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अब Wifi रखेगा इंसानों की हर हलचल पर नजर, शुरू होने जा रहा है निगरानी का नया दौर... जानें क्या है Who-Fi टेक्नोलॉजी?

AI टेक्नोलॉजी के इस दौर में अब wifi भी स्मार्ट होने जा रहा है, जो न सिर्फ इंटरनेट की सुविधा देगा, बल्कि यह इंसानों को पहचानने का काम भी करेगा. चलिए जनते हैं क्या है ये नई टेक्नोलॉजी.

अब Wifi रखेगा इंसानों की हर हलचल पर नजर, शुरू होने जा रहा है निगरानी का नया दौर... जानें क्या है Who-Fi टेक्नोलॉजी?
Bhawna Sahni|Updated: Jul 27, 2025, 02:42 PM IST
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AI ने टेक्नोलॉजी को बहुत एडवांस कर दिया है. हर दिन कोई न कोई ऐसी टेक्नोलॉजी के बारे में सुनने को मिल जाता है जो हमें हैरान कर देती है. वहीं, आज हम आपको लोगों की पहचान करने वाली एक टेक्नोलॉजी के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल, इस नई टेक्नोलॉजी का नाम है Who-Fi. यह एक ऐसा कैमरा है जो किसी भी व्यक्ति की पहचान कर सकता है. यह एक एडवांस टेक्नोलॉजी है  जो व्यक्ति के सामने न होते हुए भी उसकी एक्टिविटी को ट्रैक करके उसकी पहचान बता सकता है.

सिर्फ इंटरनेट नहीं देगा ये Wifi
ऑनलाइन जर्नल arXiv ने एक रिसर्च के मुताबिक अपने आर्टिकल में बताया कि 2.4 गीगाहर्ट्ज वाले इस सामान्य WiFi के सिग्नल सिर्फ इंटरनेट देने तक ही सीमित नहीं हैं, इनका इस्तेमाल इंसानों की पहचान और उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है. यह तकनीक न सिर्फ व्यक्ति की पहचान की पुष्टि करती है, बल्कि उसके मूवमेंट को ट्रैक करने में भी मददगार साबित होती है. हालांकि, इस तरह की एडवांस टेक्नोलॉजी की वजह से एक बार फिर प्राइवेसी को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

दो चीजों पर बेस्ड है टेक्नोलॉजी
बता दें कि Who-Fi टेक्नोलॉजी दो अहम चीजों पर आधारित है- पहला WiFi सिग्नल और दूसरा है ट्रांसफॉर्मर आधारित न्यूरल नेटवर्क, जिसे लार्ज लैंग्वेज मॉडल भी कहते हैं. यह सिस्टम WiFi सिग्नल में आने वाले बारीक बदलावों को पढ़ती है, जिन्हें तकनीकी रूप से चैनल स्टेट इंफॉर्मेशन (CSI) कहते हैं. यह देखा जाता है कि कमरे के अंदर वायरलेस सिग्नल कैसे फैल रहा है और जब यह सिग्नल किसी व्यक्ति के शरीर से टकराकर वापिस आता है तो उसकी दिशा और ताकत में क्या परिवर्तन होता है.

जानें क्या है प्रक्रिया
इस पूरी प्रक्रिया का कामकाज किसी रडार या सोनार सिस्टम की तरह होता है, जहां तरंगों की प्रतिक्रिया से यह पता लगाया जाता है कि व्यक्ति कहां है और क्या कर रहा है. जब भी कोई व्यक्ति WiFi सिग्नल के पास आता है तो सिग्नल के रास्ते में उसकी मौजूदगी का एक अलग पैटर्न बन जाता है. इस यूनीक पैटर्न से उंगलियों के निशान, चेहरे की बनावट या आंख के रेटिना का बायोमेट्रिक पहचान की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

व्यक्ति की गतिविधियों पर रखता है नजर
ट्रेनिंग के बाद Who-Fi सिस्टम की क्षमताएं और बढ़ जाती हैं. फिर यह न सिर्फ व्यक्ति की गतिविधियों पर लगातार नजर रख सकता है, बल्कि अगर वही व्यक्ति लंबे समय बाद फिर से उसी नेटवर्क क्षेत्र में एंट्री लेता है तो यह उसकी पहचान भी कर सकता है. इसके अलावा यह सिस्टम शरीर की हरकतों का डिटेल डाटा कैप्चर कर सकता है और यहां तक कि साइन लैंग्वेज को भी पहचानने में सक्षम है. इस टेक्नोलॉजी की खास बात यह है कि इसे कैमरे या माइक्रोफोन जैसे सेंसर की जरूरत नहीं है. यानी बिना विजुअल या ऑडियो इनपुट के यह काम कर सकता है.

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