HIV Virus: एचआईवी वायरस को निष्क्रिय करने की तरफ वैज्ञानिकों ने बहुत ही लंबी छलांग मारी है. अमेरिकी शोधकर्ताओं ने ऐसे आवणिक(Molecular)की पहचान की है जो एड्स वायरस को लंबे समय तक सोने की अवस्था में पहुंचा सकता है. यह जीन थेरेपी के माध्यम से स्थायी तौर पर करना अब संभव होता दिख रहा है. इससे मरीजों को हर दिन की दवाओं से काफी राहत मिलेगी.
जीन थेरेपी की मदद
अमेरिका स्थित जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में बताया है कि एड्स वायरस को मानव शरीर में निष्क्रिय करने के लिए जीन थेरेपी का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है. यह खोज वायरस को तो स्थायी तौर पर रोकने की क्षमता रखती है, लेकिन साथ ही वर्तमान समय में इस्तेमाल हो रही एंटीरेट्रोवायरल दवाओं के दुष्प्रभावों से भी आजादी मिल सकती है. यह पूरी रिसर्च Science Advance पत्रिका में प्रकाशित हुई है.
गहरी नींद में चला जाएगा वायरस
वैज्ञानिकों ने इस खोज में एंटीसेंस ट्रांसक्रिप्ट(AST)नाम के एक अणु(Molecule)की भूमिका के बारे में भी बताया है. यह HIV की अनुवांशिक सामग्री से बनता है और वायरस तो ऐसी हालत में पहुंचा देता है जहां वह अपनी संख्या बढ़ा नहीं पाता. इस रिसर्च का एक खास हिस्सा 15 लोगों पर आधारित था जो HIV से जूझ रहे थे. उन मरीजों की अनुमति लेने के बाद Immunity Cells इकट्ठी की गईं. इन कोशिकाओं में AST डाल कर देखा गया कि वायरस काम कर रहा है या नहीं. यहां भी पहले जैसे ही नतीजे मिले जिसमें वायरस निष्क्रिय हो गया.
ART का लंबा इस्तेमाल
World Health Organization की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 3.99 करोड़ लोग HIV से संक्रमित हैं जिनमें से 6.3 लाख लोगों की हर साल मौत हो जाती है. अभी तक का मुख्य इलाज एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी है जिसे रोजाना लेने की जरूरत पड़ती है. इसके लंबे इस्तेमाल से लीवर डैमेज, मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्या आती है जबकि जीन थेरेपी के पहले ही खुराक में असर दिखता है.
इस तरह से की गई खोज
शोधकर्ताओं की टीम ने सीडी4+टी कोशिकाओं में बदलाव कर AST के उत्पादन को बढ़ा दिया. वैज्ञानिकों ने DNA में ऐसे तत्वों को डाला जो AST की कॉपीज बना सकें. इसरे बाद फ्लोरोसेंट प्रोटीन जीएफपी की मदद से यह मापा गया कि वायरस कितनी तेजी से खुद को बना रहा है. AST के होने से वायरस का खुद को दोहराना लगभग-लगभग जीरो हो गया.