आज के दौर में क्रिकेट का खुमार दुनियाभर में छाया हुआ है. एक इंटरनेशनल क्रिकेट मैच के लिए दुनियाभर का तामझाम करना पड़ता है. मुकाबले के लिए पूरे मैदान में करोड़ों रुपये के कैमरों का जाल बिछाया जाता है. टेक्नोलॉजी में एक छोटी गलती की भी गुंजाइश नहीं होती क्योंकि फिर सोशल मीडिया पर गलती को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है. ब्रॉडकास्टर से लेकर बोर्ड तक को ट्रोल किया जाता. लेकिन इसके पीछे की मेहनत कैसी है इसका खुलासा कमेंटेटर जतिन सप्रु ने किया. आईए चैंपियंस ट्रॉफी के बीच जानते हैं कि एक क्रिकेट मैच को प्रोड्यूस करने के लिए कितना तामझाम होता है.
मैदान में होते हैं 30-40 कैमरे
जतिन सप्रू ने यूट्यूब के एक पॉडकास्ट में बताया, 'जिस मैदान पर क्रिकेट मैच होना होता है पहले उसे तैयार किया जाता है. फिर उसे सजाया जाता है. वो 30 से 40 कैमरों से सजता है, हर कैमरा लगभग 80 लाख से एक करोड़ रुपये तक का होता है. सभी तार जो हर कैमरे को कनेक्ट करके जाती हैं पीसीआर में, उसमें एक होता है जहां सारे कैमरा कनेक्ट होते हैं, उसे मिक्सिंग बोर्ड कहते हैं. उसके पास डायरेक्टर बैठता है.'
डायरेक्टर लेता है पोजीशन
जतिन सप्रु ने आगे बताया, 'डायरेक्टर के पास में बैठता है विजन मिक्सर. डायरेक्टर के सामने बड़े-बड़े स्क्रीन बहुत से स्क्रीन होते हैं, जिसपर हर कैमरे की फीड आती है. कैमरे की पोजीशन का फैसला डायरेक्टर लेता है.' जतिन ने उदाहरण के तौर पर समझाया कि डायरेक्टर कैसे फैसला करता है कि किस कैमरे पर फोकस करना है.
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कैसे काम करती है रिप्ले मशीन?
डायरेक्टर के फैसलों पर एक्शन विजन मिक्सर का होता है. विजन मिक्सर के सामने 200 बटन होती हैं. वह सामने देखता है और वह बिना देखे ही विजन बोर्ड की सभी बटन को डायरेक्टर के ऑर्डर के मुताबिक चलाता है. जतिन सप्रु ने कहा कि यह अविश्वसनीय होता है. एक क्रिकेट मैच को 700-800 लोग प्रोड्यूस करते हैं.