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Dark Oxygen Discovery: सूरज की रोशनी जरूरी नहीं! समंदर की गहराई में मिल गई डार्क ऑक्सीजन, विज्ञान जगत में खलबली

Dark Oxygen Pacific Ocean: आप जानते होंगे कि धरती पर ऑक्सीजन का आधा उत्पादन समुद्री क्षेत्र से आता है. पौधे, शैवाल आदि प्रकाश संश्लेषण करते हैं. इसमें सूरज के रोशनी की सबसे ज्यादा अहमियत होती है लेकिन अब समुद्र के नीचे बेड पर एक दिलचस्प खोज हुई है.

Dark Oxygen Discovery: सूरज की रोशनी जरूरी नहीं! समंदर की गहराई में मिल गई डार्क ऑक्सीजन, विज्ञान जगत में खलबली
Anurag Mishra|Updated: Mar 17, 2025, 01:17 PM IST
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Science News: अब तक हम यही पढ़ते रहे हैं कि ऑक्सीजन के बनने में सूरज की रोशनी का अहम रोल है. हालांकि गहरे समुद्र में खोजी गई 'डार्क ऑक्सीजन' जीवन के नए रहस्य से पर्दा उठा सकती है. प्रशांत महासागर में काफी नीचे गहराई में यह खोज हुई है. हालांकि वैज्ञानिक इस पर एकमत नहीं हैं. अगर यह सच साबित हुआ तो खोज क्रांतिकारी होगी.

अंधेरे में ऑक्सीजन?

सवाल यह है कि क्या समुद्र के सबसे गहरे, अंधेरे क्षेत्रों में धातु की चट्टानें सूरज की रोशनी के अभाव में भी ऑक्सीजन बना सकती हैं? कुछ वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं, लेकिन कुछ दूसरे साइंटिस्ट इस दावे को चुनौती दे रहे हैं. उनका मानना है कि समुद्र तल में सूरज की रोशनी के बगैर तथाकथित 'डार्क ऑक्सीजन' नहीं बन सकती है.

यह खोज पिछली जुलाई में जर्नल नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुई है. इसने पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के बारे में लंबे समय से चली आ रही धारणाओं पर सवाल उठाया है और वैज्ञानिक बहस को भी जन्म दे दिया है. ये निष्कर्ष माइनिंग कंपनियों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो इन पॉलिमेटैलिक नॉड्यूल्स में पाए जाने वाली कीमती धातुओं के निकालने के लिए उत्सुक रहती हैं.

खोज में क्या निकला?

शोधकर्ताओं का कहना है कि आलू के आकार के नॉड्यूल्स (गांठ) समुद्र के पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बांटने के लिए आवश्यक इलेक्ट्रिकल करंट पैदा कर सकते हैं. इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रोलिसिस कहते हैं. यह लंबे समय से स्थापित उस सोच पर संदेह करता है जिसमें कहा जाता रहा है कि जीवन तब संभव हुआ जब जीवों ने प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू किया. यह बात लगभग 2.7 अरब साल पहले की है.

स्कॉटिश एसोसिएशन फॉर मरीन साइंस ने शोध के प्रकाशन पर कहा है कि गहरे समुद्र की यह खोज जीवन की उत्पत्ति पर सवाल उठाती है.

पर्यावरणविदों ने कहा है कि डार्क ऑक्सीजन होने से पता चलता है कि इतनी गहराई में जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है. उन्होंने इस बात का भी समर्थन किया कि गहरे समुद्र में खनन से पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर नुकसान हो सकता है. कई संगठन प्रशांत महासागर में माइनिंग का विरोध करते रहे हैं.

प्रशांत महासागर में सतह के नीचे चार किमी समुद्र तल पर बिखरे हुए पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स में मैंगनीज, निकल, कोबाल्ट और इलेक्ट्रिक कार बैटरी में उपयोग की जाने वाली कई धातुएं होती हैं.

कई एक्सपर्ट अब कह रहे हैं कि वैज्ञानिक समुदाय को मिलकर इस एक्सपेरिमेंट को नए सिरे से करने की जरूरत है जिससे इसे सही या गलत घोषित किया जा सके.

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