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22 बार कॉल... क्रिकेट के सामने पिता बन रहे थे रोड़ा, कोच की जिद ने बना दिया सुपरस्टार

एक क्रिकेटर बनने के लिए युवाओं को खून-पसीना एक करना पड़ता है. लेकिन कई बार फैमिली सपोर्ट न मिलने के चलते वह सुपरस्टार नहीं बन पाते. हम आपको ऐसे ही एक प्लेयर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसके पास फैमिली सपोर्ट नहीं था, लेकिन एक कोच मसीहा बनकर क्रिकेटर बनाने की जिद पर अड़ गए.   

Shardul Thakur
Shardul Thakur
Kavya Yadav|Updated: Aug 10, 2025, 04:25 PM IST
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भारतीय क्रिकेट में युवाओं की होड़ देखने को मिलती है. एक क्रिकेटर बनने के लिए युवाओं को खून-पसीना एक करना पड़ता है. लेकिन कई बार फैमिली सपोर्ट न मिलने के चलते वह सुपरस्टार नहीं बन पाते. हम आपको ऐसे ही एक प्लेयर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसके पास फैमिली सपोर्ट नहीं था, लेकिन एक कोच मसीहा बनकर क्रिकेटर बनाने की जिद पर अड़ गए. ये कोई और नहीं बल्कि रोहित शर्मा के बचपन के कोच दिनेश लाड थे, जिन्होंने अपने एक चेले को फैमिली सपोर्ट न मिलने के बावजूद जीरो से हीरो बना दिया. 

कैसे बना रोहित शर्मा का करियर?

दिनेश ने गौरव मंगलानी के पॉडकास्ट में टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर की करियर स्टोरी सुना दी. उन्होंने हिटमैन का उदाहरण देते हुए कहा, 'मैं रोहित को भी इसी तरीके से स्कूल लाया था. 275 रुपये फीस जमा होने के बाद रोहित के चाचा ने मुझसे कहा था कि वह एडमिशन नहीं करवा सकते हैं ये संभव नहीं है. रोहित ऐसा पहला बच्चा ता जिसके लिए मैंने जायरेक्टर से स्कॉलरशिप के लिए कहा था. इसी तरह जब मैंने शार्दुल को देखा तो सोचा था कि अगर वह मुंबई आ जाए तो उसके लिए और मेरे लिए काफी फायदेमंद होगा.'

शार्दुल के पिता को 22 बार किया कॉल

उन्होंने आगे कहा, 'मैंने फरवरी से मई तक शार्दुल के पिता को 22 बार कॉल किया था. उनका एक ही जवाब था कि नहीं, सॉरी. वह उसे इतनी दूर भेजने के लिए राजी नहीं थी. उसकी 10वीं की पढ़ाई जरूरी थी अगर वह नहीं पढ़ता तो दिक्कत होती.'

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पत्नी से की गुजारिश

दिनेश लाड ने आगे कहा, 'इतना सुनने के बाद भी मैंने काफी सोचा और एक दिन घर पर मैंने धीरे से अपनी पत्नी से कहा कि मैं एक बच्चे को घर पर रखना चाहता हूं. मेरी पत्नी ने कहा कि यह आपका घर है और मुझे कोई दिक्कत नहीं. मैंने शार्दुल के पिता को फोन किया और यही बात कही तो वह चौंक गए. क्योंकि बच्चे को घर पर रखना बड़ी बात है. मेरे गुरु ने कई बच्चों के लिए ऐसा किया था. मुझे पता है कि आचार्य सर ने कई बच्चों को रखा और मैं भी उसी राह पर चल पड़ा. इसलिए शार्दुल मुंबई आया और मेरे घर पर रहा. फिर आप जानते ही हैं '

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