विशाखापट्टनम की सिटी पुलिस अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके ट्रैफिक मैनेजमेंट और रियल-टाइम निगरानी को बेहतर करने की योजना बना रही है. इसका मकसद है लोगों की सुरक्षा बढ़ाना और कानून लागू करने में सुधार करना. यह सिस्टम ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों को पकड़ने और अपराधियों की पहचान करने में मदद करेगा. विशाखापट्टनम के पुलिस कमिश्नर शंकरब्रता बागची ने इस बारे में बात करते हुए 'द हिंदू' संग बातचीत में बताया कि शहरी पुलिस के सामने सबसे बड़ी समस्या है कर्मचारियों की कमी, खासकर ट्रैफिक डिपार्टमेंट में.
ट्रैफिक मैनेजमेंट के मुख्य काम
कमिश्नर के मुताबिक, ट्रैफिक मैनेजमेंट के मुख्य काम होते हैं- रेगुलेशन, गाड़ियों के प्रवाह को नियंत्रित करना. ताकि सड़कों पर जाम न लगे, नियम तोड़ने वालों, जैसे तेज गति से गाड़ी चलाने, बिना हेलमेट के बाइक चलाने, सीट बेल्ट न पहनने, रेकलेस ड्राइविंग, ट्रिपल राइडिंग, नाबालिगों द्वारा गाड़ी चलाने या ओवरलोडिंग करने वालों को पकड़ना और जुर्माना लगाना. कमिश्नर ने कहा कि ये उल्लंघन अक्सर जानलेवा हादसों का कारण बनते हैं. अभी ट्रैफिक पुलिस मैन्युअल तरीके से, यानी फोटो खींचकर और चेक करके ई-चालान बनाती है. लेकिन AI सिस्टम के आने से ये काम ऑटोमैटिक हो जाएगा, जिससे पुलिसवाले ट्रैफिक को नियंत्रित करने जैसे अहम कामों पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे.
AI कैसे मदद करेगा?
1. ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR)- यह सिस्टम गाड़ियों के नंबर प्लेट को स्कैन करके नियम तोड़ने वालों की पहचान करेगा और ऑटोमैटिकली ई-चालान बनाएगा. इससे मैन्युअल चेकिंग की जरूरत कम हो जाएगी.
2. AI-पावर्ड ट्रैफिक सिग्नल- ट्रैफिक सिग्नल्स अब AI की मदद से रियल-टाइम में ट्रैफिक के हिसाब से बदलेंगे. उदाहरण के लिए, अगर हनुमंतवाका जंक्शन पर ग्रीन सिग्नल मिलता है तो सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि वेंकोजीपालेम जंक्शन पर भी गाड़ियों को ग्रीन सिग्नल मिले. इससे ट्रैफिक का प्रवाह सुधरेगा और इंतजार का समय कम होगा.
3. ट्रैफिक डेटा एनालिसिस- AI ट्रैफिक डेटा का विश्लेषण करके जाम होने की संभावना को पहले ही भांप लेगा. यह VIP मूवमेंट या त्योहारों जैसे मौकों पर रास्ता बदलने (रि-रूटिंग) के सुझाव देगा, ताकि ट्रैफिक को बेहतर ढंग से मैनेज किया जा सके.
4. फेशियल रिकग्निशन कैमरे (FRC)क्या है?- मुख्य ट्रैफिक जंक्शनों पर फेशियल रिकग्निशन कैमरे लगाए जाएंगे. ये कैमरे लोगों की तस्वीरें खींचकर उन्हें नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB), स्टेट क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (SCRB) और सिटी क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (CCRB) के डेटाबेस से मिलाएंगे.
5. कैसे काम करेगा?- अगर किसी व्यक्ति का चेहरा अपराधी डेटाबेस से मेल खाता है तो सिस्टम तुरंत ड्यूटी पर तैनात पुलिस को अलर्ट भेजेगा. इससे अपराधियों को जल्दी पकड़ना आसान होगा.
प्रोजेक्ट की प्रगति
कई IT कंपनियां इस प्रोजेक्ट पर पुलिस के साथ काम कर रही हैं और रियल-टाइम सिग्नल को-ऑर्डिनेशन जैसे फीचर्स डेवलप कर रही हैं. इस प्रोजेक्ट को विशाखापट्टनम के सांसद एम. श्रीभारत, कलेक्टर एम.एन. हरेन्धिरा प्रसाद और अन्य बड़े अधिकारियों के सामने पेश किया गया है. अभी इसकी फाइनेंशियल डिटेल्स तैयार की जा रही हैं और सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा.
कैसे लागू होगा?
यह सिस्टम चरणों में लागू किया जाएगा-
पहला चरण: बीच रोड (Beach Road) से शुरू होगा.
दूसरा चरण: NH-16 पर प्रमुख जंक्शनों पर लागू होगा.
इन जगहों पर कई ANPR और फेशियल रिकग्निशन कैमरे लगाए जाएंगे, जो 360 डिग्री निगरानी करेंगे.