Gold Formation History: सोना दुनियाभर की सबसे कीमती धातुओं में से एक है. भारत में शुभ अवसरों पर सोना पहनने की परंपरा भी है. कीमती होने के कारण आए दिन सोने की कीमतों में उछाल भी होता रहता है. क्या आपके मन में कभी सवाल उठा है कि आखिर धरती पर सोना कहां से आया?
धरती पर कैसे आया सोना
धरती पर हमेशा से सोना मौजूद नहीं था. वहीं पूरे ब्रह्मांड में गोल्ड सुपरनोवा न्यूक्लियो सिंथेसिस के जरिए सोना बन जाता है. पृथ्वी पर जो सोना पाया जाता है वो आज से अरबों साल पहले हुई उल्का वर्षा (Meteor Shower) के कारण मिला है. माना जाता है कि आज से लगभग 4 अरब साल पहले हमारी पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी होने लगी थी. इस दौरान पृथ्वी पर मौजूद धातुएं ठंडी होकर धरती के आसपास जमने लगीं.
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समुद्र में पहुंचा सोना
जमीन की बाहरी परत का घनत्व प्रति घन सेंटीमीटर 2.6 ग्राम है, जिसके चलते मैग्नीशियम, एलुमिनियम, पोटेशियम, कैल्शियम और सोडियम जैसे तत्व इसके ऊपरी सतह पर अभरकर आने लगे. ये तत्व काफी हल्के थे. वहीं तांबा, मर्क्यूरी, शीशा, प्लेटिन और लोहा जैसी भारी धातुएं पाताल में चली गईं. धरती पर प्लेट्स की चहल-पहल के कारण ज्वालामुखी विस्फोट होने लगा, जिससे अंदर मौजूद धातू उछलकर पृथ्वी की सतह पर आने लगे. धीरे-धीरे ज्वालामुखी के पिघलने से सोने के कण समुद्रों और नदियों में जाने लगे. ये कण इतने छोटे होते थे कि इन्हें हासिल करने में काफी मेहनत और समय लगता था.
भारत में कैसे आया सोना?
दुनियाभर में गोल्ड प्रिजर्व स्टोर की बात करें तो भारत इसमें सबसे आगे है. भले ही हमारी नदियों में सोने के कण नहीं पाए जाते हैं, लेकिन हमारे पास कापी सोना है. दरअसल सालों से भारत के व्यापारी विदेशों में कपड़ा, मसाले और कलाकृतियां बेचा करते थे. उस वक्त सोना बेहद जरूरी होता था. सामानों को बेचने के बदले व्यापारियों को खूब सोना मिलता था. भारत में सदियों से व्यापार के जरिए सोना-चांदी आता रहा है. ऐसा करते-करते हमारा देश गोल्ड का प्रिजर्वर बन गया. आज के समय में भारत के पास लगभग 10000 टन से अधिक सोना है.