Sunita Williams: एक तरफ अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स जहां पर धरती पर वापसी को लेकर उत्साहित हैं वहीं दूसरी तरफ उनके सामने एक और समस्या खड़ी होने वाली है. पिछले कई महीनों से सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर के धरती पर लौटने का इंतजार हो रहा है. वह घड़ी जैसे- जैसे नजदीक आ रही है लोगों में उत्साह बढ़ता जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर करीब 8 महीने गुजारने के बाद विलियम्स को धरती पर इन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
तालमेल बैठाने की चुनौती
धरती पर लौटने के बाद सुनीता विलियम्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से दोबारा तालमेल बैठाने की होगी. सुनीता को खुद को इसमें ढालना काफी मुश्किल होगा. उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में आठ महीने से अधिक समय बिताया है, वापसी के बाद वो महत्वपूर्ण शारीरिक परिवर्तनों का अनुभव करेंगी उनके शरीर के लिए गुरुत्वाकर्षण का असर एक झटके जैसा होगा.
पेंसिल उठाना होगा मुश्किल
इसे लेकर के उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर ने बताया कि जब दोनों अंतरिक्ष यात्री घर लौटेंगे तो गुरुत्वाकर्षण सबसे बड़ी चुनौती होगी. गुरुत्वाकर्षण वास्तव में कठिन है और जब हम वापस लौटेंगे तो हमें यही महसूस होगा. गुरुत्वाकर्षण ऐसा होगा कि पेंसिल उठाना भी एक भारी काम लगने लगेगा.
इन परिस्थितियों से गुजरना होगा
वहीं सुनीता विलियम्स ने कहा कि परिस्थितियों को अनुकूलन करना थोड़ा मुश्किल होगा. जब आपकी मांसपेशियों में तेजी आती है तो तालमेल बैठाने में समय लगता है. अंतरिक्ष पर उन्हें जिन परिस्थितयों में मजा आया है वो धरती पर पहुंचने के 24 घंटे के अंदर ही उन्हें खोना शुरू कर देंगे. रिपोर्ट के अनुसार माइक्रोग्रैविटी में लंबे समय तक रहने से मांसपेशियों में शोष और हड्डियों के घनत्व में कमी सहित कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं. वजन उठाने वाली गतिविधियों की कमी के कारण अंतरिक्ष यात्री प्रति माह अपनी हड्डियों के द्रव्यमान का 1% तक खो सकते हैं. बता दें कि वापसी के बाद सुनीता विलियम्स को रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम से गुजरना होगा जिससे वो फिर से अपने शरीर को पृथ्वी की परिस्थितियों के अनुकूल बना सकें. दोनों अंतरिक्ष यात्री 19 मार्च को धरती पर वापसी के लिए अंतरिक्ष से निकलेंगे.