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Axiom Mission: अंतरिक्ष में जाकर ये 7 काम करेंगे शुभांशु शुक्ला, जानिए किस-किसने सौंपी ये जिम्मेदारी

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Axiom Mission 4 के स्पेस में जाने वाले हैं. नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होने वाले इस मिशन के तहत 7 प्रयोग करेंगे, चलिए जानते हैं कि वो 7 प्रयोग कौन से हैं. 

Axiom Mission: अंतरिक्ष में जाकर ये 7 काम करेंगे शुभांशु शुक्ला, जानिए किस-किसने सौंपी ये जिम्मेदारी
Tahir Kamran|Updated: Jun 21, 2025, 09:10 PM IST
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Axiom मिशिन-4 इसी महीने 22 जून को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होना था लेकिन फिलहाल इसकी लॉन्चिंग को टाल दिया गया और नई तारीख का ऐलान होना अभी बाकी है. इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला भी हिस्सा ले रहे हैं. शुभांशु इंटरनेशल स्पेस स्टेशन पर भारत की तरफ से बनाए गए 7 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. जिन्हें भारत की स्पेस एजेंसी ISRO के अलावा कुछ अन्य भारतीय संस्थानों ने तैयार किया है.

इन सभी प्रयोगों का मकसद यह जानना है कि अंतरिक्ष में जिंदगी, खेती और सेहत से जुड़े पहलुओं पर क्या असर पड़ता है और भविष्य में स्पेस मिशनों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है. चलिए जानते हैं कि वो 7 प्रयोग कौन से हैं जिन्हें 

1. मायोजेनेसिस (Myogenesis)

पहला प्रयोग मांसपेशियों की कमजोरी पर आधारित है, जो स्पेस में गुरुत्वाकर्षण न होने की वजह से होती है. बेंगलुरु के InStem संस्थान के जरिए चलाए इस प्रयोग में मांसपेशियों के कमजोर होने की वजह और उसके इलाज की तलाश की जाएगी. 

2. खाने वाली फसलों के बीजों पर प्रयोग

इस प्रयोग में 6 तरह की फसलों के बीज अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे. इसका मकसद है यह समझना है कि बिना गुरुत्वाकर्षण के बीज कैसे तैयार हो सकते हैं और क्या इन्हें अंतरिक्ष में उगाया जा सकता है. यह प्रयोग केरल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जरिए मिलकर किए जा रहा है.

3. सलाद बीजों का अंकुरण यानी (Sprouting)

धारवाड़ एग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी और IIT धारवाड़ के जरिए यह प्रयोग किया जाएगा. इसमें यह देखा जाएगा कि सलाद के बीज अंतरिक्ष में कैसे उगते हैं और उनकी पोषण क्षमता व गुण किस तरह बदलते हैं.

4. वॉयेजर टार्डीग्रेड (Voyager Tardigrade)

यह प्रयोग भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के जरिए किया जाएगा. इसमें बेहद मुश्किल हालात में जिंदा रहने वाले टार्डीग्रेड नामक सूक्ष्म जीवों को अंतरिक्ष में स्टडी किया जाएगा कि कैसे वे खुद को फिर से जीवित करते हैं और किस तरह वहां का तनाव झेलते हैं.

5. वॉयेजर डिस्प्ले प्रयोग

यह भी IISc के जरिए किया जा रहा है. इसमें यह चैक किया जाएगा कि अंतरिक्ष में स्क्रीन का इस्तेमाल करने से मानसिक और शारीरिक असर क्या होता है. जैसे स्क्रीन को छूना, आंखों की गतिविधि, तनाव का स्तर आदि।

6. साइनोबैक्टीरिया पर रिसर्च

यह प्रयोग ICGEB (भारत) और European Space Agency मिलकर कर रहे हैं. इसमें यह जांचा जाएगा कि पानी में रहने वाले साइनोबैक्टीरिया अंतरिक्ष में कैसे प्रकाश संश्लेषण करते हैं.

7. माइक्रोएल्गी पर रिसर्च

यह प्रयोग ICGEB और NIPGR (भारत) की तरफ से की जा रही है. इसमें यह पता लगाया जाएगा कि 3 तरह के माइक्रोएल्गी अंतरिक्ष में बिना गुरुत्वाकर्षण के कैसे बढ़ते हैं और उनका मेटाबोलिज्म व जीन किस तरह काम करते हैं.

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