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कब आएगी भारत की पहली सेमीकंडक्टर चिप? अश्विनी वैष्णव ने कर दिया बड़ा खुलासा

अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में बताया कि भारत का पहला स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप साल 2025 के अंत तक तैयार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि चिप निर्माण के लिए जरूरी 5 यूनिट्स पर तेजी से काम चल रहा है और यह प्रोजेक्ट तय समय के अनुसार आगे बढ़ रहा है.

 
कब आएगी भारत की पहली सेमीकंडक्टर चिप? अश्विनी वैष्णव ने कर दिया बड़ा खुलासा
Mohit Chaturvedi|Updated: Apr 10, 2025, 07:53 AM IST
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India semiconductor chip 2025: भारत जल्द ही तकनीकी दुनिया में एक बड़ी छलांग लगाने वाला है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में बताया कि भारत का पहला स्वदेशी सेमीकंडक्टर चिप साल 2025 के अंत तक तैयार हो जाएगा. उन्होंने मनी कंट्रोल को दिए इंटरव्यू में बताया कि चिप निर्माण के लिए जरूरी 5 यूनिट्स पर तेजी से काम चल रहा है और यह प्रोजेक्ट तय समय के अनुसार आगे बढ़ रहा है.

अक्टूबर 2025 तक किया जा सकता है पेश

यह चिप भारत सरकार के महत्वाकांक्षी Semicon India कार्यक्रम के तहत बनाया जा रहा है, जिसमें Tata Electronics और ताइवान की कंपनी PSMC सहयोग कर रही हैं. यह चिप गुजरात के धोलेरा में बन रही फैब्रिकेशन यूनिट में तैयार किया जाएगा. जब यह यूनिट पूरी तरह से शुरू हो जाएगी, तो यह भारत की सेमीकंडक्टर निर्माण क्षमता का केंद्र बन जाएगी. इस प्रोजेक्ट को दिसंबर 2021 में मंजूरी मिली थी और इसके लिए 76,000 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है. मंत्री के अनुसार, इस चिप को सितंबर या अक्टूबर 2025 तक पेश कर दिया जाएगा.

AI रेस में भी

सिर्फ हार्डवेयर तक ही बात नहीं रुकी. अश्विनी वैष्णव ने यह भी बताया कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि भारत एआई की रेस में पीछे नहीं है, और आने वाले समय में वह एआई तकनीक को अपनाने वाले शीर्ष देशों में शामिल होगा. भारत अपना खुद का Large Language Model (LLM) बना रहा है, जो खास तौर पर भारतीय भाषाओं और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा. इस एआई मॉडल का पहला वर्जन अगले 4 से 10 महीनों के भीतर आ सकता है.

वैष्णव ने बताया कि पिछले डेढ़ साल से भारत की टीमें स्टार्टअप्स, प्रोफेसर्स और रिसर्चर्स के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि अब देशभर से मॉडल बनाने के लिए प्रस्ताव मंगाए जा रहे हैं. यह मॉडल भारत की विविध भाषाओं और सांस्कृतिक मूल्यों को समझेगा और बिना किसी पूर्वाग्रह (bias) के काम करेगा.

इस एआई प्रोजेक्ट को सपोर्ट करने के लिए भारत में 18,000 से ज्यादा हाई-परफॉर्मेंस GPUs की सुविधा मौजूद है. इनमें NVIDIA के H100 और H200 चिप्स, साथ ही MI325 यूनिट्स भी शामिल हैं. तुलना करें तो चीन की DeepSeek AI को सिर्फ 2,500 GPUs से ट्रेन किया गया था, और ChatGPT को लगभग 25,000 GPUs की ज़रूरत पड़ी थी.

भारत सरकार ने एक कॉमन कंप्यूटिंग फैसिलिटी भी बनाई है, जिसमें डेवलपर्स, स्टार्टअप्स और शोधकर्ता बिना ज्यादा खर्च किए इस पावरफुल सिस्टम का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस सेंटर में फिलहाल 10,000 GPUs चालू हैं और बाकी भी जोड़े जा रहे हैं. इसके साथ-साथ सरकार ने IISc बेंगलुरु को 334 करोड़ रुपये की राशि दी है ताकि वे गैलियम नाइट्राइड (GaN) तकनीक पर शोध कर सकें. यह तकनीक आधुनिक टेलीकॉम और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए बेहद जरूरी है. इन सभी प्रयासों से यह साफ है कि भारत ना सिर्फ सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भर बनना चाहता है, बल्कि AI जैसी आधुनिक तकनीकों में भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की तैयारी कर रहा है.

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