Quantum Communication: आज के वक्त में हम इंटरनेट और डिजिटल टेक्नोलॉजी पर पहले से कहीं ज़्यादा निर्भर हो गए हैं. चाहे बैंकिंग क्षेत्र हो, प्राइवेट मैसेज हों या सैटेलाइट संचार. ऐसे में अपनी जानकारी को महफूज रखना अब किसी ऑप्शन की बात नहीं, बल्कि एक ज़रूरत बन गई है. अभी जो डेटा सिक्योरिटी सिस्टम है, वह जटिल गणितीय फॉर्मूलों पर आधारित होती है. जब भी आप अपना बैंक अकाउंट खोलते हैं या कोई निजी मैसेज भेजते हैं, तो आपका पासवर्ड एक लॉक की तरह काम करता है जिसे तोड़ना बेहद मुश्किल होता है. मसलन, अमेरिका की एक सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर El Capitan, जो एक सेकंड में 1.742 क्विंटिलियन (17 के बाद 17 शून्य!) गिनती कर सकता है, उसे भी इस एन्क्रिप्शन को तोड़ने में सैकड़ों साल लग सकते हैं.
लेकिन अब फ्यूचर की साइबर सिक्योरिटी गणित से नहीं, बल्कि क्वांटम फिज़िक्स से तय होगी. खासकर क्वांटम एंटैंगलमेंट नाम की एक रहस्यमय लेकिन बेहद ताकतवर तकनीक से. इसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने "spooky action at a distance" कहा था. इसे लेकर भारत भी तेज़ी से काम कर रहा है. इसरो (ISRO) और डीआरडीओ (DRDO) मिलकर ऐसे क्वांटम कम्युनिकेशन सिस्टम पर काम कर रहे हैं, जो पूरी तरह से हैक-प्रूफ हो सकते हैं. इससे न सिर्फ सैटेलाइट डेटा, बल्कि बैंकिंग और डिफेंस सेक्टर की जानकारियां भी पूरी तरह सुरक्षित रह सकेंगी.
हालांकि, मंडराता खतरा अब भी बरकरार है. लेकिन पूरी तरह से विकसित क्वांटम कंप्यूटर इन पहेलियों को सेकंडों में हल कर सकते हैं. इसका मतलब है कि अगर हम क्वांटम-सिक्योर कम्युनिकेशन में बदलाव नहीं करते हैं तो ईमेल, बैंक लेनदेन और नेशनल सिक्रेट तुरंत उजागर हो सकते हैं.
तो, क्वांटम Entanglement संचार को कैसे सुरक्षित बनाता है?
कल्पना कीजिए कि मैसेज इतने सुरक्षित तरीके से भेजे जाएं कि उन्हें हैक करने की कोई भी कोशिश स्वचालित अलार्म को ट्रिगर कर दे - जैसे कि कॉस्मिक ट्रिपवायर. यह क्वांटम की ( Quantum Key ) वितरण (QKD) का वादा है. जब दो कण, जैसे कि फोटॉन, उलझे हुए होते हैं, तो उनकी मौजूदगी दूरी की परवाह किए बिना जुड़ी रहती है. यह पृथ्वी पर एक जादुई पासा फेंकने और आकाशगंगा के किनारे पर दूसरे पर समान परिणाम देखने जैसा है.
क्वांटम सेटिंग में दो यूजर्स- जिन्हें आम तौर पर ऐलिस और बॉब कहा जाता है. क्वांटम कणों का इस्तेमाल करके एन्क्रिप्शन कुंजियों का आदान-प्रदान करते हैं. अगर कोई तीसरा पक्ष, ईव, key को रोकने की कोशिश करता है, तो क्वांटम स्थिति गड़बड़ा जाती है, जिससे यूजर्स को तुरंत उल्लंघन के बारे में पता चल जाता है.
चाहे हवा, फाइबर ऑप्टिक्स या सैटेलाइट्स के जरिए से प्रेषित किया जाए, क्वांटम-सिक्योरिटी कम्युनिकेशन सुनिश्चित करता है कि किसी भी तरह की जासूसी का प्रयास न केवल पता लगाया जा सकता है - बल्कि बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप से इस प्रक्रिया को बंद कर देता है. इस तकनीक के साथ भारत एक ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है जहां डेटा वास्तव में हैक नहीं किया जा सकता है.
