trendingNow12077312
Hindi News >>विज्ञान
Advertisement

Rhino Population: असम हो या केन्या अब खूब नजर आएंगे गैंडे, कामयाब आईवीएफ का किया गया दावा

Rhino IVF News:  अब इसे इंसानों का हस्तक्षेप कहें बहुत से जानवर विलुप्त होते जा रहे हैं, गैंडे भी उनमें से एक हैं. लेकिन बर्लिन में लेबनिज इंस्टीट्यूट फॉर जू ने आईवीएफ का सफल दावा किया है. वैसे तो यह प्रयोग गैंडों पर किया गया है. हालांकि उम्मीद अब दूसरे जानवरों के लिए भी जग गई है.

Rhino Population: असम हो या केन्या अब खूब नजर आएंगे गैंडे, कामयाब आईवीएफ का किया गया दावा
Lalit Rai|Updated: Jan 25, 2024, 10:04 AM IST
Share

What is rhino ivf: इंसानों में तो आईवीएफ के बारे में सुना होगा. लेकिन अब जानवरों में भी इस तकनीक के सफल इस्तेमाल की उम्मीद जगी है. इसकी मदद से उन जानवरों को बचाने में मदद मिलेगी जो विलुप्त होने के कगार पर हैं. एक सींग वाले गैंडे पर इसका प्रयोग किया गया है और नतीजे खुश करने वाले हैं. बर्लिन में नाजिन और फातू गैंडों पर इसका प्रयोग किया क्योंकि वो प्राकृतिक तरीके से प्रेग्नेंट नहीं हो पा रही थीं.

बर्लिन में दावा

बर्लिन में लेबनीज इंस्टीट्यूट फॉर जू एंड वाइल्डलाइफ रिसर्च के लिए काम करने वाली सुसैन होल्ज ने बताया कि गैंडों में आइवीएफ को आप बड़ी कामयाबी मान सकते हैं. इस कामयाबी से हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि आने वाले समय में हम सफेद गैंडों की प्रजाति को बचा पाने में सक्षम होंगे. पहले सफेद रंग वाले गैंडे सेंट्रल अफ्रीका के जंगलों में मिलते थे. सामान्य तौर पर यह अपने ग्रुप में कम हिंसक माने जाते हैं. लेकिन उस इलाके में जब राइनो का शिकार तेज हुआ तो उसका असर गैंडों की संख्या पर पड़ा. अभी भी सींग के लिए शिकार की वजह से उन पर खतरा अधिक है.

हमने वो किया जो कभी..

इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक और रिसर्चर हिल्डरब्रैंट कहते हैं कि हमने वो कर दिखाया है जिसके बारे में अभी तक सोचा भी नहीं जाता था. सामान्य तौर पर इसे संभव भी नहीं माना जाता था. यह कामयाबी इस लिए भी अहम है क्योंकि एक बुल में आइवीएफ तकनीक का इस्तेमाल किया गया. लेकिन संक्रमण की वजह से भ्रूण सरवाइव नहीं कर सका. ऐसा कहा जाता है कि पिंजड़े में बैक्टीरिया की वजह से भ्रूण संक्रमित हो गया था. भ्रूण की उम्र महज 70 दिन थी. 

अगले फेज में वैज्ञानिक जीवित मादाओं के अंडों और लंबे समय से मृत दो नरों के संरक्षित शुक्राणुओं से बने अन्य भ्रूणों के साथ इस उपलब्धि को दोहराने की कोशिश करेंगे. हिल्डेब्रांट ने कहा कि टीम का लक्ष्य अगले दो से ढाई साल में नॉर्दर्न सफेद गैंडे के बच्चे को पैदा करना है. इस प्रक्रिया में सरोगेट को एनेस्थीसिया देकर नाजुक ऑपरेशन सिर्फ एक घंटे के अंदर किया जाता है. विशेषज्ञों की टीम के पास 2019 से जीवित मादाओं के अंडे थे  बता दें कि सुडान नाम के आखिरी मेल गैंडे की 2018 में केन्या के वाइल्डलाइफ में मौत हो गई थी. 

Read More
{}{}