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चुप्पी, अकेलापन और आत्महत्या: लड़कों की मेंटल हेल्थ को लेकर क्यों बज रही है खतरे की घंटी? WHO की रिपोर्ट!

Mental Health: पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया भर में युवाओं की मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ी है जिसमें सबसे ज्यादा लड़के और युवा पुरुष शामिल हैं. 2023 में हुए एक शोध के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पुरुषों की मदद लेने की संभावना 40 फीसदी तक कम देखी गई है.   

चुप्पी, अकेलापन और आत्महत्या: लड़कों की मेंटल हेल्थ को लेकर क्यों बज रही है खतरे की घंटी? WHO की रिपोर्ट!
Shubham Pandey|Updated: Jun 30, 2025, 08:45 AM IST
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Mental Health Awareness: आज की भागदौड़ और स्ट्रेस से भरी जिंदगी में बहुत सारे लोग डिप्रेशन और Anxiety का शिकार हो रहे हैं. यूरोपियन चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकियाट्री जर्नल 2024 के अनुसार, यह बहुत चिंता की बात है क्योंकि लड़कों और युवा पुरुषों में आत्महत्या की दर अधिक है लेकिन मानसिक स्वास्थय सेवाओं का फायदा लेने में सबसे पीछे हैं. 

चुपचाप रहना
WHO(World Health Organization)के 2024 में किए गए शोध के अनुसार वैश्विक स्तर पर 10 से 19 साल की उम्र के बीच हर 7 में से एक लड़का मानसिक समस्या से जूझ रहा है. Depression, Anxiety और व्यवहार से संबंधित समस्याएं इनमें सबसे आम है जो 15 से 29 साल की उम्र वालों के बीच आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है. 

कमजोरी की निशानी
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. जॉन ओग्रोडनिकज़ुक बताते हैं कि कई लड़के अभी भी मदद मांगने को असफलता से जोड़कर देखते हैं. स्टडी से पता चलता है कि अपनी भावनाओं के बारे में बताना और कमजोरी दिखाने में पुरुष अपनी कमजोरी समझते हैं. 

पहचान करने में गलती
कई लड़के आज भी डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते और ना ही ये जानते हैं कि उन्हें मदद मिल सकती है. सोशल मीडिया इसमें युवाओं की काफी मदद कर सकता है लेकिन साथ ही यह उन्हे नुकसानदायक चीजें ज्यादा परोस रहा है. लड़कों के सामने आने वाली सबसे बड़ी और अक्सर अनदेखी की जाने वाली चुनौतियों में से एक अकेलापन है. 

कैसे निकलेगा हल
विश्व के अधिकांश बच्चों की पहुंच आज स्कूल तक हो चुकी है इसलिए शायद यहीं एक स्थान है जहां लड़कों की शिक्षा के बारे में तो सोचा जाना ही चाहिए बल्कि विकास का सही मतलब क्या है यह भी उन्हें समझाना होगा. स्कूल ही वह जगह है जो लड़कों या पुरुषों को इस समस्या से निकालने में और आत्महत्या की दर कम करने में मदद कर सकती है. 

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