Science News: आमतौर पर देखा जाता है कि लोग रहने के लिए अपने अनुकूल जगहों की तलाश करते हैं. जैसे अगर सर्दी है तो लोग गरम जगहों की तलाश करते हैं और गर्मी है ठंडी जगहों की तलाश करते हैं, मौसम का बदलना मनुष्यों के जीवन के लिए भी जरूरी होता है. हालांकि वैज्ञानिकों ने एक बड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि पृथ्वी पर मनुष्यों के लिए बहुत गर्म स्थान इस सदी में तीन गुना बढ़ जाएंगे. जानिए इसके पीछे की क्या वजह है.
बढ़ जाएगी गर्मी
वैज्ञानिकों ने बताया है कि अगर पेरिस समझौते के द्वारा निर्धारित जलवायु लक्ष्य तक पहुंच पाने में सफल होते हैं तो हम ऐसी दुनिया में रह सकते हैं जो इस सदी के अंत में अभी की तुलना में 2 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो सकती है. ऐसे में पृथ्वी पर मनुष्यों के रहने के अनुकूल कम ही जगहें होंगी. इसके अलावा कहा कि 0.5 डिग्री अतिरिक्त गर्मी जुड़ेगी जिसकी वजह से ग्रह पर भूमि का क्षेत्रफल तीन गुना हो जाएगा. जो एक मनुष्य ते रहने के लिए बहुत ही ज्यादा गर्म होगा. ऐसा कहा जा रहा है कि ये गर्मी संयुक्त राज्य अमेरिका के आकार के एक भूभाग को खत्म करने के बराबर है.
इनके लिए होगा खतरा
साथ ही वैज्ञानिकों ने बताया है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए, जिनके शरीर अत्यधिक गर्मी के प्रति और भी अधिक संवेदनशील हैं उनके लिए 35 प्रतिशत भूभाग पर खतरा फैला होगा. जो 21 प्रतिशत से अधिक होगा. साथ ही बताया कि यह कुछ ऐसा है जिसके लिए हमें तैयार रहने की आवश्यकता है, खासकर इसलिए क्योंकि ये अनुमान वैश्विक तापमान वृद्धि परिदृश्यों के हल्के छोर पर हैं.
क्या है निष्कर्ष
वैज्ञानिक टॉम मैथ्यूज ने कहा कि हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि यदि वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है, तो इसके संभावित घातक परिणाम हो सकते हैं. इसके अलावा कहा कि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से लगभग 4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान पर वयस्कों के लिए असहनीय गर्मी वैश्विक भूमि क्षेत्र के लगभग 40 प्रतिशत को प्रभावित करेगी. केवल ठंडी जगहों पर रहने वाले लोग ही प्रभावित नहीं होंगे.
इसके अलावा कहा कि हमारे सबसे स्वस्थ होने पर भी, हमारा शरीर केवल इतना ही सामना कर सकता है. पसीना आने और नींद आने के कारण शायद आपकी मृत्यु न हो, लेकिन आप उन परिस्थितियों में भी ठीक से नहीं जी पाएंगे. आपको बहुत ही ज्यादा गर्मी महसूस होगी. जिसमें आपके शरीर में आंतरिक तापमान को स्थिर करने के लिए उसके तंत्र की तुलना में अधिक गर्मी जाती है. यह एक ऐसी समस्या है जिसका सामना लोग काफी चरम स्थितियों में करते हैं, जो अक्सर व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के कारण और भी बढ़ जाती है.
गर्मी की वजह से घटनाएं
इसके अलावा बताया कि हाल के वर्षों में, फारस/अरब की खाड़ी, भारत-गंगा के मैदान और यहां तक कि दक्षिणी अमेरिका, मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग हॉटस्पॉट जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी की घटनाएं हुई हैं. जो युवा वयस्कों की अप्रतिपूरित सीमाओं को भी पार कर जाती हैं. इसके बाद ऐसी असहनीय गर्मी होती है जो आपको मार सकती है.
पार होगी सीमा
अध्ययन में कहा गया है कि इसे शरीर के मुख्य तापमान के रूप में परिभाषित किया गया था जो आमतौर पर 37 डिग्री सेल्सियस होता है. छह घंटे या उससे कम समय में 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान पर, केवल 60 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों के लिए कुछ क्षेत्रों में असहनीय सीमाएं पार हो जाएंगी. लेकिन अगर हम जीवाश्म ईंधन का उत्सर्जन जारी रखते हैं और वायुमंडलीय कार्बन को अवशोषित करने वाले पारिस्थितिकी तंत्रों को नष्ट करते हैं, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है, तो हम 2 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वक्र को पर्याप्त रूप से समतल नहीं कर पाएंगे.
असहनीय जोखिम
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 4-5 डिग्री अधिक तापमान पर, कुछ क्षेत्रों में किसी भी उम्र के लोगों के लिए गर्मी जानलेवा स्तर तक पहुंच जाती है. 60 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों को पृथ्वी की सतह के 60 प्रतिशत हिस्से में असहनीय गर्मी का अनुभव हो सकता है, और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में किसी भी उम्र के लोगों के लिए असहनीय गर्मी एक जोखिम बन जाती है. बता दें कि यहां पर वर्तमान समय में पूरी मानव आबादी की 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रहता है.