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गगनयान मिशन: बात तो इंसान के जाने की हो रही थी, साइंटिस्ट मक्खियां क्यों भेज रहे?

Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन को लेकर पूरा देश इसरो की तरफ देख रहा है. यह स्पेस के क्षेत्र में एक बड़ा मिशन है. हालांकि इंसानों से पहले साइंटिस्ट अब मक्खियां क्यों भेज रहे? इसके पीछे एक बड़ा कारण है. सीधा कनेक्शन गुर्दे की पथरी से है. क्या है पढ़िए?

गगनयान मिशन: बात तो इंसान के जाने की हो रही थी, साइंटिस्ट मक्खियां क्यों भेज रहे?
Anurag Mishra|Updated: Feb 14, 2025, 11:58 AM IST
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यह तो सबको पता है कि भारत गगनयान मिशन के तहत स्वदेशी यान से अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस में भेजने की तैयारी कर रहा है. हालांकि कम लोग जानते होंगे कि इससे पहले 20 मक्खियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. आपके मन में सवाल उठेगा कि ऐसा क्यों? दरअसल, इन 20 फ्रूट फ्लाइज (मक्खियों) को इस हिसाब से सिलेक्ट किया गया है जिसके जीन इंसानों से 77 प्रतिशत मेल खाते हैं.

UAS-धारवाड़ और आईआईएसटी तिरुवनंतपुरम के इस प्रयोग का उद्देश्य माइक्रो ग्रैविटी में गुर्दे की पथरी बनने की प्रक्रिया को समझना है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है जिससे एस्ट्रोनॉट के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का पहले से ही प्रभावी उपाय तैयार किया जा सके.

गगनयान मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में भारत की बड़ी छलांग है. इसका नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) कर रहा है. गगनयान भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं वाले देशों के एक चुनिंदा समूह में शामिल करेगा. यह मिशन भारत की तकनीकी प्रगति को दिखाता है. साथ ही भविष्य के इनोवेशन और एक्सपेरिमेंट के दरवाजे भी खोलता है. इससे स्पेस के रहस्यों से पर्दा उठेगा. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए यूएएस-धारवाड़ द्वारा विकसित 20 मक्खियों को अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले मिशन गगनयान 2025 के लिए चुना गया है.

किडनी स्टोन का कैसा खतरा?

ये छोटे जीव मनुष्यों के साथ करीब 77% जीन समानता रखते हैं, जो उनके वैज्ञानिक प्रयोग के लिए बेहतर स्थिति है. दरअसल, इसरो मिशन के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहा है. गगनयान में इन मक्खियों की भागीदारी एस्ट्रोनॉट्स के स्वास्थ्य के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ान में इंसानों को कई दिक्कतें हो सकती हैं. इसमें हड्डियों को नुकसान, यूरिन को लेकर समस्या और डिहाइड्रेशन शामिल हैं. इसके चलते किडनी में स्टोन बनने का बड़ा जोखिम रहता है.

इन फ्रूट फ्लाई की मदद से वैज्ञानिक यह समझेंगे कि अंतरिक्ष में गुर्दे की पथरी कैसे बनती है. इसकी जांच कर वैज्ञानिक जीवन रक्षक उपाय तैयार कर सकते हैं. इस प्रयोग के लिए भारत के 75 कृषि विज्ञान विश्वविद्यालयों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा की गई थी. उसके बाद सिलेक्शन हुआ. इस खोज से पृथ्वी की कक्षा के बाहर होने वाले दूसरे अंतरिक्ष मिशनों को भी लाभ होगा.

गगनयान मिशन कब तक

गगनयान प्रोजेक्ट में तीन सदस्यों के चालक दल को तीन दिन के मिशन के लिए 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा. उन्हें भारतीय समुद्री जल में उतारकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा. इसकी लॉन्च तारीख अभी तय नहीं है लेकिन सब कुछ सही रहा दो साल में ऐसा संभव हो सकता है. (फोटो- एआई)

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