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ICC के पूर्व अध्यक्ष बार्कले ने जय शाह के पढ़े कसीदे, एक-एक करके गिना दी खूबियां

Jay Shah: बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने 1 दिसंबर को आईसीसी चेयरमैन का पद संभाला. जिसके बाद पूर्व अध्यक्ष ग्रेग बार्कले ने उनकी तारीफों के पुल बांध दिए. उन्होंने कहा जय शाह में क्रिकेट को मौजूदा ‘संकट’ से बाहर निकालने और इसे अगले स्तर पर ले जाने की क्षमता है.  

Jay Shah
Jay Shah
Kavya Yadav|Updated: Dec 04, 2024, 10:37 PM IST
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Jay Shah: बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने 1 दिसंबर को आईसीसी चेयरमैन का पद संभाला. जिसके बाद पूर्व अध्यक्ष ग्रेग बार्कले ने उनकी तारीफों के पुल बांध दिए. उन्होंने कहा जय शाह में क्रिकेट को मौजूदा ‘संकट’ से बाहर निकालने और इसे अगले स्तर पर ले जाने की क्षमता है. उन्होंने हालांकि अपने उत्तराधिकारी को खेल को ‘भारत के दबदबे’ में रखने के खिलाफ भी आगाह किया.

पूरा हुआ बार्कले का कार्यकाल

बार्कले ने चार साल के कार्यकाल के बाद एक दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. चैंपियंस ट्रॉफी के आयोजन स्थलों को लेकर चल रहे मौजूदा संकट के बीच अपने पद से हटने वाले बार्कले ने कहा कि क्रिकेट चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है. उन्होंने ‘द टेलीग्राफ’ से कहा, 'जय शाह भारत को इस खेल में एक अलग स्तर पर ले गये और उनके पास आईसीसी के साथ ऐसा करने का शानदार मौका है. उन्हें हालांकि भारत के दबदबे से बाहर निकलना होगा.'

भारत को मिलेगा फायदा- बार्कले

बार्कले ने आगे कहा, 'हम खुशकिस्मत है कि हमें इस खेल में भारत का साथ मिला है. वे सभी मापदंडों के आधार पर खेल में एक बड़ा योगदान देते हैं. लेकिन एक देश के पास इतनी शक्ति और प्रभाव होने से बहुत सारे अन्य परिणाम बिगड़ सकते हैं. यह स्थिति खेल से जुड़े वैश्विक विकास में सहायक नहीं है. भारत कई चीजें कर सकता है जिससे खेल को एकजुट करने और आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है. जिसमें अपनी टीमों का उपयोग करके छोटे पूर्ण सदस्यों और उभरते देशों को अवसर देना, नए क्षेत्रों और बाजारों को खोलने के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करना, सदस्यों को लाभ पहुंचाने के लिए आईसीसी के साथ मिलकर काम करना जैसे काम शामिल हैं.'

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अफगानिस्तान के महिला क्रिकेट पर क्या बोले बार्कले?

अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर बार्कले ने कहा, 'इसमें अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड की कोई गलती नहीं थी. उनके पास महिला क्रिकेट हुआ करता था. मुझे लगता है कि हमारा दृष्टिकोण सही रहा है. अफगानिस्तान को बाहर निकालना आसान होगा, लेकिन इसमें उनके बोर्ड की कोई गलती नहीं है. वे सिर्फ एक आदेश और कुछ कानून के तहत काम कर रहे हैं. उन्हें बाहर निकालने से वहां की सत्ताधारी पार्टी को कोई फर्क पड़ेगा.'

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