NASA: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. इसने पहली बार ग्रह प्रणाली ( Planetary System ) में कार्बन डाइऑक्साइड की सीधी तस्वीरें ली हैं. यह खोज 130 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित HR 8799 नामक प्रणाली में की गई, जो साबित करती है कि इस प्रणाली के विशाल ग्रह उसी प्रक्रिया से बने हैं, जिससे बृहस्पति और शनि बने थे. इसे कोर एक्रीशन (Core Accretion) कहा जाता है.
नासा के मुताबिक, यह खोज ग्रहों के निर्माण को बेहतर समझने और अन्य ग्रह प्रणालियों से तुलना करने में मदद करेगी. यह एक्सोप्लैनेट (दूसरे तारों के ग्रहों) के अध्ययन में एक बड़ी उपलब्धि है.
कैसे हुई यह खोज?
जेम्स वेब टेलीस्कोप में एक खास तकनीक कोरोनाग्राफ लगी हुई है, जो चमकते तारों की तेज रोशनी को ब्लॉक कर देती है. यह उसी तरह काम करती है, जैसे सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य की रोशनी को ढक देता है. इस तकनीक की मदद से वैज्ञानिक प्लैनेट्स को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और उनकी वायुमंडलीय गैसों ( Atmospheric Gases ) का स्टडी कर सकते हैं.
वैज्ञानिकों ने खास इन्फ्रारेड तरंगदैर्ध्य (Infrared Wavelengths) पर फोकस करके इन ग्रहों की वायुमंडलीय संरचना की जांच की. इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड के मजबूत संकेत मिले, जिससे यह पता चला कि इन ग्रहों के वातावरण में भारी तत्व जैसे कार्बन, ऑक्सीजन और लोहे की अच्छी मात्रा है. इससे यह सिद्ध होता है कि ये ग्रह कोर एक्रीशन प्रक्रिया से बने हैं, जो हमारे सौरमंडल में ग्रह बनने की प्रक्रिया के समान है.
HR 8799 प्रणाली
HR 8799 प्रणाली केवल 30 मिलियन (तीन करोड़) साल पुरानी है, जो हमारे 4.6 बिलियन (460 करोड़) साल पुराने सौरमंडल की तुलना में बहुत छोटी है. इस प्रणाली के ग्रह अभी भी अपने निर्माण की गर्मी छोड़ रहे हैं, जिससे वे इन्फ्रारेड रोशनी उत्सर्जित करते हैं. इससे वैज्ञानिकों को इन ग्रहों की उत्पत्ति का स्टडी करने का शानदार अवसर मिला.
Planet Formation के दो तरीके
कोर एक्रीशन (Core Accretion):- इस प्रक्रिया में पहले एक ठोस कोर बनता है, जो धीरे-धीरे गैस इकट्ठा करके एक विशाल ग्रह बन जाता है.
डिस्क अस्थिरता (Disk Instability):- इस प्रक्रिया में गैस और धूल की डिस्क ठंडी होकर तेजी से बड़े पिंडों में बदल जाती है.
HR 8799 प्रणाली में ग्रहों का निर्माण कोर एक्रीशन से हुआ है, जिससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि हमारे जैसे सौरमंडल कितने सामान्य या असामान्य हैं.
भविष्य की खोजों के लिए नई राह
अब तक केवल कुछ ही एक्सोप्लैनेट (हमारे सौरमंडल से बाहर के ग्रह) को सीधे देखा गया है, क्योंकि वे अपने सितारों की तुलना में बहुत धुंधले होते हैं. लेकिन जेम्स वेब टेलीस्कोप अब इन ग्रहों की रासायनिक संरचना को सीधे देखने और समझने में सक्षम हो रहा है. इससे वैज्ञानिक अन्य ग्रह प्रणालियों को हमारे सौरमंडल से तुलना करके यह समझ सकते हैं कि हमारा सौरमंडल कितना अनोखा या सामान्य है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विलियम बाल्मर ने कहा, 'हमारी खोज का मकसद सिर्फ दूसरे ग्रहों को देखना नहीं है, बल्कि यह समझना है कि हमारा सौरमंडल और हमारा जीवन ब्रह्मांड में कितना खास या सामान्य है.'