Jupiter Facts: हमारे सौरमंडल में मौजूदा वक्त में आठ ग्रह हैं. हालांकि, कुछ साल पहले तक प्लूटो हमारा नौवां ग्रह था, जब तक कि ये बौने ग्रह में नहीं बदल गया. लेकिन कुछ स्टडी से पता चलता है कि प्राचीन सौरमंडल में प्लूटो को छोड़कर नौ ग्रह थे. एक थ्योरी के मुताबिक एक वक्त पांच गैसीय ग्रह थे, जिनमें बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून और एक अन्य ग्रह शामिल हैं. लेकिन, अब यह मौजूद नहीं है. तो ऐसे में सवाल उठता है कि इसका क्या हुआ? यह ग्रह कहां चला गया? हो सकता है कि यह अंतरतारकीय अंतरिक्ष ( Interstellar Space ) में कहीं दूर चला गया हो. शायद बृहस्पति की वजह से एक दुष्ट ग्रह ( Evil planet ) की तरह भटक रहा हो. या फिर यह मायावी ग्रह नौ हो सकता है, जिसे लेकर इन दिनों काफी चर्चाएं हो रहीं हैं.
ऐसा माना जाता है कि बृहस्पति ने अरबों साल पहले एक ग्रह को सौरमंडल से बाहर निकाल दिया था. यह भी एक गैस दानव ( Gas Giant ) था, लेकिन यूरेनस और नेपच्यून की तरह एक बर्फीला प्लैनेट था. वैज्ञानिकों ने पहली बार 2011 में इस दूसरे प्लानेट के वजूद पर का प्रस्ताव पेश किया था. पृथ्वी और मंगल की ऑर्बिट्स को समझाने की कोशिश में वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सौरमंडल में चीजें हमेशा ऐसी नहीं थीं, जो मौजूदा वक्त की तस्वीर में साफतौर पर समझ में नहीं आई.
बृहस्पति या शनि
इससे रिसर्चर को यह पता चला कि सौरमंडल में कभी एक और ग्रह था, जिसे करीब चार अरब साल पहले बाहर निकाल दिया गया था. लेकिन, वे यह पता नहीं लगा सके कि ये कौन ग्रह है. माना जा रहा है कि यह बृहस्पति या शनि में से कोई भी हो सकता है. हालांकि, 2015 में कनाडाई वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक स्टडी में पाया गया कि आखिरकार बृहस्पति ने ही इस रहस्यमय ग्रह को बाहर निकाला. टोरंटो यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता रयान क्लाउटियर ने कहा, 'हमारे सबूत बृहस्पति की तरफ इशारा करते हैं.' उन्होंने आगे कहा कि यह 'अंतरग्रहीय शतरंज के खेल' जैसा है.
'जंपिंग जुपिटर'
जबकि बृहस्पति हमेशा से सौरमंडल में उस जगह पर नहीं रहा है जहां वह आज है. 'जंपिंग-ज्यूपिटर' परिदृश्य का प्रस्ताव है कि सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह सूर्य की तरफ अंदर की ओर चला गया, और इस प्रक्रिया में एक ग्रह को बाहर निकाल दिया. यह सुचारू रूप से आगे नहीं बढ़ा, बल्कि कई बार छलांग लगाई, जिसकी वजह से इसे 'जंपिंग जुपिटर' कहा जाने लगा.
इसके विशाल आकार के कारण इसका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव इतना मजबूत था कि इसने बाकी कक्षाओं को बाधित कर दिया. उनमें से एक इतना करीब आ गया कि आखिरकार उसे सौर मंडल से बाहर निकाल दिया गया. इस प्रवास को ग्रैंड टैक परिकल्पना द्वारा और ज्यादा साफ किया गया है. इसके मुताबिक, बृहस्पति सूर्य से 3.5 AU की दूरी पर बना, फिर 1.5 AU की दूरी पर अंदर की तरफ चला गया. इसने शनि को Orbital Resonance में कैद कर लिया, आखिरकार 5.2 AU पर स्थिर हो गया.
नौवें ग्रह का सबूत
सौरमंडल के किनारे पर बर्फीले पिंड हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कोई ग्रह सौरमंडल से बाहर निकल गया होता, तो वह ग्रहों के छोटे-छोटे टुकड़ों को बिखेर सकता था, जिससे ऊर्ट बादल ( Oort Cloud ) बन सकता था. इसके अलावा, सौरमंडल की मौजूदा संरचना भी साबित करती है कि पांचवां गैस विशालकाय ग्रह था. कहा जा रहा है कि कुइपर बेल्ट में सौरमंडल के सभी धूमकेतु, क्षुद्रग्रह ( Asteroid ) और अन्य पदार्थ भी संभवतः ग्रह के निष्कासन की वजह से उत्पन्न हुए होंगे.
क्रिमिनल प्लानेट का पता कैसे लगाया गया?
टोरंटो यूनिविर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बृहस्पति और शनि के चंद्रमाओं कैलिस्टो और इपेटस को देखने का फैसला किया. इस दौरान उन्होंने इस बात की जांच की कि अगर उनमें से किसी एक ने किसी ग्रह को बाहर निकाल दिया हो, तो क्या चंद्रमा की अपनी वर्तमान कक्षा ( Current Orbit ) होने की संभावना है. द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित स्टडी में क्लाउटियर ने लिखा है, 'आखिरकार हमने पाया कि बृहस्पति पांचवें विशाल ग्रह को बाहर निकालने में सक्षम है, जबकि कैलिस्टो की कक्षा वाला एक चंद्रमा उसके पास बना हुआ है.' ऐसे में चलिए जानते हैं कि नौवा ग्रह कहां गया?
नौवां ग्रह कहां है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि नौवा ग्रह आकाशगंगा ( Galaxy ) में भटक सकता है, या नहीं तो कहीं गहरे अंतरिक्ष ( Deep Space ) में. हालांकि, कुछ सालों से वैज्ञानिक नेपच्यून से कहीं आगे नौवें ग्रह को लेकर बात कर रहे हैं. उन्होंने कुइपर बेल्ट में लंबी अवधि की वस्तुओं की कक्षाओं में बदलाव देखा है. इसके बारे में उन्हें लगता है कि नौवां ग्रह इस अजीब घटना की व्याख्या कर सकता है. जबकि कुछ लोगों का मानना है कि जिस ग्रह को बाहर निकाल दिया गया था, वह आखिरकार हमें छोड़कर नहीं गया और वास्तव में हमारे तारे से करीब 400 और 800 AU (खगोलीय इकाइयों) की दूरी पर सूर्य से बहुत दूर परिक्रमा करना जारी रखा है. इसकी तुलना में, प्लूटो हमारे सूर्य से केवल 30 से 50 AU की दूरी पर है.