Online Gaming: ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर में बड़ा बदलाव केंद्र सरकार कर सकती है. इस बदलाव के तहत ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को एक ही नियामक ढांचे (सिंगल रेगुलेटरी फ्रेमवर्क) के अंतर्गत लाया जाएगा. इस योजना पर प्लानिंग की जा रही है.
गृह मंत्रालय ने किया कमेटी का गठन
इस योजना के आने के बाद अलग-अलग राज्यों में लागू विभिन्न कानूनों को खत्म किया जा सकता है. मामले पर चर्चा के लिए गृह मंत्रालय की ओर से समिति का गठन किया गया है. इसमें समिति में कानूनी और नीति विशेषज्ञ, गेमिंग उद्योग के प्रतिनिधि के साथ गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं.
क्या गेमिंग और जुआ (कौशल और चांस आधारित खेल) के बीच अंतर स्पष्ट करने के लिए नया कानून बनाने की जरूरत है? समिति ने शुरुआत में इस बात पर विचार हुआ. मामला लंबे समय से ही विवादों की श्रेणी में है. पहले ही ऑनलाइन गेमिंग को 'कौशल का खेल' और जुआ को 'संयोग का खेल' सुप्रीम कोर्ट (SC) ने माना है.
टैक्सेशन को लेकर स्पष्टता
इसके अलावा दो और अन्य वजहों से भी सरकार सिंगल रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को लागू करने का विचार कर रही है. इसमें से पहली वजह टैक्सेशन को लेकर स्पष्टता है. 1.12 लाख करोड़ रुपये के GST नोटिस को गेमिंग कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जिसके बाद कोर्ट ने इन नोटिसों पर रोक लगा दी है. मामले में 18 मार्च को सुनवाई शुरू होगी.
दूसरा कारण गृह मंत्रालय को विदेशी कंपनियों के ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी की पेशकश को लेकर चिंता है जिससे मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) हो सकती है. तेजी से विकास की संभावना सरकार गेमिंग इंडस्ट्री में देख रही है.
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