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Opinion: गंभीर की कोचिंग में क्यों लग गए 'दाग', द्रविड़ का 'मिशन ट्रॉफी' कैसे हुआ पास? स्टाइल में जमीन-आसमान का फर्क

Gautam Gambhir and Rahul Dravid: टीम इंडिया के मौजूदा कोच गौतम गंभीर के कोचिंग करियर का आगाज उम्मीद के मुताबिक नहीं हुआ. शुरुआती 6 महीनों में ही उनकी कोचिंग में भारतीय टीम पर बड़े धब्बे लग गए. आईए जानते हैं कि पटाका गंभीर कैसे फुस्स हो गए और कैसे राहुल द्रविड़ की कोचिंग में रिकॉर्ड्स शानदार रहे?  

Rahul Dravid and Gautam Gambhir
Rahul Dravid and Gautam Gambhir
Kavya Yadav|Updated: Dec 11, 2024, 10:07 PM IST
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Gautam Gambhir and Rahul Dravid: गौतम गंभीर और राहुल द्रविड़, दो ऐसे दिग्गज जिन्होंने अपने दौर में विरोधी टीमों में खूब दहशत फैलाई. गौतम सिर्फ नाम से ही 'गंभीर' नजर आते थे लेकिन बल्ले से बेहद आक्रामक. नतीजा ये कि गौतम गंभीर पर 2011 में वर्ल्ड चैंपियन का टैग लग गया था. लेकिन बात करें राहुल द्रविड़ की तो उन्हें किस्मत की ऐसी मार पड़ी कि करियर में आईसीसी ट्रॉफी की टीस रह गई. फिर वक्त का पहिया घूमा और दोनों बतौर हेड कोच टीम इंडिया के साथ जुड़े. इस बार मामला उलटा था क्योंकि राहुल द्रविड़ की कोचिंग में टीम इंडिया ने आईसीसी ट्रॉफी का सूखा खत्म किया, लेकिन गंभीर की कोचिंग की शुरुआत ही खराब रही. आईए समझते हैं कि आखिर क्यों गंभीर की कोचिंग पर 6 महीने में ही 'दाग' लग गए. 

कोचिंग स्टाइल में क्या है फर्क?

गंभीर आक्रामक रवैया और 'खुला खेल' जगजाहिर है. गौतम गंभीर का फोकस जीत पर रहता है फिर वो चाहे कैसे भी मिले. वह बदलाव करने में देरी नहीं करते. उनकी प्लानिंग में अटैकिंग क्रिकेट साफ देखने को मिलता है. बात करें राहुल द्रविड़ की तो अपनी कोचिंग में बेहद शांत नजर आए. उन्होंने कड़ी मेहनत को प्राथमिकता दी और प्लेयर्स को उनके बेसिक्स पर काम करने के लिए अग्रसर किया. द्रविड़ की प्लानिंग सटीक रही और भारत ने मुकाबलों को सारे स्टेप फॉलो करते हुए जीता, चाहे फॉर्मेट कोई भी हो.

द्रविड़-गंभीर की सोच में बड़ा अंतर

गंभीर हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने सटीक जवाब को लेकर जमकर ट्रोल हुए थे. खरी प्रतिक्रिया गंभीर का पुराना स्टाइल रही है. कई बार उनके तीखे जवाबों के चर्चे देखने को मिले. जबकि राहुल द्रविड़ बेहद शांति से चीजें स्वीकार करते हैं. उन्होंने टीम की गलतियों पर नियम से काम किया और जिम्मेदारी लेने से पीछे नहीं हटे. द्रविड़ अनुभव और टैलेंट को मैनेज करते हुए भारतीय टीम को आगे ले गए. 

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पटाका गंभीर क्यों हुए फुस्स?

गौतम गंभीर के कोचिंग संभालते ही टीम इंडिया पर दो बड़े दाग लगे. पहला भारत श्रीलंका से वनडे सीरीज हार गया जबकि दूसरी बार टीम इंडिया का सूपड़ा घरेलू टेस्ट सीरीज में न्यूजीलैंड ने साफ कर दिया. बतौर कोच गंभीर के अनुभव में कमी देखने को मिली क्योंकि आईपीएल में बतौर मेंटॉर उन्होंने काम किया था. हेड कोच का पद गंभीर को पहली बार मिला. द्रविड़ का कोचिंग करियर बड़ा रहा क्योंकि उन्होंने भारत से पहले अंडर-19 और भारत ए टीमों के लिए बतौर हेड कोच की जिम्मेदारी ली थी. द्रविड़ के कार्यकाल में भारत ने खूब जीत दर्ज की और अंत में खिताबी सूखा भी खत्म किया.

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