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TV-मोबाइल से अपने बच्चों को बचा लीजिए... वरना बीमारियां कर देंगी दिमाग-शरीर से खोखला

बच्चों को ​​TV-Mobile की लत पागल बना सकती है. इसके अलावा बच्चे कई बीमारियों का शिकार भी हो सकते हैं. एक बड़े देश ने इसको लेकर सख्त कदम उठाए हैं.

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Harshul Mehra|Updated: Jan 24, 2025, 11:28 AM IST
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TV Mobile Addiction Harmful For Children: समय डिजिटल का है और हर कोई हाथ में स्मार्टफोन लेकर घूम रहा है. स्मार्टफोन की वजह से एक तरफ को कुछ चीजें बेहद आसान हो गई हैं. वहीं इसका गलत असर बच्चों पर भी पड़ रहा है. फोन और ​​TV की लत बच्चों को मानसिक रोगी बना सकती है.

चूंकि आजकल पढ़ाई के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बेहतर माना जाता है इस वजह से बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है. पढ़ाई के अलावा, गेम्स, Video एंटरटेनमेंट की वजह से भी बच्चे मोबाइल को छोड़ना पसंद नहीं करते हैं.  

बच्‍चों में बढ़ने वाले स्‍क्रीन टाइम को लेकर दुनियाभर के पेरेंट्स चिंतित हैं तो वहीं सिंगापुर में इसको लेकर सख्त कदम उठाए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो प्रीस्‍कूल में 18 महीने से कम उम्र के बच्‍चों के लिए स्‍क्रीन के इस्तेमाल पर सिंगापुर में 01 फरवरी से प्रतिबंध लग जाएगा. इसके अलावा स्‍क्रीन का यूज केवल पढ़ाई और सीखने के लिए ही 18 महीने से 6 साल के बच्‍चों के लिए रहेगा.

क्यों घातक है बच्चों के लिए स्‍क्रीन टाइम बढ़ाना

NCBI के अनुसार, अगर ज्यादा देर तक बच्चे स्क्रीन के सामने रहते हैं तो उनके भावनात्‍मक विकास में परेशानी हो सकती है. इसके अलावा बच्चों को मोटापे, नींद आने में दिक्‍कत, डिप्रेशन और एंग्‍जायटी के साथ अन्य समस्याएं हो सकती हैं. वहींं बच्चे बच्चे ब्लैकमेलिंग और साइबर क्राइम का शिकार भी हो सकते हैं.

बच्चों का स्क्रीनटाइम बढ़ने से गंभीर बीमारियों का खतरा
आंखों पर पड़ता है असर
मायोपिया (निकट दृष्टि दोष या अदूरदर्शिता) का खतरा
ऑटिजम स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) का भी खतरा

वहीं माता-पिता को अपने बच्‍चों को मोबाइल और सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म से दूर रखने की सलाह सिंगापुर सरकार ने दी है. साथ ही सिंगापुर में 7 से 12 साल तक के बच्‍चों को स्‍कूल के काम के अलावा रोजना 2 घंटे से ज्‍यादा समय से ज्यादा TV नहीं देखने के लिए कहा गया है.

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