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कहीं ये शौक न बन जाए रोग! Ghibli इमेज का खुमार खतरे में न डाल दे प्राइवेसी, जान लें ये बातें

Ghibli Image Privacy Concern: कई लोग अपनी फोटो को घिबली स्टाइल में बदल रहे हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रह हैं. हालांकि, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट इस ट्रेंड से प्राइवेसी के लिए गंभीर खतरे पैदा होने की आशंका भी जताने लगे हैं. आपको इसके बारे में जरूर जानना चाहिए. 

कहीं ये शौक न बन जाए रोग! Ghibli इमेज का खुमार खतरे में न डाल दे प्राइवेसी, जान लें ये बातें
Raman Kumar|Updated: Apr 06, 2025, 05:27 PM IST
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Ghibli Image Data Security: चैटजीपीटी पर तस्वीरों को Ghibli स्टाइल इमेज में बदलने की सुविधा शुरू होने के साथ ही दुनियाभर में यह काफी पॉपुलर हो गया. लोगों में घिबली इमेज बनाने का खुमार छाया हुआ है. कई लोग अपनी फोटो को घिबली स्टाइल में बदल रहे हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रह हैं. हालांकि, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट इस ट्रेंड से प्राइवेसी के लिए गंभीर खतरे पैदा होने की आशंका भी जताने लगे हैं. आपको इसके बारे में जरूर जानना चाहिए. 

एक्सपर्ट्स ने क्या कहा?
विशेषज्ञों का कहना है कि AI टूल की सेवा शर्तें अक्सर अस्पष्ट होती हैं, जिससे यह अनिश्चित रहता है कि फोटो ट्रांसफॉर्म होने के बाद यूजर की तस्वीरों का क्या होता है. कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने यूजर्स की निजी तस्वीरों को स्टोर न करने की बात कही है जबकि अधिकांश प्लेटफॉर्म इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बता रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक निजी तस्वीरों में न केवल चेहरे का डेटा होता है, बल्कि स्थान, समय और उपकरण जैसी छिपी हुई जानकारी (मेटाडेटा) भी शामिल होती है, जिससे व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा हो सकता है. 

क्विक हील टेक्नोलॉजीज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विशाल साल्वी ने बताया कि ये एआई टूल न्यूरल स्टाइल ट्रांसफर गणना-पद्धति का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि कंपनियां भले ही डेटा स्टोर न करने का दावा करें, लेकिन अपलोड की गई तस्वीरों का इस्तेमाल निगरानी या विज्ञापन के लिए एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने जैसे उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. 

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मैकएफी के प्रतीम मुखर्जी ने कहा कि इन उपकरणों का डिजाइन यूजर्स को यह समझने से रोकता है कि वे वास्तव में किस बात से सहमत हो रहे हैं. उन्होंने चिंता जताई कि क्रिएटिविटी की आड़ में डेटा शेयरिंग का एक ऐसा तरीका बन रहा है जिसे यूजर्स पूरी तरह से समझते नहीं हैं. विशेषज्ञों ने डेटा ब्रीच के जोखिम को भी रेखांकित किया, जिससे चोरी हुई तस्वीरों का इस्तेमाल डीपफेक और आईडेंटिटी फ्रॉड के लिए किया जा सकता है. 

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कैस्परस्की के व्लादिस्लाव तुशकानोव ने कहा कि तस्वीरों से जुटाया गया डेटा लीक हो सकता है या उसे डार्क वेब पर बेचा जा सकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक बार कोई फोटो सार्वजनिक हो जाए तो उसे वापस लेना मुश्किल है. विशेषज्ञों ने यूजर्स को एआई ऐप के साथ पर्सनल फोटो शेयर करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी है. इसमें मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करना, प्रमाणीकरण सक्षम करना और अपलोड करने से पहले मेटाडेटा को हटाना शामिल है. उन्होंने सरकारों से डेटा इस्तेमाल के संबंध में स्पष्ट खुलासे को अनिवार्य करने का भी आह्वान किया है. 

(इनपुट एजेंसी)

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