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Science News: वैज्ञानिकों ने पहली बार एक्सोप्लैनेट पर खोजी कार्बन डाइऑक्साइड, जानें क्यों खास है रिसर्च

James Webb Space Telescope: स्पेस को लेकर लगातार चल रहे रिसर्च के बीच वैज्ञानिकों को अब एक एक्सोप्लैनेट पर कार्बन डाइऑक्साइड के मौजूद होने के सबूत मिले हैं. ऐसा पहली बार है, जब वैज्ञानिकों को किसी एक्सोप्लैनेट पर कार्बन डाइऑक्साइड होने का पता चला है.

नासा द्वारा जारी एक्सोप्लैनेट की तस्वीर
नासा द्वारा जारी एक्सोप्लैनेट की तस्वीर
Zee News Desk|Updated: Aug 26, 2022, 06:31 PM IST
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Discovered Carbon dioxide on an Exoplanet: आकाशगंगा का रहस्य समझने के लिए वैज्ञानिकों की रिसर्च लगातार जारी है. इसी के साथ अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) के अत्याधुनिक जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने एक ऐसी चीज खोजी है जिससे अंतरिक्ष को लेकर नए खुलासे हो सकते हैं. नासा के वैज्ञानिकों को इस बार एक ऐसे ग्रह के बारे में पता चला है जिसके वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस होने का सबूत मिला है. अब इस पर लगातार रिसर्च चल रही है ताकि पृथ्वी से बाहर भी किसी दूसरे ग्रह पर जीवन की तलाश की जा सके. 

कैसी है ग्रह की संरचना

WASP-39b नाम के इस ग्रह की खोज वैज्ञानिकों ने पहले ही कर ली थी. इस ग्रह का द्रव्यमान (मास) बृहस्पति के द्रव्यमान से चार गुना कम है. लेकिन इसका व्यास बृहस्पति से 1.3 गुना ज्यादा है. इस ग्रह की दिलचस्प बात ये है कि यह गर्म गैसों के किसी गुबार जैसा है. वैज्ञानिकों ने बताया कि इस पर जल वाष्प, सोडियम और पोटेशियम का पता पहले ही लगा लिया गया था. इसके लिए हबल और स्पिट्जर दूरबीनों का इस्तेमाल किया गया था. आपको बता दें कि ये अनोखा ग्रह पृथ्वी से करीब 700 प्रकाश वर्ष दूर है. 

ग्रह पर क्या है खास

इस गर्म गैस वाले ग्रह पर जीवन की संभावना कम ही है क्योंकि इसका तापमान लगभग 900 डिग्री सेल्सियस है. लेकिन इस खोज के बाद वैज्ञानिकों को एक आशा की किरण जरूर दिखी है. आपको बता दे कि नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने पहली बार किसी एक्सोप्लैनेट पर कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होने के सबूत दिए हैं. ये ग्रह भी हमारी पृथ्वी के जैसे एक तारे की परिक्रमा करता है और ये अपनी इस परिक्रमा को केवल चार दिन में पूरा कर लेता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी ग्रह के वायुमंडल की संरचना उस ग्रह की उत्पत्ति और उसके विकास के बारे में बहुत सारी जानकारी देती है, जो आगे की रिसर्च में वैज्ञानिकों की काफी मदद करती है.    

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