Saudi Plane Accident: बात है 1980 की जब सऊदी के रियाद में प्लेन के सुरक्षित लैंड होने के बाद भी 301 लोगों की जान चली गई थी. इस घटना के बाद पता चला कि पायलट लोगों को निकालने का ऑर्डर ही नहीं दे पाया. बता दें कि यात्रियों को बाहर निकालने के लिए केबिन क्रू को पायलट का सिग्नल मिलना जरूरी है. ये हादसा हमेशा के लिए केस स्टडी बन गया.
सऊदी फ्लाइट 163
सऊदी फ्लाइट 163 रियाद से जेद्दा के लिए जा रही थी. इस फ्लाइट में 287 पैसेंजर्स समेत 14 क्रू मेंबर्स सवार थे. लॉकहीड ट्राईस्टार L-1011-200 प्लेन रियाद से उड़ान भर चुका था. उड़ान भरने से 7 मिनट बाद ही क्रू टीम को चेतावनी मिली. उस समय यह फ्लाइट लगभग 35,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर रही थी. फ्लाइट इंजीनियर ने जानकारी दी कि Crew को कार्गो डिपार्टमेंट से धुएं की जानकारी मिली है. एयरक्राफ्ट के टेल के पास लगे स्मोक डिडेक्टर से धुआं आ रहा था.
कुछ नहीं समझ पाए फ्लाइट क्रू
वॉर्निंग मिलने के बाद के लगभग 4 मिनट इंजीनियर और पायलट ने सिर्फ स्थिति का अंदाजा लगाने में ही निकाल दिए. बाद में इंजीनियर ने कैप्टन को बताया कि केबिन के पीछ बहुत धुआं भर रहा है. इसके बाद कैप्टन ने रियाद वापस जाने का निर्णय लिया. तभी एक फ्लाइट अटेंडेंट अचानक डेक में आई और जोर से चिल्लाकर कहा कि आग लग गई है.
सुरक्षित लैंडिंग-फिर भी गई जान
पायलट ने सोचा कि आग पीछे की तरफ लगी है और गंभीर नहीं है और प्लेन की रियाद में सेफ लैंडिंग हो गई. इसके बाद पायलट का काम था कि सभी को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश की जाए. लेकिन पायलट ने प्लेन को रोका नहीं और रनवे पर धीरे-धीरे चलने दिया. प्लेन रूकने के 3 मिनट 15 सेकंड बाद पायलट ने ईंजन बंद किया.
घुट-घुट कर मरे लोग
इस समय तक फ्लाइट के पिछले हिस्से को छोड़कर कहीं भी आग नहीं दिख रही थी. इंजन बंद होने के करीब 23 मिटन बाद ग्राउंड स्टाफ ने दूसरा दरवाजा खोला और 3 मिनट के बाद प्लेन ने भयानक आग पकड़ ली और सभी 301 लोगों की मौत हो गई. लेकिन, मौत का कारण आग नहीं बल्कि धुएं के कारण दम घुटने से था. दरवाजा खोलने से पहले ही सारे लोग मर चुके थे.