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पुराने फोन्स और लैपटॉप से निकलेगा गोल्ड! वैज्ञानिकों ने खोज निकाला नया तरीका, जानें क्या

How to Extract Gold from Old Phones: 2022 में दुनिया भर में करीब 62 मिलियन टन ई-वेस्ट बना, जो इतना ज्यादा है कि इससे 15 लाख से ज्यादा ट्रक भरे जा सकते हैं. इस ई-वेस्ट में पुराने लैपटॉप और फोन भी शामिल हैं, जिनमें (Gold) सोने जैसे कीमती मैटेरियल होते हैं.

पुराने फोन्स और लैपटॉप से निकलेगा गोल्ड! वैज्ञानिकों ने खोज निकाला नया तरीका, जानें क्या
Raman Kumar|Updated: Jun 28, 2025, 11:23 AM IST
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आजकल लोग बहुत ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट पैदा कर रहे हैं. 2022 में दुनिया भर में करीब 62 मिलियन टन ई-वेस्ट बना, जो इतना ज्यादा है कि इससे 15 लाख से ज्यादा ट्रक भरे जा सकते हैं. 2010 के बाद से यह 82% बढ़ गया है और अनुमान है कि 2030 तक यह 82 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा. इस ई-वेस्ट में पुराने लैपटॉप और फोन भी शामिल हैं, जिनमें (Gold) सोने जैसे कीमती मैटेरियल होते हैं. दुख की बात यह है कि इसका एक चौथाई हिस्सा भी ठीक से इकट्ठा और रीसाइकल नहीं हो पाता. लेकिन, वैज्ञानिकों ने ई-वेस्ट से सुरक्षित तरीके से गोल्ड निकालने की एक नई तकनीक खोज निकाली है. 

इस नई तकनीक को नेचर सस्टेनेबिलिटी (Nature Sustainability) में प्रकाशित एक नए पेपर में बताया है. यह छोटे पैमाने पर सोने के खनन को लोगों और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक बनाने में मदद कर सकती है. 

गोल्ड की बढ़ती मांग और खनन के नुकसान
गोल्ड हमारी जिंदगी में हमेशा से अहम रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स, कैमिकल और एयरोस्पेस सेक्टर में भी गोल्ड जरूरी है. गोल्ड की मांग बढ़ रही है, लेकिन इसका खनन पर्यावरण के लिए बहुत नुकसानदायक है. जंगलों की कटाई और जहरीले कैमिकल्स का इस्तेमाल इसकी दो बड़ी समस्याएं हैं. बड़े पैमाने पर खनन में अयस्क (ore) से सोना निकालने के लिए जहरीले सायनाइड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. भले ही सायनाइड खत्म हो जाता है, लेकिन यह वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा सकता है और खनन से निकलने वाले जहरीले कचरे को रखने वाले बांध (टेलिंग डैम) पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा हैं.

छोटे पैमाने पर खनन में सोना निकालने के लिए पारे (mercury) का इस्तेमाल होता है. इस प्रक्रिया में सोना पारे के साथ मिलकर एक घना मिश्रण बनाता है, जिसे आसानी से अलग किया जा सकता है. फिर इस मिश्रण को गर्म करके पारे को भाप में बदलकर सोना प्राप्त किया जाता है. यह छोटे पैमाने का खनन पृथ्वी पर मर्करी के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है. मर्करी का उत्सर्जन खनिकों के लिए भी खतरनाक है और पर्यावरण को प्रदूषित करता है. इसलिए सोने के खनन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए नए तरीकों की सख्त जरूरत है.

वैज्ञानिकों ने विकसित की नई तकनीक 
वैज्ञानिकों की एक टीम ने अयस्क और ई-वेस्ट से सोना निकालने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है. इसका मकसद मर्करी और सायनाइड का एक सुरक्षित ऑप्शन देना और गोल्ड के खनन से होने वाले स्वास्थ्य और पर्यावरण के नुकसान को कम करना था. पहले भी गोल्ड निकालने की कई तकनीकें बताई गई हैं, जिनमें मर्करी और सायनाइड-फ्री तरीके भी शामिल हैं. लेकिन उनमें से कई की अपनी सीमाएं हैं जैसे कम स्पीड, कम मात्रा में सोना निकलना, बड़े पैमाने पर काम न कर पाना और ज्यादा लागत. अक्सर ये तरीके सोने को निकालने की पूरी प्रक्रिया के केवल एक चरण पर ध्यान देते हैं और रीसाइक्लिंग और वेस्ट मैनेजमेंट को नजरअंदाज कर दिया जाता है.

क्या है नई तकनीक?
वहीं, नई तकनीक गोल्ड को निकालने, वापस पाने और शुद्ध करने की पूरी प्रक्रिया में स्थिरता पर ध्यान देती है. नई तकनीक एक आम कैमिकल ट्राइक्लोरोइसोसायन्यूरिक एसिड का इस्तेमाल करती है जो पानी को साफ करने और स्विमिंग पूल में क्लोरीन डालने के लिए इस्तेमाल होता है.जब इस आसानी से मिलने वाले और सस्ते कैमिकल को खारे पानी के साथ मिलाया जाता है, तो यह गोल्ड के साथ रिएक्शन करके उसे पानी में घुलनशील रूप में बदल देता है.

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घोल से गोल्ड को वापस निकालने के लिए एक खास तरह का पॉलिमर सॉर्बेंट (एक पदार्थ जो तरल या गैस से कुछ सोखता है) बनाया गया है जिसमें सल्फर ज्यादा होता है. पॉलिमर सॉर्बेंट एक खास प्रक्रिया से बनता है, जिसमें मौलिक सल्फर का इस्तेमाल किया जाता है. यह सल्फर सस्ता और बहुत ज्यादा मात्रा में मिलता है, जो पेट्रोलियम इंडस्ट्री का एक संसाधन है. पॉलिमर घोल से गोल्ड को चुन-चुनकर बांध सकता है और उसे अलग कर सकता है, तब भी जब मिश्रण में कई अन्य धातुएं मौजूद हों.

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इस आसान तरीके को अयस्क, पुराने कंप्यूटरों के सर्किट बोर्ड और साइंटिफिक वेस्ट पर प्रदर्शित किया गया है. सबसे जरूरी बात यह है कि हमने लीचिंग कैमिकल (घोल बनाने वाला कैमिकल) और पॉलिमर सॉर्बेंट दोनों को फिर से इस्तेमाल करने (रीजनरेट और रीसायकल) के तरीके भी विकसित किए हैं. 

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