भारत में कई फैशन प्रोडक्ट्स 60 मिनट में डिलीवरी देने वाले स्टार्टअप्स के तौर पर पहचान बना चुके हैं, इनमें नॉट (Knot), स्लिक (Slikk), जिलो (Zilo) और जुलु क्लब (Zulu Club) जैसे कई बड़े नाम शामिल है, जो नई तकनीकों और सुविधाओं के साथ ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. ये स्टार्टअप्स ट्राई एंड बाय यानी पहले आजमाओ फिर खरीदों और AI से चलने वाले वर्चुअल ट्राई-ऑन जैसे फीचर्स दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं, ताकि रिटर्न की सिरदर्द को कम किया जा सके, जो फैशन इंडस्ट्री में एक बड़ी समस्या है. ये फीचर्स ग्राहकों के लिए खरीदारी को आसान बनाते हैं.
बढ़ रही रिटर्न की समस्या
ऑनलाइन फैशन खरीदारी में रिटर्न की दर बहुत बढ़ गई है. कई ब्रांड्स की वेबसाइट्स पर 20% तक प्रोडक्ट्स वापस आ जाते हैं, क्योंकि ग्राहकों को कपड़े का फिट, रंग या स्टाइल पसंद नहीं आता, लेकिन ऑफलाइन स्टोर्स में यह रिटर्न दर 1% से भी कम होती है, क्योंकि ग्राहक पहले कपड़े आज़मा सकते हैं.
कपड़े खरीदना होगा आसान
हाल ही में के कैपिटल (Kae Capital) से फंडिंग जुटाने वाली मुंबई की एक स्टार्टअप नॉट का कहना है कि उनके 'ट्राई एंड बाय' फीचर और AI वर्चुअल ट्राई-ऑन की मदद से रिटर्न की दर को बहुत कम किया जा सकता है. नॉट के CEO अर्चित नंदा के मुताबिक, इस फीचर से ग्राहक अपने घर पर ही कपड़े पहनकर देख सकते हैं और तुरंत फैसला ले सकते हैं, जैसे ऑफलाइन स्टोर में होता है.
AI ने किया आसान
नॉट का दावा है कि जिन ग्राहकों ने उनके AI वर्चुअल ट्राई-ऑन फीचर का इस्तेमाल किया, उनके रिटर्न की दर बाकी यूजर्स की तुलना में बहुत कम रही. यह फीचर ग्राहकों को कपड़े वर्चुअली आजमाने की सुविधा देता है, जिससे उन्हें पहले ही अंदाजा हो जाता है कि कपड़ा उन पर कैसा लगेगा. अब बेंगलुरु की स्लिक, मुंबई की जिलो और गुरुग्राम की जुलु क्लब जैसे अन्य स्टार्टअप्स भी ऐसे ही फीचर्स पर काम कर रहे हैं. ये स्टार्टअप्स चाहते हैं कि ग्राहक कम रिटर्न और ज्यादा खरीदारी करें. स्लिक के को-फाउंडर और CEO अक्षय गुलाटी का कहना है कि रिटर्न की प्रक्रिया उतनी ही जरूरी है जितनी डिलीवरी, क्योंकि फैशन प्रोडक्ट्स महंगे होते हैं, ग्राहकों को जल्दी रिफंड देना भी बहुत जरूरी है.
स्लिक का इंस्टेंट रिटर्न फीचर
स्लिक ने 'इंस्टेंट रिटर्न' नाम का एक फीचर शुरू किया है, जिसमें ग्राहक अगर प्रोडक्ट वापस करना चाहें तो ऐप पर रिक्वेस्ट करने के बाद डिलीवरी पार्टनर एक घंटे के अंदर प्रोडक्ट ले लेता है और तुरंत रिफंड दे देता है. स्लिक का दावा है कि उनका रिटर्न ग्राफ पारंपरिक ऑनलाइन मार्केट प्लेस की तुलना में 40-50% कम है और ग्राहकों से रिटर्न के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता.
ग्राहकों का अनुभव
बेंगलुरु के एक प्रोफेशनल मोहम्मद शिबिली ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि स्लिक की 60 मिनट की डिलीवरी और ट्राई करने की सुविधा बहुत अच्छी थी, लेकिन रिटर्न करने के बाद उन्हें ऐप पर तब तक कोई अपडेट नहीं मिला, जब तक कि प्रोडक्ट वेयरहाउस तक नहीं पहुच गया.
