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19 साल में डेब्यू... अब मिडफील्ड के उस्ताद के नाम 400 इंटरनेशनल कैप, गुच्छों में जीते खिताब

इंडियन हॉकी साल-दर-साल बेमिसाल नजर आ रहा है. टीम के कुछ बड़े नाम देश का नाम रोशन करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. हॉकी की एक जानी-पहचानी शख्सियत मनप्रीत सिंह 400वीं बार भारत की जर्सी पहनकर मैदान में उतरे और उन्होंने इतिहास में बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है.   

Manpreet Singh
Manpreet Singh
Kavya Yadav|Updated: Jun 15, 2025, 05:13 PM IST
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इंडियन हॉकी साल-दर-साल बेमिसाल नजर आ रहा है. टीम के कुछ बड़े नाम देश का नाम रोशन करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. हॉकी की एक जानी-पहचानी शख्सियत मनप्रीत सिंह 400वीं बार भारत की जर्सी पहनकर मैदान में उतरे और उन्होंने इतिहास में बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. उनका नाम अब ऐसी लिस्ट में आ चुका है जिसमें कुछ चुनिंदा दिग्गजों के नाम ही दर्ज हैं. कहानी अभी थमी नहीं हैं बल्कि इसकी गिनती आगे भी जारी रहेगी. मनप्रीत सिर्फ FIH हॉकी प्रो लीग 2024/25 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने वाले खिलाड़ी नहीं थे बल्कि वह हॉकी के ऐसे युग के प्रतीक बन चुके हैं जिसका डंका आज दुनियाभर में बज रहा है.

सबसे ज्यादा मैच

मनप्रीत सिंह ने अपने अभी तक के करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. आज वह भारतीय पुरुष टीम के लिए सबसे ज्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ियों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं. उनसे आगे सिर्फ पूर्व कप्तान और मौजूदा हॉकी इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दिलीप तिर्की (412 मैच) हैं. मनप्रीत की कहानी और भी दिलचस्प क्योंकि अभी वह दिलीप तिर्की को पछाड़ सकते हैं. अभी मनप्रीत का सफर जारी है. 

19 साल की उम्र में किया था डेब्यू 

साल 2011 में 19 की उम्र में उन्होंने डेब्यू किया था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और मिडफील्डर के रूप में टीम इंडिया की रीढ़ साबित हुए. उन्होंने अपने करियर में 4 एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी खिताब (2013, 2018, 2023, 2024), 2 एशियाई खेल स्वर्ण पदक (2014, 2023), 2 ओलंपिक कांस्य पदक (2020, 2024), 2 राष्ट्रमंडल खेल रजत पदक (2014, 2022), 2014-15 और 2016-17 एफआईएच विश्व लीग और 2018 में हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी में पोडियम स्थान हासिल किया.

मनप्रीत को मिला सम्मान

मनप्रीत को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित भी किया गया. उन्हें 1018 में अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. इस उपलब्धि पर भावुक मनप्रीत ने कहा, 'मुझे अभी भी याद है कि अपने डेब्यू मैच में मुझे कैसा महसूस हुआ था. 400 गेम के बाद यहां खड़े होना, मेरी कल्पना से परे है. यह उपलब्धि हर उस कोच के साथ साझा की गई है जिसने मुझे आगे बढ़ाया, हर उस साथी खिलाड़ी के साथ जिसने मेरा साथ दिया और हर उस प्रशंसक के साथ जिसने मुझ पर तब विश्वास किया जब मुझे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. मैं अभी भी सीख रहा हूं अभी भी बढ़ रहा हूं और मैं आज भी उसी जोश के साथ खेलता हूं जैसा कि 19 साल की उम्र में करता था.'

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