Father of Atomic Bomb: इजरायल और ईरान एक-दूसरे पर ताबड़तोड़ हमला कर रहे हैं. एक परमाणु शक्ति बनना चाहता तो दूसरा उसे रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है. दुनिया भर में होने वाले कई सारे युद्धों में एक बात बहुत कॉमन दिखती है और वह है एटम बॉम्ब. आइए जानते हैं कि जिस बम के लिए दुनिया लड़ रही है उसके पीछे की कहानी क्या है?
रॉबर्ट ओपेनहाइमर
इस वैज्ञानिक का जन्म 22 अप्रैल 1904 को अमेरिका के न्यू यॉर्क में हुआ था. उनके परिवार का कपड़ों का व्यापार था और वह बहुत अमीर लोग थे. जिस उम्र में बच्चे खेल-कूद का सोचते थे उसी उम्र में ओपेनहाइमर किताबों से दोस्ती कर चुके थे. कम उम्र में ही वह बड़ी-बड़ी खोज कर रहे थे उन खोज की सारी जानकारी वे न्यूयॉर्क के मिनरेलॉजिकल क्लब में अपनी चिट्ठियों के जरिए दे रहे थे. दिलचस्प बात यह थी कि उस क्लब को ओपेनहाइमर की उम्र का कोई अंदाजा नहीं था.
पहला परमाणु परीक्षण
16 जुलाई 1945, तीन साल से Oppenheimer एक मिशन पर काम कर रहे थे जिसका नाम Project-Y था. जिस प्रोजेक्ट पर वह काम कर रहे थे वह दुनिया बदलने वाला था. इसी तारीख पर एटम बम का परीक्षण होना था. जैसे ही बम का परीक्षण हुआ तेज भूकंप आया और सब समझ गए कि इतिहास रच दिया गया है और दुनिया को पहला एटम बम मिल गया.
दुनिया के लिए काल
बम के मिलते ही अमेरिका ने इसका इस्तेमाल जापान पर किया जिससे हिरोशिमा और नागासाकी में तबाही आ गई जिसकी नींव Oppenheimer द्वारा रखी गई थी. इसमें लाखों लोगों की जान चली गई. शायद ओपेनहाइमर को भी इस बात का अहसास हो गया था कि उन्होंने दुनिया को कितना खतरनाक हथियार दिया है, तभी उन्होंने भगवत गीता का एक श्लोक कहा था जिसका मतलब है, मैं अब काल हूं जो दुनिया का नाश करता हूं.