मिंत्रा की पुरानी टेक्नोलॉजी
फ्लिपकार्ट के स्वामित्व वाली कंपनी मिंत्रा ने 2016 में 'ट्राई एंड बाय' फीचर शुरू किया था, ताकि पारंपरिक खरीदारों को ऑनलाइन शॉपिंग की ओर आकर्षित किया जा सके, लेकिन उस समय सप्लाई चेन की कमी के कारण यह फीचर ज्यादा सफल नहीं हुआ. उस समय डिलीवरी के लिए राष्ट्रीय कूरियर सर्विसेज का इस्तेमाल होता था, जो इतनी तेजी से काम नहीं कर पाती थीं.
अब आया बड़ा बदलाव
एक फैशन डिलीवरी स्टार्टअप के फाउंडर ने कहा कि अब हाइपरलोकल डिलीवरी सिस्टम की वजह से यह मॉडल संभव हो पाया है. पहले मिंत्रा जैसे प्लेटफॉर्म्स शहरों के बाहर बड़े वेयरहाउस से काम करते थे, लेकिन अब नई सप्लाई चेन शहरों के अंदर बनाई गई है, जिससे तेज डिलीवरी और ट्राई एंड बाय जैसे फीचर्स लागू करना आसान हो गया है.
मिंत्रा का M-Now
पिछले साल के अंत तक मिंत्रा ने M-Now नाम की एक अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी सर्विस शुरू की थी, जो अभी बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली में चल रही है और अन्य शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर टेस्ट हो रही है. मिंत्रा का कहना है कि M-Now के जरिए उनके रोजाना ऑर्डर पिछले तिमाही में दोगुने हो गए. मिंत्रा के एक प्रवक्ता ने कहा कि तेज डिलीवरी की वजह से हाई-इंटेंट (जो सचमुच खरीदना चाहते हैं) ग्राहक आकर्षित हो रहे हैं, जिससे रिटर्न की दर अपने आप कम होने लगी है. हालांकि, मिंत्रा ने यह स्पष्ट नहीं किया कि M-Now में ट्राई एंड बाय फीचर टेस्ट हो रहा है या नहीं.
क्या यह मॉडल लंबे समय तक चलेगा?
कंसल्टिंग फर्म Third Eyesight के फाउंडर देवांगशु दत्ता का कहना है कि ट्राई एंड बाय जैसे फीचर्स की लागत बहुत ज्यादा है और यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह मॉडल लंबे समय तक चल पाएगा? जब ग्राहक ट्राई एंड बाय का इस्तेमाल करते हैं तो डिलीवरी पर्सन को ग्राहक के कपड़े आजमाने तक इंतजार करना पड़ता है. इससे प्रति डिलीवरी की लागत बढ़ जाती है और डिलीवरी पर्सन एक दिन में कम डिलीवरी कर पाता है. इसके बावजूद, कुछ प्रोडक्ट्स फिर भी वापस आ जाते हैं, जिससे ऑपरेशनल दक्षता पर और असर पड़ता है. देवांगशु दत्ता ने बताया कि स्टार्टअप्स इन फीचर्स को ज्यादातर उन प्रोडक्ट्स पर लागू कर रहे हैं, जिनका मार्जिन ज्यादा है, ताकि लागत को संतुलित किया जा सके. फैशन प्रोडक्ट्स में रिटर्न की दर 10% से लेकर कुछ खास प्रोडक्ट्स में 40% तक हो सकती है.
स्टार्टअप्स की कोशिशों पर सवाल बरकरार
कुल मिलाकर अगर कहा जाए तो 60 मिनट में फैशन डिलीवरी देने वाले ये स्टार्टअप्स ट्राई एंड बाय और AI वर्चुअल ट्राई-ऑन जैसे फीचर्स के जरिए ग्राहकों को तेज और सुविधाजनक शॉपिंग का अनुभव देने का काम कर रहे हैं. ये फीचर्स रिटर्न की दर को कम करने में मदद कर रहे हैं, जो ऑनलाइन फैशन इंडस्ट्री की सबसे बड़ी चुनौती है. मिंत्रा जैसे बड़े खिलाड़ी भी M-Now जैसी सर्विसेज के साथ इस दौड़ में शामिल हैं. लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि इन फीचर्स की लागत और लंबे समय तक चलने की संभावना अभी एक बड़ा सवाल है. इसके बावजूद ये स्टार्टअप्स नई तकनीक और हाइपरलोकल सप्लाई चेन की मदद से फैशन शॉपिंग को और आसान बनाने की कोशिशों में जुटे हैं.