क्वांटम सिक्योरिटी
क्वांटम-सिक्योरिटी कम्युनिकेशन को लागू करने के कई तरीके हैं. इनमें ऑप्टिकल फाइबर, फ्री-स्पेस एयर लिंक और तेजी से बढ़ते उपग्रह-आधारित चैनलों के माध्यम शामिल हैं. फाइबर आधारित क्वांटम कम्युनिकेशन शहरों के भीतर सुरक्षित संपर्कों के लिए उपयुक्त है, जबकि फ्री-स्पेस कम्युनिकेशन का उपयोग छतों या मोबाइल कनेक्शनों के लिए किया जाता है. हालांकि, वास्तविक गेम-चेंजर उपग्रह-आधारित क्वांटम संचार है, जहां उपग्रह सैकड़ों या यहां तक कि हजारों किलोमीटर तक क्वांटम कुंजियों को संचारित करते हैं.
DRDO का कमाल
भारत इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है. इसरो ने हाल ही में 300 मीटर की दूरी पर Entanglement-Based Quantum-सुरक्षित संचार का प्रदर्शन किया, जहां फोटॉन और लेजर के माध्यम से प्रेषित सुरक्षित क्वांटम कुंजियों का इस्तेमाल करके एन्क्रिप्टेड वीडियो को सफलतापूर्वक डिक्रिप्ट किया गया. एक अन्य सफलता में डीआरडीओ ने आईआईटी दिल्ली की मदद से 1 किलोमीटर से ज्यादादूरी तक हैक-प्रूफ संचार हासिल किया. ये उपलब्धियां न केवल तकनीकी रूप से बेहतर हैं, बल्कि नेशनल सिक्योरिटी और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से भी अहम हैं.
पूरी दुनिया की नजर
विश्व स्तर पर चीन अपने मीसियस सैटेलाइट के साथ इस दौड़ में सबसे आगे है, जो 1,200 किलोमीटर से ज्यादा सुरक्षित क्वांटम संचार को सक्षम बनाता है, इसके बाद यूरोप और अमेरिका में अग्रणी शहरी प्रयोग हैं. हालांकि, भारत वर्तमान में उपग्रह-आधारित इंप्लीमेंटेशन में पीछे है, फिर भी इसका Dual Civil-Military Approach इसे अद्वितीय फायदा प्रदान करता है. भारत का 1 किमी फ्री-स्पेस और 100 किमी फाइबर प्रदर्शन प्रभावशाली है, लेकिन चीन की उपग्रह क्षमताओं से पीछे है.
हालांकि, ISRO ने पहले ही स्पेस बेस्ड क्वांटम कम्युनिकेशन के लिए योजनाओं की रूपरेखा तैयार कर ली है, और डीआरडीओ सुरक्षित युद्धक्षेत्र और ग्रामीण तैनाती को टारगेट्स बना रहा है. साथ मिलकर, वे एक राष्ट्रीय क्वांटम संचार ग्रिड की नींव भी रख रहे हैं.
यह इतना क्यों अहम है?
क्वांटम संचार विज्ञान कथा की तरह लग सकता है, लेकिन यह तेजी से राष्ट्रीय प्राथमिकता बन रहा है. ऐसे युग में जहां डिजिटल खतरे सुरक्षा की तुलना में तेजी से विकसित होते हैं, भारत का Entanglement-based secure channels पर ध्यान एक वैज्ञानिक मील का पत्थर से कहीं ज्यादा है.
क्वांटम फिजिक्स विचित्र किन्तु शक्तिशाली नियमों को अपनाकर भारत सुरक्षित, संप्रभु संचार के एक नए युग में एंट्री करने की तैयारी कर रहा है. क्वांटम कम्युनिकेशन आपके ऑनलाइन लेन-देन, निजी डेटा और यहां तक कि नेशनल सिक्योरिटी सिस्टमस् को भी हैक न करने योग्य बना सकता है.
जैसे-जैसे इसरो और DRDO क्वांटम इंटरनेट की तरफ बढ़ रहे हैं, भारत सुरक्षित डिजिटल भविष्य का निर्माण करने वाले देशों के एक खास ग्रुप में शामिल हो रहा है. ज्यादा निवेश के साथ, भारत की क्वांटम छलांग जल्द ही दुनिया की सर्वश्रेष्ठ छलांगों को टक्कर दे सकती है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि क्वांटम एरा में आपके रहस्य सुरक्षित रहें.