनाएं हैं. होयसला मंदिर की छतों में पाए जाने वाले तारा-आकार के लेआउट्स और रेडियल पैटर्न और गोलाकार डिजाइन(खासकर बीच के खंभों या गुंबदों के पास)बिल्कुल ही जेट इंजन के टर्बाइन जैसे दिखते हैं.
आज का जेट इंजन
आज के समय में इस्तेमाल होने वाला जेट इंजन हवा को अंदर खींचता है, इसके बाद इसे दबाता है और फिर इसमें ईंधन को मिलाकर आग लगाता है. इस प्रक्रिया से बहुत ही हाई स्पीड से गैस निकलती है जो प्लेन को आग धकेलती है. यह हवा के विज्ञान, गर्मी के विज्ञान और और मशीन साइंस पर बना एक सिस्टम है जिसे बहुत ही सोच-समझकर तैयार किया गया है. इसमें टरबाइन के ब्लेड और गोल छल्ले जैसी बनावट को सबसे अधिक काम और ताकत देने के लिए बहुत ही बारीकी से डिजाइन किया गया है.
प्राचीन होयसला मंदिर की छत
होयसलेश्वर मंदिर या वीर नारायण मंदिर जैसी जगहों पर छतों में गोल-गोल आकृतियां बनी हुई हैं. इस पर बहुत ही बारीक और कठिन नक्काशी की गई है. जब ये बने तो इन्हें बनाने के लिए आज जैसे आधुनिक औजार मौजूद नहीं थे फिर भी ये कॉस्मिक अलाइनमेंट की बहुत ही गहरी समझ को दिखाते हैं.
क्या है दोनों का कनेक्शन?
इन पुराने मंदिरों की छत पर हुई नक्काशी और जेट इंजन की टर्बाइन एक जैसी दिखती है जिसके कारण से बहुत सारे लोगों के मन में उत्सुकता और सवाल जगता है कि क्या पुराने समय के लोग हवाई जहाज के बारे में जानते थे. भले ही छत की ये नक्काशी मशीन जैसी न हों, फिर भी ये आध्यात्मिक या ऊर्जा के भंवर को दिखा सकती हैं. ये दिखने में ऐसी लगती हैं जैसे टर्बाइन से एनर्जी फ्लो कर रही हो. कुछ लोगों का मानना है कि पुराने समय के कारीगरों को ऊर्जा या ऊर्जा का घुमान(Spiral Energy)की प्रतीकात्मक जानकारी थी जो उनके द्वारा बनाए हुए डिजाइन और मंदिर की ऊर्जा प्रवाह दोनों में ही दिखाई देती है.