Immortal Tardigrade: 2024 में वैज्ञानिकों ने इसकी खास क्षमता के पीछे तीन तंत्रों की पहचान की थी. पहले, टार्डिग्रेड ने बैक्टीरियी की अनुवांशिक सामग्री ली है जिससे यह जीव बेटालेंस नाम का सुरक्षा यौगिक बना सकते हैं. इसके अलावा इनके पास रेडिएशन के बचने के लिए प्रोटीन है जो DNA की मरम्मत तेजी से करता है. अंत में, माइटोकॉन्ड्रियल प्रोटीन कोशिकाओं की प्रक्रिया को बढ़ाते हैं ज रेडिएशन से हुए नुकसान की मरम्मत करने में मदद करता है.
क्या है टार्डिग्रेड?
टार्डिग्रेट को वायट बियर(पानी का भालू)या मास पिगलेट के नाम से भी जाना जाता है. ये पानी में रहने वाले सूक्ष्म जीव है जो जीवित रहने की अपनी अद्भुत क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं. इसकी खोज सबसे पहले 1773 में जर्मनी के प्राणी वैज्ञानिक जोहान अगस्ट एप्रम गोएज ने किया था. लैटिन भाषा में टार्डिग्रेड का अर्थ होता है धीमी गति से चलने वाला जीव जो उसकी सुस्त और भालू जैसी आदतों को दर्शाता है. इनकी लंबाई की बात करें तो यह आमतौर पर 0.3 मिमी से 0.5 मिमी तक लंबे होते हैं जिस कारण से इन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूपत पड़ती है.
शारीरिक संरचना
इनकी शारीरिक संचरना भी इन्हें बहुत अधिक महत्वपूर्ण बनाती है. आपको बता दें कि इसके 8 पैर होते हैं जिसमें हर एक के अंत में छोटे-छोटे पंजे होते हैं.उनका शरीर खंडित होता है और अक्सर ऐसा देखा गया है कि टार्डिग्रेड का शरीर एक सख्त न्यूटिकल से ढका होता है. ये जीव धरती पर लगभग हर जगह पाए जाते हैं जैसे काई, मिट्टी, लाइकेन, मीठे पानी, समुद्री वातावरण, गहरे समुद्र और गर्म झरने.
क्यों महत्वपूर्ण है टार्डिग्रेड?
अंतरिक्ष में इस सूक्ष्म जीव के पुनरउद्धार, प्रजनन और अस्तित्व की जांच की जाएगी. चरम प्रतिकूल(Extreme Adverse)स्थितियों में भी इसके जीवित रहने की विधियां अंतरिक्ष में इंसानों की सुरक्षा में काफी सहायक हो सकते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह पृथ्वी पर कैंसर के उपाचार को भी बेहतर बनाने में मदद कर सकता है. साथ ही इनके जीवित रहने के तंत्र को समझने से चंद्रमा और मंगल पर स्थायी पारिस्थितिक तंत्र(Ecosystem)बनाने में मदद मिल सकती है. वैज्ञानिकों को उम्मी है कि वह लंबे अंतरिक्ष मिशनों पर यात्रियों की सुरक्षा के तरीके खोज पाएंगे जहां रेडिएशन का स्तर धरती की तुलना में कहीं अधिक होता है.