Science News: खगोल वैज्ञानिकों ने एक बार फिर बड़ी चेतावनी दी है. बता दें कि मिल्की वे और सुपरमैसिव ब्लैक होल के बीच टकराव हो सकता है. वैज्ञानिकों को लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड में अदृश्य ब्लैक होल का संकेत मिला है. अगर यह ब्लैक होल टकराता है तो एक विशाल ब्लैक होल बना सकता है. जिसकी वजह से तबाही मच सकती है.
ब्लैक होल्स जबतक पदार्थ को नहीं खींचते तब तक इन्हें पहचानना कठिन होता है क्योंकि वे तब तक कोई रोशनी नहीं छोड़ते हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों ने इस ब्लैक होल का पता लगाने के लिए उन तारों का अध्ययन किया जो सामान्य से बहुत तेज गति से चलते हैं, जिन्हें हाइपरवेलोसिटी स्टार कहा जाता है. इन तारों की गति से पता चला कि ये किसी छिपे हुए ब्लैक होल के प्रभाव में हैं. इसका द्रव्यमान सूर्य से करीब 600,000 गुना अधिक हो सकता है
वैज्ञानिक आकाशगंगा में हाइपरवेलोसिटी सितारों का अध्ययन कर रहे हैं, जो अपनी आकाशगंगा में अन्य सितारों से बहुत तेज़ गति से चलते हैं. इन सितारों का तेज़ी से चलना यह संकेत देता है कि वे एक छिपे हुए सुपरमैसिव ब्लैक होल के कारण तेज़ी से चल रहे हो सकते हैं. यह संभावना है कि ये सितारे हिल्स मेकेनिज़्म के तहत तेजी से खींचे गए हैं. हिल्स मेकेनिज़्म एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक ब्लैक होल और दो सितारों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक सितारा अंतरिक्ष में फेंका जाता है.
शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष दूरबीन के डेटा का उपयोग करके ऐसे 21 हाइपरवेलोसिटी सितारों की खोज की है. जिनमें से 9 सितारे बड़े मैगेलैनिक बादल से आए थे. ये यह संकेत देते हैं कि वहां एक छिपा हुआ ब्लैक होल है. जो कि भविष्य में लार्ज मैगेलैनिक क्लाउड और मिल्की वे के टकराने पर यह ब्लैक होल हमारी आकाशगंगा के केंद्र में जाकर एक और विशाल ब्लैक होल बना सकता है. अगर ऐसा हुआ तो ब्रह्मांड में तबाही मच सकती है.
खगोलविदों का मानना है कि यह एक तरीका है जिससे ब्लैक होल अपेक्षाकृत छोटे आकार से और भी बड़े हो सकते हैं. ऐसे में यह देखना अविश्वसनीय होगा कि हमारी आकाशगंगा में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे हो रही है या ज्यादा तेज, भले ही हम इसका समापन देखने के लिए हम मौजूद न हों. वैज्ञानिकों की टीम को उम्मीद है कि भविष्य के शोध से उन्हें अस्तित्व की पुष्टि करने और अपनी आकर्षक नई खोज के गुणों को निर्धारित करने में मदद मिलेगी.