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एक इंजीनियर के QR Code ने कैसे बदल कर रख दी दुनिया? दिलचस्प है इन काले-सफेद डिब्बे का इतिहास

QR Code Invention: क्यूआर कोड  हमारी डिजिटल जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गए हैं. इसके अलावा भी इसका कई और तरीके से भी इस्तेमाल किया जाता है. जैसे इन्वेंट्री को ट्रैक करने आदि के लिए. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ये क्यूआर कोड कहां से आए या इनकी शुरुआत कैसे हुई? 

एक इंजीनियर के QR Code ने कैसे बदल कर रख दी दुनिया? दिलचस्प है इन काले-सफेद डिब्बे का इतिहास
Raman Kumar|Updated: Apr 27, 2025, 04:36 PM IST
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QR Code History: अगर आप ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो आप QR Code के बारे में जरूर जानते होंगे. ये आपको सड़क किनारे छोटी-मोटी दुकानों से लेकर बड़े-बड़े मॉल्स और आउटलेट्स में भी देखने को मिल जाएगा. खासकर भारत में ये हमारी डिजिटल जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गए हैं. इसके अलावा भी इसका कई और तरीके से भी इस्तेमाल किया जाता है. जैसे इन्वेंट्री को ट्रैक करने आदि के लिए. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ये क्यूआर कोड कहां से आए या इनकी शुरुआत कैसे हुई? आइए आपको इसका इतिहास बताते हैं. 

ऐसे शुरू हुई इसकी कहानी
QR Code या क्विक रिस्पॉन्स कोड की कहानी जापान से शुरू होती है. 1994 में, टोयोटा कंपनी में काम करने वाले मासाहिरो हारा नाम के एक व्यक्ति ने इसे बनाया था. वे कार के पार्ट्स बनाने के तरीके को आसान बनाना चाहते थे. उन्हें इसका आइडिया एक जापानी बोर्ड गेम 'गो' खेलते समय आया, जिसमें काले और सफेद पत्थर इस्तेमाल होते हैं. इसी से उन्हें क्यूआर कोड बनाने का विचार आया. 

QR Code से पहले क्या था?
क्यूआर कोड से पहले बारकोड का इस्तेमाल होता था, जिसमें सीधी लाइनों में जानकारी छिपी होती थी. लेकिन बारकोड में कुछ कमियां थीं. वे ज्यादा जानकारी नहीं रख सकते थे और अगर थोड़े भी फट जाते तो स्कैन नहीं होते थे. हारा एक ऐसा तरीका चाहते थे जिससे ज्यादा जानकारी कम जगह में आ सके और जिसे स्कैन करना भी आसान हो. उन्होंने चौकोर कोड बनाया जिसमें बहुत ज्यादा जानकारी आ सकती थी. बारकोड से लगभग 10 गुना ज्यादा.

काम कर गया एक आइडिया 
शुरुआत में इस नए डिजाइन में कुछ दिक्कतें आईं. स्कैनर कभी-कभी इसे पहचान नहीं पाते थे. लेकिन एक दिन हारा को क्यूआर कोड के कोनों पर तीन छोटे स्क्वायर बनाने का विचार आया. यह आइडिया काम कर गया. इस डिजाइन से स्कैनर आसानी से कोड को पहचान सकते थे, चाहे वह किसी भी दिशा में रखा हो या थोड़ा धुंधला भी हो गया हो. क्यूआर कोड इसलिए भी अच्छे से काम करते हैं क्योंकि इनका चौकोर डिजाइन स्कैनर को एक ही बार में ज्यादा जानकारी पढ़ने में मदद करता है. इन्हें अलग-अलग एंगल और दूरी से भी स्कैन किया जा सकता है.

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शुरुआत में क्यूआर कोड का इस्तेमाल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हुआ. टोयोटा जैसी बड़ी कंपनियों ने इसे अपने कारखानों में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. लेकिन हारा की कंपनी डेन्सो वेव ने इसका पेटेंट होने के बावजूद इसे मुफ्त में इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी. साल 2000 में जब इसे आईएसओ सर्टिफिकेट मिला, तो यह तकनीक पूरी दुनिया में फैल गई. 

हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब लोगों को लगा कि क्यूआर कोड अब खत्म हो गया है. लेकिन चीन में स्मार्टफोन के बढ़ने के साथ ही इसे एक नई जिंदगी मिली. वहां लोग इसका इस्तेमाल पेमेंट करने, सर्विस एक्सेस करने और नए ऐप्स इस्तेमाल करने के लिए करने लगे.

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भारत में QR Code का इस्तेमाल 
भारत में भी महामारी के दौरान क्यूआर कोड का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया. छोटी दुकानों से लेकर बड़े-बड़े मॉल्स तक, सबने इसे अपनाया. सबसे बड़ी बात यह है कि इसने यूपीआई जैसे सिस्टम के जरिए डिजिटल पेमेंट को बहुत आसान बना दिया है. आज भारत में करोड़ों लोग क्यूआर कोड का इस्तेमाल करके ऑनलाइन पेमेंट करते हैं. 

मजे की बात यह है कि जिस जापान में क्यूआर कोड का आविष्कार हुआ, वह अभी भी इसे पूरी तरह से नहीं अपना पाया है. वहां आज भी ज्यादातर लोग नकद पैसे का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उम्मीद है कि धीरे-धीरे जापान भी इस तकनीक को और ज्यादा अपनाएगा. 

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