trendingNow12375513
Hindi News >>खेल-खिलाड़ी
Advertisement

पिता दिहाड़ी मजदूर, गांववालों ने चंदा इकट्ठा कर भेजा ओलंपिक...पाकिस्तान के 'गोल्डन ब्वॉय' अरशद नदीम के संघर्ष की कहानी

Pakistan Olympic Gold Medalist javelin thrower Arshad Nadeem:नदीम ने जेलविन थ्रो में ओलंपिक का रिकॉर्ड तोड़कर 92,97 मीटर दूर भाला फेंका और गोल्ड मेडल अपने नाम कर दिया. लेकिन इस गोल्ड के पीछे उनका लंबा संघर्ष है, परिवार और गांव के लोगों का संघर्ष है. 

 Gold medalist Arshad Nadeem
Gold medalist Arshad Nadeem
Bavita Jha |Updated: Aug 09, 2024, 09:28 AM IST
Share

Pakistan Gold Medalist javelin thrower Arshad Nadeem: भारत के गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा ( Neeraj Chopra) पेरिस ओलंपिक 2024 में देश के लिए पहला सिल्वर मेडल जीत कर लाएं. नीरज के चेहरे पर गोल्ड नहीं ला पाने का दर्द साफ दिख रहा था, लेकिन वो अपने प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के जैवलिन थ्रोअर अरशद नदीम के लिए खुश थे. पाकिस्तान के अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक में जैवलिन थ्रो इवेंट में कमाल कर दिया. नदीम ने जेवलिन थ्रो में ओलंपिक का रिकॉर्ड तोड़कर 92,97 मीटर दूर भाला फेंका और गोल्ड मेडल अपने नाम कर दिया. इस गोल्ड के साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के 32 सालों के सूखे को खत्म कर दिया.  जिस अरशद नदीम के गोल्ड मेडल जीतने पर आज पूरा पाकिस्तान जश्न मना रहा है, उसे ओलंपिक में पहुंचाने के लिए गांव वालों ने चंदा इकट्ठा किया था. रिश्तेदारों ने दान से पैसे इकट्ठा किए. उनके पास न भाला खरीदने के पैसे थे और न ही ट्रेनिंग के. आज इस खिलाड़ी ने ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतकर अपना फर्ज पूरा किया है.  'वह मेरे बेटे की तरह'... नीरज की मां ने पाकिस्तान के अरशद नदीम पर लुटाया प्यार, चोपड़ा के सिल्वर पर दिया ये रिएक्शन

चंदे के पैसों से पहुंचे ओलंपिक  

अरशद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित खानेवाल क्षेत्र से आते हैं. 32 साल के नदीम को बचपन से ही भाला फेंकने का शौक था, लेकिन आर्थिक हालात ऐसी नहीं थी कि वो खेल सके. नदीम के पिता ने एक इंटरव्यू में बताया कि लोगों को अंदाजा नहीं है कि अरशद आज इस मुकाम पर कैसे पहुंचा है. गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने उसके लिए चंदा इकट्ठा किया. उस चंदा से उसका करियर बना और उन्हीं पैसों की बदौलत आज वो ओलंपिक में पहुंचा और 'सोना' जीतकर लाया है. उनके पिता ने बताया कि करियर के शुरुआती दिनों में गांव के लोग और सगे-संबंधी पैसे दान किया करते थे जिससे वो अलग-अलग शहर जाकर अपनी ट्रेनिंग कर सके. अगर मेरा बेटा ओलंपिक मेडल ला पाया, तो ये सब उन गांव वालों और रिश्तेदारों की वजह से संभव हुआ है.  नमीद के संघर्ष में उनके गांववालों , दोस्तों-रिश्तेदारों नें साथ दिया. आज उसी संघर्ष का नतीजा ओलंपिक का ये गोल्ड मेडल है.  

पिता मजदूर, खाने तक को पैसे नहीं थे

पाकिस्तान के अरशद नदीम बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उनके पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. 7 बच्चों में नदीम तीसरे नंबर पर है. घर की आर्थिक हालात ऐसी नहीं थी कि पेटभर खाना तक मिल सके. अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक अरशद के परिवार को खाने तक के लिए संघर्ष करना पड़ता था. साल में बस एक बार उन्हें मटन खाने का मौका मिलता था. नमीद की जैवलिन के प्रति रुचि देखकर घरवालों ने उसे खेलने को कहा. उन्होंने हर संभव कोशिश की, ताकि नदीम की ट्रेनिंग जारी रह सके. गांव वालों ने चंदा इकट्ठा कर उन्हें ट्रेनिंग दिलवाई. स्पोर्ट कोटे से उन्हें बाद में सरकारी नौकरी मिल गई.  पाकिस्तान के जैलविन स्टार खिलाड़ी सैय्यद हुसैन बुखानी ने नदीम के करियर को नया मोड़ दिया.  

भाला खरीदने में नीरज चोपड़ा ने दोस्त के लिए की थी अपील 

ओलंपिक से पहले नदीम के पास नया भाला खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे. 8 सालों से वो एक ही भाले से प्रैक्टिस कर रहे थे. भाला पुराना हो गया था और बड़े मुकाबले के लिए फिट नहीं था. गांव वालों के चंदे के पैसों से ट्रेनिंग तो चल रही थी, लेकिन उन्हें पुराने भाले को नए से रिप्लेस करवाना था, उन्होंने इसके लिए कई बार मांग की. जब ये बात नीरज चोपड़ा को पता चली तो वो भी नदीम के सपोर्ट में आए. उन्होंने लिखा कि ये हैरानी की बात कि उन्हें नए जैवलिन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. उनकी साख को देखते हुए ये बड़ा मुद्दा नहीं होना चाहिए.  बता दें कि पाकिस्तान ने ओलंपिक्स 2024 में अपने 7 एथलीट भेजे थे, जिनमें से 6 फाइनल तक पहुंचने में नाकाम रहे. अरशद नदीम ने देश के लिए गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया. 
   

Read More
{}{}