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कभी जिंदगी में हौसला टूटे तो देख लें ये 5 Video, पैरालंपिक प्लेयर्स ने दी लाइफ की बड़ी सीख

Paris Paralympics 2024 India: पैरालंपिक में खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया कि दुनिया में कोई परेशानी सबसे बड़ी नहीं होती है. उस परेशानी को हराया जा सकता है. हम आपको यहां मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों में से 5 के बारे में यहां बता रहे हैं. उनके वीडियो को देखकर आपको भी हौसला मिलेगा.  

कभी जिंदगी में हौसला टूटे तो देख लें ये 5 Video, पैरालंपिक प्लेयर्स ने दी लाइफ की बड़ी सीख
Rohit Raj|Updated: Sep 04, 2024, 01:41 PM IST
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Paris Paralympics 2024 India: पेरिस में चल रहे पैरालंपिक खेलों में भारत के दिव्यांग खिलाड़ियों ने तहलका मचा दिया है. उन्होंने मेडल जीतने के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. देश को अब तक 20 मेडल मिल चुके हैं. यह पैरालंपिक में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. पिछली बार टोक्यो पैरालंपिक में देश को 19 मेडल हासिल हुए थे. खेल के इस महाकुंभ में हिस्सा ले रहे खिलाड़ियों की कहानी ने देश को झकझोर कर रख दिया है. मुश्किल परिस्थितियों में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. किसी के हाथ नहीं हैं तो किसी के दोनों पैर. कोई व्हीलचेयर पर बैठकर खेल रहा है तो कोई पैरों से तीर चल रहा.

5 खिलाड़ियों की कहानी

इन खिलाड़ियों ने इतनी कठिन परिस्थितियों में हिम्मत नहीं हारी और देश का नाम रोशन कर दिया. उन्होंने यह साबित कर दिया कि दुनिया में कोई परेशानी सबसे बड़ी नहीं होती है. उस परेशानी को हराया जा सकता है. हम आपको यहां मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों में से 5 के बारे में यहां बता रहे हैं. उनके वीडियो को देखकर आपको भी हौसला मिलेगा.

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कुमार नितेश ने नहीं हारी हिम्मत

कुमार नितेश ने एक रेल दुर्घटना में अपना बायां पैर खो देने के बावजूद पैरा बैडमिंटन में गोल्ड मेडल जीतकर सभी को चौंका दिया. नौसेना अधिकारी के बेटे नितेश ने कभी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलने का सपना देखा था, लेकिन दुर्घटना ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया. उन्होंने हार नहीं मानी और पैरा बैडमिंटन को अपनाया. नितेश ने कहा, ''यह दुर्घटना मेरे जीवन का मोड़ बन गई. इसने मुझे एक नई दिशा दी.''

 

 

सुमित अंतिल चुनौतियों को दी मात

जेवलिन थ्रो के स्टार सुमित अंतिल ने अपनी चुनौतियों को मात देकर दुनिया को चकित कर दिया है. 12 साल की उम्र में एक सड़क दुर्घटना में अपना पैर गंवाने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और जेवलिन थ्रो को अपनाया. पेरिस पैरालिंपिक में लगातार दूसरा स्वर्ण पदक जीतकर, सुमित ने साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प के आगे कोई बाधा नहीं है.

 

 

तुलसिमति मुरुगेसन ने किया कमाल

22 साल की पैरा बैडमिंटन प्लेयर तुलसीमति मुरुगेसन ने सिल्वर मेडल जीता.  बचपन से ही उनके बाएं हाथ का अंगूठा नहीं है. उनका एक हाथ लकवाग्रस्त है. वह एक हादसे में बाल-बाल बच गई थीं. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और बैडमिंटन को अपनाया. महान खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की एकेडमी में उन्होंने ट्रेनिंग ली. तुलसीमति दिग्गज खिलाड़ी साइना नेहवाल को आदर्श मानती हैं.

 

 

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शीतल देवी हो गईं वायरल

पैरालंपिक से भारतीय खेल जगत की नई सनसनी बनी शीतल देवी के दोनों हाथ नहीं हैं. वह पैरों से तीर चलाती हैं. उन्होंने राकेश कुमार के साथ मिलकर आर्चरी के मिक्स्ड टीम इंवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता. जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में पैदा हुईं शीतल के पिता किसाना हैं और उनकी मां बकरियां चराती थीं. शीतल को देखकर तो मशहूर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने यहां तक कह दिया कि वह अपने जीवन में अब किसी समस्या के बारे में कंप्लेन नहीं करेंगे. शीतल देवी सबके लिए शिक्षक हैं. उन्होंने अपनी कोई कार शीतल को चुनने का ऑफर दिया है.

 

 

मरियप्पन थंगावेलू ने रचा इतिहास

मरियप्पन थंगावेलू पश्चिमी तमिलनाडु के एक गाव पेरियावदगमपट्टी के रहने वाले हैं. यह गांव सलेम से लगभग 50 किलोमीटर दूर है. जब मरियप्पन महज पांच साल के थे, स्कूल जाते समय एक बस का पहिया उनके दाहिने पैर के ऊपर से गुजर गया. इस दुर्घटना के कारण उन्हें घुटने के नीचे से अपना पैर गंवाना पड़ा. उन्होंने हाई जंप में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया. इसके साथ ही उन्होंने इतिहास रच दिया. वह तीन अलग-अलग पैरालंपिक में मेडल जीतने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बन गए.

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