हाल ही में सूरज के एक्टिव रीजन में 41 14 से एक तेज X1.9-कैटेगरी की सौर ज्वाला (Solar Flare) निकली, जिससे प्रशांत महासागर और हवाई में शार्टवेव रेडियो संचार को बुरी तरह प्रभावित कर दिया. यह घटना 19 जून को हुई और 20 जून की सुबह 6.20 बजे अपने चरम पर पहुंची. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यह सौर ज्वाला एक्स-रे और अल्ट्रावायलेट किरणों के साथ आईं. हालांकि फिलहाल उत्तर और दक्षिण ध्रुवों पर रोशनी दिखने की संभावना नहीं है. क्योंकि इसके साथ कोई शक्तिशाली कोरोनल मास इजेक्शन (CME) नहीं जुड़ा था.
कहा जा रहा है कि इस तेज सोलर एक्टिविटी ने सूरज के दक्षिणी हिस्से में एक बड़ी चुंबकीय फिलामेंट को अस्थिर कर दिया है, जिससे आने वाले दिनों में और गतिविधियों की संभावना जाहिर की जा रही है. जब ऐसी सौर ज्वालाएं जमीन से टकराती हैं तो वे वायुमंडल में इलेक्ट्रॉन की मात्रा बढ़ा देती हैं, जिससे हाई-फ्रीक्वेंसी सिग्नल कमजोर या गायब हो जाते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सौर ज्वाला से निकलने वाली किरणें कुछ ही मिनट में जमीन तक पहुंच गईं और हमारे वायुमंडल के ऊपरी हिस्से को आयनित (किसी पदार्थ को आयनों में बदलना) कर दिया. इसका असर 25 MHz से नीचे के रेडियो सिग्नलों पर पड़ा, जिससे खासकर समुद्री इलाकों और हवाई में हैम रेडियो ऑपरेटरों को सिग्नल बाधित होने की शिकायत हुई.
सौर ज्वालाओं को उनकी ताकत के बुनियाद पर बांटा गया है. जिसमें X-क्लास सबसे खतरनाक मानी जाती है. X1.9 की यह ज्वाला मौजूदा सौर चक्र की सबसे ताकतवर घटनाओं में से एक मानी जा रही है. इसी क्षेत्र से कुछ दिन पहले X1.2-श्रेणी की ज्वाला भी निकली थी.
अब यह क्षेत्र (Sunspot 4114) वैज्ञानिकों की खास निगरानी में है क्योंकि इसकी चुंबकीय गतिविधि लगातार तेज हो रही है और भविष्य में यह और भी खतरनाक ज्वालाएं पैदा कर सकता है. अगर आगे कोई CME जुड़ा हुआ धमाका होता है, तो वह भू-चुंबकीय तूफान और ऑरोरा जैसी घटनाओं को जन्म दे सकता है.