Universe: दुनिया 13.6 अरब साल से वजूद में है. वैज्ञानिक सदियों से इस पर नज़र रख रहे हैं. आकाशगंगाएं ( Galaxies ), प्लानेट्स-बाहरी ग्रह और तारे हैं जिनके बारे हम अभी जानने की कीशिश जारी हैं. इनमें से अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो अभी तक खोजा नहीं जा सका है, जिसमें सबसे अहम एलियन की जिंदगी भी शामिल है. हालांकि, यह सब एक दिन खत्म होना ही है. कायनात का वजूद भी खत्म हो जाएगा. इसे लेकर वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है.
दरअसल, वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लैक होल लगातार पदार्थ को खाए जा रहा है और तारों के लगातार मरने और पैदा होने के बावजूद ब्रह्मांड आज काफी स्थिर है, जिसे वैक्यूम अवस्था ( Vacuum State ) भी कहा जाता है. हालांकि, यह कभी भी बदल सकता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि वे क्वांटम इलाकों की तरफ इशारा करते हैं, जिनमें से एक किनारे पर हो सकता है और दूसरी एक नई अवस्था में एंट्री कर सकता है. इसी वजह से अस्थिरता पैदा हो होगी है और इसी तरह से ब्रह्मांड का अंत हो सकता है.
ब्रह्मांड हो जाएगा खत्म!
जबकि फिजिक्स में अस्थिरता को मिथ्या वैक्यूम क्षय ( False Vacuum Decay ) के रूप में भी जाना जाता है. जब ऐसा होता है तो एक तूफान जैसी स्थिति पैदा होगी, जो ब्रह्मांड में फैल जाएगी और सब कुछ खत्म कर देगी. फिजिक्स के नियम जो ब्रह्मांड की मौजूदा हालात को देखकर बनाए जाते हैं. वो भी बदल जाएंगे. वहीं, विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र ( Electromagnetic Field ) एक ऐसा ही क्वांटम क्षेत्र ( Quantum Field ) है.ये कर्व्ड मैगनेटिक लाइंस के टुकड़ों को खींचने के लिए जिम्मेदार होती हैं. हालांकि, ये रेखाएं हमें दिखाई नहीं देतीं, लेकिन ये पूरी दुनिया में मौजूद हैं.
क्या हिग्स फील्ड अस्थिर है?
हिग्स क्षेत्र एक इनविजिबल एनर्जी फील्ड है जो पूरे ब्रह्मांड में फैला हुआ है. यह एक ऐसी जगह है जहां मूल कणों ( Fundamental Particles )को द्रव्यमान मिलता है और इसमें कुछ खास गुण होते हैं. इसे लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि हिग्स स्थिर तो दिखता है, लेकिन यह एक झूठी या अस्थायी वैक्यूम अवस्था में हो सकता है. इससे भी कम अवस्था में प्रवेश कर सकता है. सभी क्वांटम फील्ड अपनी सबसे कम ऊर्जा अवस्था तक पहुंचने के लिए पाबंद हैं. हिग्स के लिए भी यही सच है. अगर यह अभी अपने सबसे निचले बिंदु पर नहीं है, तो किसी दिन ऐसा होने की संभावना है. इससे हिग्स क्षेत्र में बदलाव आएगा.
'ब्रह्मांड अब वह जीवंत स्थान नहीं रह जाएगा जो आज है'
साथ ही, ब्रह्मांड की भौतिकी और रसायन शास्त्र में भी बदलाव आएगा. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में सैद्धांतिक भौतिकी के प्रोफेसर डेविड टोंग कहते हैं जब ऐसा होता है, तो 'हाइड्रोजन के अलावा ज्यादातर परमाणु अस्तित्व में नहीं रह जाते और विघटित हो जाते हैं.' उन्होंने पॉपुलर मैकेनिक्स का जिक्र करते हुए बताया, 'परमाणु अभिक्रियाएं अब काम नहीं करतीं, इसलिए तारे चमकने में विफल हो जाते हैं. रसायन विज्ञान विंडो से बाहर चला गया है, इसलिए जीवन संभव नहीं है. ब्रह्मांड अब वह अद्भुत, जीवंत स्थान नहीं रह जाएगा जो आज है.'
तबाही के पीछे का कारण
इस तबाही के पीछे ब्रह्माण्ड पर बुलबुला ( Bubbles ) नामक कुछ होगा. यह बुलबुला तब होता है जब ट्रू वैक्यूम ब्रह्मांड के एक हिस्से से पूरे ब्रह्मांड में फैलता है. जर्मनी में फ़ोर्सचुंग्सज़ेंट्रम जुलिच के पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर जाका वोडेब, पीएच.डी. और उनकी टीम ने एक स्टडी प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि 'ब्रह्माण्ड संबंधी बुलबुले जटिल इंटरऐक्शन के माध्यम से फैलते हैं.'
थ्योरी एक तरीका पेश करता है कि जिससे ब्रह्मांड खत्म हो सकता है. हालांकि, टोंग कहते हैं कि यह घटना 'ब्रह्मांड की मौजूदा उम्र से करीब एक अरब, अरब, अरब, अरब, अरब, अरब गुना ज्यादा वक्त लेती है. इसलिए जब भी ऐसा होगा. इंसान मुमकिन तौर पर बहुत पहले ही समाप्त हो चुके होंगे.