Black Home Bomb: बम शब्द सुनते ही आपको कोई विस्फोट या किसी तरह का विस्फोटक समझ में आता होगा. वहीं वैज्ञानिकों ने भी पहली बार लैब में ब्लैक होल बम जिंदा किया है. अब आप सोच रहे होंगे किया क्या ये कोई हथियार या विस्फोटक है तो बता दें कि आपको बिल्कुल भी घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह ब्लैक होल को समझने के लिए लिया गया एक स्टेप है.
क्या है ब्लैक होल बम?
दरअसल ब्लैक होल बम कोई बम नहीं बल्कि एक थ्योरी है. यह 1970 के दशक में सामने आई थी. फेमस साइंटिस्ट याकोव जेल्दोविच और रोजर पेनरोज ने आइडिया दिया था कि ब्लैक होल न सिर्फ निगलता है बल्कि उसकी स्पिन के जरिए ऊर्जा को भी बढ़ाया जा सकता है. इससे इतनी एनर्जी पैदा हो सकती है कि यह खुद ही बम की तरह फट सकता है. इसलिए इसे ब्लैक होल बम कहा गया.
वैज्ञानिकों ने साबित की थ्योरी
अब तक इस थ्योरी को लेकर केवल कागज और समीकरण ही था, लेकिन अब मैरियन क्रॉम्ब के नेतृत्व में कई वैज्ञानिकों की टीम ने इसे पहले बार लैब में साबित कर दिखाया है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने घूमने वाला एक एल्युमीनियम सिलेंडर लिया और उसे ऐसे चुंबक वाले इलाकों में रखा, जो उसके चारों तरफ फैल रहे थे. खास बात ये थी कि ऊर्जा का व्यवहार बाहरी चुंबकीय क्षेत्र के सिलेंडर से तेज या धीमा घूमने पर बदल रहा था.
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ब्लैक होल थ्योरी का रियल वर्जन
बता दें कि जब सिलेंडर चुंबकीय इलाके की दिशा में लेकिन उससे तेज स्पीड से घूमता है तो इससे चुंबकीय इलाके की ताकत बढ़ती है. वहीं अगर सिलेंडर धीमा घूमने लगता है तो इससे ऊर्जा घटने लगती है. इसे ही उस ब्लैक होल की थ्योरी का रियल वर्जन माना जा रहा है, जिसे अबतक हम किताबों में पढ़ रहे थे. बता दें कि यह खोज ब्लैक होल के बारे में बहुत कुछ जानने के लिए दरवाजा खोल सकती है.